हेल्थ इंश्योरेंस: अपने माता-पिता को हेल्थ बीमा के रूप में एक अच्छा गिफ्ट दें

मुंबई– हमारे माता पिता हमारे लिए पहले सुपरहीरो होते हैं जो अपनी परवाह किए बिना निःस्वार्थ हमारा हमेशा ख्याल रखते हैं। हम भी उन्हें बिना शर्त प्यार करते हैं और उन्हें वह सब सुख साधन देना चाहते हैं जो उनके चेहरे पर मुस्कान बिखेरता है।

यूं तो हम उन्हें साल के सभी 365 दिनों में प्यार मोहब्बत करते रहते हैं पर साल में पैरंट्स डे जैसा एक दिन भी आता है जिस दिन हमें उनके लिए कुछ खास करने की जरूरत होती है। जब आप विचार करते हैं कि उन्हें इस वर्ष क्या देना है, मेरे पास एक विनम्र सुझाव (humble suggestion) है – वह यह कि उन्हें कुछ ऐसा गिफ्ट दिया जाए जिसमें वैल्यू के साथ साथ सुरक्षा भी हो औऱ ऐसे में हेल्थ इंश्योरेंस कवर जैसा कोई दूसरा गिफ्ट तो हो ही नहीं सकता एक अच्छी हेल्थ पालिसी यह सुनिश्चित करेगी कि आपके माता-पिता पैसों की चिंता किए बिना जब चाहें मेडिकल ट्रीटमेंट हासिल कर सकें।

आपको विशेष रूप से अपने माता-पिता के लिए स्वास्थ्य कवर की तलाश करते समय ये बातें ध्यान में रखना चाहिए:

कि बीमित राशि का चयन करते समय, आप मुद्रास्फीति (inflation) को ध्यान में रखिये क्योंकि आज जो राशि आपको पर्याप्त दिखती है, वह कुछ वर्षों बाद पर्याप्त नहीं हो सकती है। अच्छे खासे सम इंश्योर्ड की राशि यह सुनिश्चित करेगी कि आपके माता-पिता के पास आवश्यकता के समय पर्याप्त कवरेज हो और मेडिकल बिलों का भुगतान करने में उन्हें कोई परेशानी न हो। इसके अलावा, इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए कि हमारे माता-पिता बूढ़े हो रहे हैं और ऐसी उम्र में बीमारियां कुछ ज्यादा ही आसानी से पकड़ लेती हैं।

मोटे तौर पर, हेल्थ कवर खरीदने के समय पहले से मौजूद बीमारियों या मेडिकल कंडीशन्स जिनमें आमतौर पर ब्लड प्रेशर, थायराइड, मधुमेह आदि जैसी बीमारियां शामिल होती हैं, उन पर गौर कर लेना चाहिए। हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसियों में पहले से मौजूद बीमारियों के लिए वेटिंग पीरियड होता है जो एक से चार साल तक होता है। इन पहले से मौजूद बीमारियों के लिए प्रतीक्षा अवधि को समझने और योजना का चयन करते समय पूरी तरह से रीसर्च करें। यह आपको कवरेज के बारे में एक क्लियर आईडिया देगा।

कई पॉलिसीज में कुछ उपचारों के लिए एक सब-लिमिट होती है। उदाहरण के लिए, पॉलिसी ए नाम की बीमारी के ऑपरेशन के लिए 50,000 रुपये की उप-सीमा डाली जा सकती है, भले ही बीमित पॉलिसी राशि 10 लाख रुपये ही क्यों न रुपये हो। अब यदि बीमाकर्ता ऑपेरशन कराता है तो कवर के तहत उसे सिर्फ 50 हजार रुपये ही मिलेंगे। इएलिये बाद में किसी परेशानी से बचने के लिए नीतियों में ऐसी बीमारियों के सब लिमिट को अच्छी तरह से समझें।

को-पे- क्लाज उस क्लेम का हिस्सा या प्रतिशत होता है जिसे बीमित व्यक्ति को वहन करना होता है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी पॉलिसी में 25% का सह-भुगतान है, तो इसका मतलब है कि 1,00,000 रुपये के क्लेम अमाउंट में आपको 25,000 रुपये का भुगतान करना होगा और बीमाकर्ता शेष 75,000 रुपये का भुगतान करेगा।

अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद का कवरेज-

अस्पताल में भर्ती होने से पहले, स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें किसी को विभिन्न परीक्षणों और निदानों (tests and diagnoses) से गुजरना पड़ता है जो डॉक्टर रोगी की मेडिकल कंडीशन्स को सही ढंग से आंकने के लिए करते हैं। इन खर्चों में ब्लड टेस्ट, एक्स-रे, स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें एमआरआई, सीटी स्कैन शामिल हो सकते हैं। अस्पताल में भर्ती होने के बाद का खर्च, मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद वाला खर्च होता है।

डिस्चार्ज के बाद के इन खर्चों में फॉलो स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें अप कंसल्टेशन, रिकवरी की मोनिटरिंग के लिए किये जाने वाले टेस्ट, दवाएं आदि शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद की कवरेज का विस्तार करने वाली पालिसी भी अच्छी तरह से गौर करना चाहिए। विशेष रूप से एक उम्र के बाद, अस्पताल में भर्ती होने के बाद खर्च बढ़ जाता है और एक व्यापक कवर की आवश्यकता होती है जो जो जरूरत पड़ने पर हमें और आपको किसी विशेष आपातकालीन वित्तीय समस्या से बचा लेता है।

पॉलिसी शुरू करते समय बीमाकर्ता को अपने माता-पिता के मेडिकल हिस्ट्री को सही ढंग से प्रकट करना अनिवार्य है क्योंकि यह बाद में विशेष रूप से क्लेम के दौरान आ सकने वाली परेशानियों से बचने में मदद करेगा। इसके अलावा, गलत बयानी या जानकारी को डिक्लेयर न करने से भविष्य में कोई क्लेम रिजेक्ट हो सकता है। बीमाकर्ता को फाइनली चुनते समय, उस कंपनी के प्रदर्शन की समीक्षा करनी चाहिए तथा क्लेम सेटलेमेंट की क्षमताओं के साथ आने वाली शिकायतों का अनुपात भी देखना चाहिए।

एक आसान और निर्बाध क्लेम की प्रक्रिया आपको और आपके माता-पिता को बाद में असुविधा से बचाएगी। एक ऐसा बीमाकर्ता या कंपनी चुनें जिसमें अच्छे क्लेम मैनेजमेंट क्षमता हो ताकि जब भी कभी आपके माता पिता को मेडिकल खर्चों के लिए पैसों के सूरत हो तो बाद में इधर-उधर के अनावश्यक धक्के ना खाने पड़े। अतः इस पेरेंट्स डे के दिन, आप अपने माता पिता के लिए हेल्थ कवर जैसा एक अनूठा उपहार गिफ्ट करें।

याद रखें कि माता-पिता हमेशा निस्वार्थ भाव से हमारे होते हैं और शायद ही कभी खुद के बारे में सोचते हैं। इसलिए यह हमारे लिए सही समय है कि हम उनकी सुरक्षा करके उनके लिए भी ऐसा ही करें और उन्हें चिंता मुक्त बनाने के लिए हेल्थ कवर की सौगात दें।

शीघ्रपतन

सम्भोग के समय तुरंत वीर्य का निकल जाना शीघ्रपतन कहलाता है। अत्यधिक स्त्री-प्रसंग, हस्तमैथुन, स्वप्नदोष, प्रमेह इत्यादि कारणों से स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें ही यह रोग होता है। सहवास में लगभग 10-20 मिनट का समय लगता है लेकिन 3-4 मिनट से पहले ही बिना स्त्री को सन्तुष्ट किए अगर स्खलन हो जाए तो इसे शीघ्रपतन का रोग समझना चाहिए। जब यह रोग अधिकता पर होता है तो स्त्री से संभोग करने से पहले ही स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें सम्भोग का ख्याल करने पर या कपड़े की रगड़ से ही चिपचिपी लार के रूप में वीर्यपात हो जाता है। यदि थोड़ी सी उत्तेजना आती भी है तो इन्द्री प्रवेश करते ही स्खलन हो जाता है। उस समय पुरूष को कितनी शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है तथा स्त्री से आंख मिलाने का भी साहस नहीं रहता। स्त्री शर्म व संकोच के कारण अपने पति की इस कमजोरी को किसी के सामने नहीं कहती लेकिन अन्दर ही अन्दर ऐसे कमजोर पति से घृणा करने लगती है जिस कारण उसका विवाहित जीवन दुखमय बन जाता है। मर्द की कमजोरी और शीघ्रपतन की बीमारी से स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें औरत भी बीमार हो सकती है। ऐसे रोग का समय रहते उचित इलाज अवश्य करना लेना चाहिए स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें ताकि रहा सहा जोश एवं स्वास्थ्य भी समाप्त न हो जाए। हमारे पास ऐसी शिकायतें दूर करने के लिए ऐसे शक्तिशाली नुस्खों वाला इलाज है जिसके सेवन से जीवन का वास्तविक आनन्द मिलता है। सम्भोग का समय बढ़ जाता है शरीर हस्टपुष्ट तथा शक्ति सम्पन्न हो जाता है। स्त्री को पूर्ण रूप से सन्तुष्टि होकर सम्भोग की चर्मसीमा प्राप्त होती है। विवाहित जीवन का वास्तविक आनन्द प्राप्त होकर उनका जीवन सुखमय बन जाता है।

लखनऊ : पुलिस खुद को समय के साथ अपग्रेड करे तब ही रुकेंगे अपराध

सुरक्षा सिर्फ सरकारी तंत्र की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज का भी दायित्व है। आम जनता को इसके प्रति खुद भी सजग रहना होगा। इसे चार प्रमुख भागों में बांटा जाए तो महिला सुरक्षा, साइबर क्राइम व ट्रैफिक के अलावा हत्या, लूट, चोरी व डकैती जैसे अपराध आते हैं। इनमें साइबर अपराध सबसे ज्यादा आफत बन रहा है। पुलिस खुद को समय के साथ अपग्रेड करे, अपने व्यवहार में बदलाव लाए तो इन अपराधों को रोकने में मदद मिलेगी।

राजधानी की सुरक्षा के बारे में सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक एमसी द्विवेदी के कुछ यही विचार हैं। वह कुछ बाहरी देशों का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि वहां के लोग सुरक्षा को लेकर पुलिस पर निर्भर नहीं हैं। नियोजित कॉलोनियां हैं। खुद से लोग सीसीटीवी कैमरे, गार्ड व सुरक्षा से जुड़े अन्य इंतजाम रखते हैं। यही यहां के लोगों को भी करना होगा। इसके अलावा पुलिस की यूपी 100, 1090, 102 व अन्य शाखाओं को त्वरित रिस्पांस देने वाला बनाना होगा। यहां काम करने वाले पुलिसकर्मियों को संवेदनशील बनना होगा।

महिलाओं की सुरक्षा के क्रम में स्कूल, कॉलेज, मॉल व अन्य सार्वजनिक स्थानों के बाहर पुलिस अपनी उपस्थिति दर्ज कराकर छेड़छाड़ की घटनाओं पर नकेल लगा सकती है। हालांकि दुष्कर्म जैसी घटनाओं को रोकना चुनौती है। दुष्कर्म की घटनाएं समाज की सजगता व सक्रियता से ही रुक सकती हैं। लिंगानुपात में भी लगातार कमी दर्ज हो रही है, जो अपराध का कारण बनकर उभर रहा है।

मकान बनाने के लिए पार्किंग अनिवार्य करें

ट्रैफिक की समस्या आतंक बन रही है। राजधानी में हर रोज लोग गाडिय़ां खरीद रहे हैं। स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें पार्किंग की व्यवस्था नहीं है। सरकार को भविष्य में दो मंजिला मकान बनाने के लिए पार्किंग अनिवार्य कर देनी चाहिए। निजी गाडिय़ां महंगी हो जाएं और पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहतर करें। इसके उदाहरण विदेशों में देखे जा सकते हैं। निजी गाडिय़ों के लिए पेट्रोल महंगा हो तो इसपर लगाम लग सकती है। सरकारी तंत्र को पब्लिक ट्रांसपोर्ट में बेहतर सुधार का काम करना होगा। इससे लोगों को यात्रा में कठिनाई नहीं होगी और वह सुरक्षित मंजिल तक पहुंच सकेंगे।

पुलिस को बदलना होगा व्यवहार
लोगों की सुरक्षा के प्रति पुलिस की जवाबदेही है। पुलिस का आधुनिकीकरण हो। पुलिसकर्मी अपने व्यवहार में परिवर्तन लाएं स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें और लोगों से अच्छे से बर्ताव करें। सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस बल की कमी को दूर किया जाए और इनकी संख्या में बढ़ोतरी हो। पुलिसकर्मियों की समस्याओं को भी नजरअंदाज न किया जाए और उन्हें उचित सम्मान मिले।

दक्ष लोगों की हो भर्ती
पूर्व डीजीपी का कहना है कि बढ़ते साइबर क्राइम को गंभीरता से लेना होगा। इसके लिए दक्ष लोगों की नियुक्ति की जाए जो साइबर एक्सपर्ट हों। आतंकी संगठन भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। विशेषज्ञ ही इस समस्या का समाधान कर सकते हैं। लोगों को साइबर अपराधियों से खुद सजग रहना होगा। समाज में जागरूकता फैलानी पड़ेगी। साइबर स्टॉप लॉस को नजरअंदाज न करें रिसर्च सेंटर खोलकर आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल हो और अपराधियों की साजिश पर लगाम लगाया जाए।

इन बिंदुओं पर हो काम
- सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं।
- पुलिस त्वरित रिस्पांस दे।
- नियोजित कॉलोनियों का विस्तार हो।
- लोग खुद सजग रहें और आसपास के माहौल पर नजर रखें।
- यातायात में सुधार हो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाया जाए।
- पुलिस बल की संख्या में बढ़ोतरी हो।
- साइबर क्राइम से निपटने के लिए रिसर्च सेंटर स्थापित हो।
- सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस मुस्तैद रहे।

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