ग्रिड कम्यूटिंग क्या है | What is Grid Computing in Hindi

क्या आप जानना चाहते है, ग्रिड कम्यूटिंग क्या है (What is Grid Computing in Hindi), ग्रिड कम्यूटिंग कितने प्रकार होते है, ग्रिड कंप्यूटिंग का उपयोग क्यों किया जाता है, ग्रिड कंप्यूटिंग के क्या फायदे हैं, ग्रिड कंप्यूटिंग की विशेषताएं क्या हैं, ग्रिड कंप्यूटिंग कैसे काम करती हैं, ग्रिड कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग में क्या अंतर है ।

तो चलिए Grid Computing के बारे में विस्तार से समझते हैं ।

Table of Contents

ग्रिड कम्यूटिंग क्या है (What is Grid Computing in Hindi) ?

ग्रिड कंप्यूटिंग को एक ऐसे कार्य को करने के लिए एक साथ काम करने वाले कंप्यूटरों के नेटवर्क के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जो एक मशीन के लिए कठिन होगा ।

ग्रिड कंप्यूटिंग एक कंप्यूटिंग इन्फ्रास्टक्चर है जो एक सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न भौगोलिक स्थानों में फैले कंप्यूटर संसाधनों को जोड़ती है । कई कंप्यूटरों पर सभी अप्रयुक्त संसाघनों को एक साथ जमा किया जाता है और एक ही कार्य के लिए उपलब्ध कराया जाता है ।

संगठन बड़े कायों को करने या जटिल समस्याओं को हल करने के िए ग्रिड कंप्यूटिंग का उपयोग करते हैं जो एक कंप्यूटर पर करना मुश्किल होता है ।

ग्रिड कम्यूटिंग कितने प्रकार होते है (Types of grid computing) ?

ग्रिड कंप्यूटिंग को इसक उपयोग और कार्य के आधार पर कई प्रकारों में विभाजित किया गया है । जैसे कि :-

  • Computational grid computing
  • Data grid computing
  • Collaborative grid computing
  • Manuscript grid computing
  • Modular grid computing

ग्रिड कंप्यूटिंग का उपयोग क्यों किया जाता है (Why use grid computing) ?

आम तौर पर बड़े कार्यों को करने या जटिल समस्याओं को हल करने के लिए ग्रिड कंप्यूटिंग का उपयोग करते हैं जिसे एक कंप्यूटर पर करना मुश्किल होता है या एक कंप्यूटर द्वारा संभालना असंभव है ।

ग्रिड कंप्यूटिंग सुपरकंप्यूटर की आवश्यकता को कम करती है, और ग्रिड कंप्यूटिंग से सुपरकंप्यूटर का लाभ उठाते हुए दो या दो से अधिक संगठन एक साथ काम कर सकते हैं ।

ग्रिड कंप्यूटिंग के क्या फायदे हैं (Advantages of grid computing) ?

ग्रिड कंप्यूटिंग उपयोग करने का फायदे निम्न प्रकार हैं :-

  • यह केंद्रीकृत नहीं है, क्योंकि नियंत्रण नोड को छोउ़कर किसी सर्वर की आवष्यकता नहीं है, जिसका उपयोग केवल नियंत्रण के लिए किया जाता है और प्रसंस्करण के लिए नहीं ।
  • एकाधिक विषम मशीनें यानी विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम वाली मशीनें एकल ग्रिड कंप्यूटिंग नेटवर्क का उपयोग कर सकती हैं ।
  • कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए
  • कार्य विभिन्न भौतिक स्थानों पर समानांतर रूप से किए जा सकते हैं और उपयोगकर्ताओं को उनके लिए भुगतान नहीं करना पड़ता कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए है ।

ग्रिड कंप्यूटिंग की विशेषताएं क्या हैं (What are the features of grid computing) ?

ग्रिड कंप्यूटिंग की आवश्यक विशेषताएं निम्नलिखित हैं :कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए -

  • एक ग्रिड कंप्यूटिंग कुछ संसाधनों से लेकर लोखों तक के संसाधनों से निपटने में सक्षत है ।
  • ग्रिड कंप्यूटिंग के संसाधन दूरस्थ स्थानों पर स्थित हो सकते हैं ।
  • ग्रिड कंप्यूटिंग में संसाधन कई अलग अलग संगठनों से संबंधित हैं कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए जो अन्य संगठनों यानी यूजर को उन तक पहुंचने की सुविधा देते हैं ।
  • ग्रिड कंप्यूटिंग सॉफटवेयर और हार्डवेयर दोनों संसाधनों को होस्ट करता है जो डेटा, फाइलों, सॉफटवेयर कॉम्पोनेन्ट या प्रोग्राम से लेकर सेंसर, वैज्ञानिक उपकरणों, व्यक्तिगत डिजिटल आयोजकों, कंप्यूटर, सुपर कंप्यूटर और नेटवर्क तक बहुत भिन्न हो सकते है ।

ग्रिड कंप्यूटिंग में कौन कौन से कॉम्पोनेन्ट होते हैं (What are the components in grid computing) ?

ग्रिड कंप्यूटिंग प्राथमिक ग्रिड कॉम्पोनेन्ट को एक सेट होता है । जैसा कि ग्रिड डिजाइन और उनके अपेक्षित उपयोग भिन्न होते हैं, विशिष्ट घटक हमेषा ग्रिड नेटवर्क का हिस्सा हो भी सकता हैं और नहीं भी ।

इन कॉम्पोनेन्टो को विषिश्ट परिदृश्यों में एक संकर कॉम्पोनेन्ट (hybrid component) बनाने के लिए जोड़ा जा सकता है । यद्यपि उपयोग के मामलों के आधार पर तत्वों का संयोजन भिन्न हो सकता है, ग्रिड सक्षम एप्लिकेशन को विकसित करते समय उनकी भूमिकाओं को समझने से आपको मदद मिल सकता है ।

आइए ग्रिड कंप्यूटिंग के प्रमुख कॉम्पोनेन्ट को समझते हैं :-

ग्रिड कंप्यूटिंग कैसे काम करती हैं (How does grid computing work) ?

एक ग्रिड कंप्यूटिंग नेटवर्क में मुख्य रूप से निचे दिए गए तीन प्रकार की मशीनें होती हैं :-

  • Control Node / Server
  • Provider / grid node
  • User

ग्रिड नेटवर्क में शामिल प्रप्येक कंप्यूटर पर विशेष सॉफटवेयर चलाकर ग्रिड कंप्यूटिंग संचालित होती है । सॉफटवेयर ग्रिड के सभी कार्यों का समन्वय और प्रबंधन करता है ।

सॉफटवेयर मुख्य कार्य को उप कार्यों में विभाजित करता है और प्रत्येक कंप्यूटर को उप कार्य प्रदान करता है । यह सभी कंप्यूटरों को उनके संबंधित उप कार्यों पर एक साथ काम करने की सुविधा प्रदान करता है ।

उपकार्यों के पूरा होने पर, बड़े मुख्य कार्य को पूरा करने के लिए सभी कंप्यूटरों के आउटपूट एकत्रित किए जाते हैं ।

सॉफटवेयर कंप्यूटर को किए जा रहे उप कार्यों के हिस्से के बारे में संचार करने और जानकारी साझा करने की सुविधा प्रदान करता है कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए । जिसके फलस्वरूप, कंप्यूटर असाइन किए गए मुख्य कार्य के लिए संयुक्त आउटपुट को समेकित और वितरित कर सकते हैं ।

ग्रिड कंप्यूटिंग और क्लाउड कंप्यूटिंग में क्या अंतर है (Difference between grid computing and cloud computing) ?

निर्ष्कष – Conclusion

मुझे आशा है इस पोस्ट से आपने ग्रिड कम्यूटिंग (Grid Computing) क्या है इसके बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लिया है ।

अगर फिर भी ग्रिड कम्यूटिंग को लेकर आपके मन में कोई अन्य सवाल हैं तो आप हमें कामेन्ट करके पुछ सकते है, हम आपके प्रश्र का उत्तर यथाशीघ्र देने का प्रयास करूंगा ।

Mushroom Farming Subsidy: हरियाणा के किसानों को मशरूम की खेती पर मिलेगा 50 से 85% अनुदान जल्द करें आवेदन

प्रदेश में किसानों की आय बढ़ाने व उन्हें पारंपरिक खेती से बागवानी की लाभकारी फसलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न फसलों पर विशेष अनुदान दिया जा रहा है। इसलिए किसानों को मशरूम यूनिट लगाने पर 50 से 85 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है।

जिला बागवानी अधिकारी जाता है। देवीलाल ने जानकारी देते हुए बताया कि मशरूम के गुणकारी लाभों के चलते बाजार में इसकी मांग निरंतर बढ़ रही है। किसानों में इसकी खेती की सही जानकारी के अभाव में यह बाजार में अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता जबकि बाजार में इसकी मांग दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि किसान फसल विविधीकरण के तहत इसकी खेती को अपनाकर

बाजार से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जिला बागवानी अधिकारी ने बताया कि इस योजना के अनुसार बटन किस्म की मशरूम लगाने के लिए अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के लोगों को 85 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के किसानों को बटन या अन्य किस्म की मशरूम की खेती करने पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया

अनुदान योजना का लाभ लेने के इच्छुक किसान पोर्टल पर ऑनलाइन इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अनुदान राशि विभाग के निर्देशानुसार योग्य पात्रों को ही दी जाएगी। मशरूम व अन्य व्यावसायिक फसलों के बारे में अधिक जानकारी के लिए किसान जिला उद्यान अधिकारी भिवानी के कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।

पिछले कुछ समय से भारत में मशरूम की मांग बढ़ती जा रही है. मशरूम भले ही विदेशी सब्जी हो लेकिन भारतीयों के बीच बहुत लोकप्रिय हो चुकी है. यही कारण है कि बीते एक दशक कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए से इसके उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. मशरूम जहां खाने का स्वाद बढ़ाती है तो वहीं किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रही है.

भारत के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और तेलंगाना समेत अलग-अलग राज्यों में किसान मशरूम की खेती से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. कम जगह और कम समय में इसकी फसल तैयार होती है. खास बात है कि मशरूम की खेती में बेहद कम लागत आती है और मुनाफा कई गुना मिलता है. अगर आप किसान हैं, तो मशरूम की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

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भारत में उगाई जाने वाली किस्में-

भारत में मशरूम को कुकरमुत्ता, खुम्भी, गुच्छी, भमोड़ी नाम से जाना जाता है. पूरे विश्वभर में खाने योग्य मशरूम की लगभग 10 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं, इनमें से केवल 70 प्रजातियां ही खेती के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं. भारत की जलवायु के हिसाब से मुख्य तौर पर 5 प्रकार के खाद्य मशरुमों की खेती की जाती है.

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम

सफेद बटन मशरूम- बटन मशरूम की भारत में सबसे अधिक डिमांड रहती है तथा इसकी कीमत भी अधिक होती है जिस कारण आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. भारत में सफेद बटन मशरूम की एस-11, टीएम-79 और होर्स्ट यू-3 बीजों की खेती की जाती है. बटन मशरूम के लिए शुरुआत में 22-26 डिग्री सेल्सियस का तापमान आवश्यक होता है. कवक फैलाव के बाद 14-18 डिग्री सेल्सियस तापमान ही उपयुक्त रहता है. इसको कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए हवादार कमरे, सेड, हट या झोपड़ी में आसानी से उगाया जा सकता है.

ढींगरी (ऑयस्टर) मशरूम- इसकी खेती सालभर की जा सकती है. यह 2.5 से 3 महीने में तैयार हो जाता है. 20 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. 10 क्विंटल मशरूम उगाने में कुल 50 हजार का खर्च आता है.

दूधिया मशरूम: यह ग्रीष्मकालीन मशरूम है. जिसका आकार बड़ा होता है. राज्यों की जलवायु स्थिति के हिसाब से मार्च से अक्टूबर तक दूधिया मशरूम की खेती उपयुक्त होती है.

पैडीस्ट्रा मशरूम: पैडीस्ट्रा मशरूम उच्च तापमान पर तेजी से बढ़ने वाला मशरूम है. इसकी वृद्धि के लिए अनुकूल तापमान 28-35 डिग्री सेल्सियस और आर्द्रता 60-70 प्रतिशत की आवश्यकता होती है. अनुकूल परिस्थितियों में यह 3 से 4 सप्ताह में ही तैयार हो जाती है.

शिटाके मशरूम: यह उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और विटामिन से भरपूर होता है. यह दुनिया में कुल मशरूम उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर आता है. आप इसे साल और किन्नु पेड़ की भूसी पर उगा सकते हैं.

मशरूम की खेती के लिए तैयारी

मशरूम की खेती चारों तरफ से बंद स्थान पर की जाती है. इसके लिए आप कोई झोपड़ी बना सकते है. 30 Χ22Χ12 की झोपड़ी बनाने में लगभग 30 हजार रुपए खर्च होते हैं.

मशरूम खेती के लिए कैसे बनाएं कम्पोस्ट

मशरूम की खेती में सबसे जरुरी है कॉम्पोस्ट खाद. इससे बनाने के कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए लिए गेंहू के भूसे का उपयोग होता है. गेंहू के भूसे में फार्मलीन, बेवस्टीन की उचित मात्रा मिलाई जाती है. भूसे को भिगा दिया जाता है. इसके बाद उसमें मुर्गी की बीट, यूरिया, गेहूं का चोकर डालकर मिक्स कर देते हैं और उसे 1 हफ्ते के लिए छोड़ देते हैं. 1 हफ्ते बाद उसका तापमान 70 डिग्री सेंटीग्रेड हो जाता है तापमान कम करने के लिए भूसे के ढेर को उलट देते हैं. अगले दिन फिर से तापमान चेक करते हैं और 5 दिन बाद ढेर को दोबारा उलट देते हैं. लगभग 28 दिन में कंपोस्ट खाद मशरूम उगाने के लिए तैयार हो जाती कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए है. ढेर को अलग अलग दिनों के अंतर से उलटने से अमोनिया गैसा बाहर निकल जाती है, जिससे उसका तापमान कम हो जाता है.

कैसे करें मशरूम की बुवाई

मशरूम की बुवाई से पहले भीगे हुए भूसे को हवा में फैलाना होता है, ताकि पानी और नमी न रहें. इसके बाद पॉलीथिन के बैग्स में भूसा डालने के बाद मशरूम के दानों का छिड़काव करना होता है. दाने फैलाने के बाद दोबारा से भूसे की परत चढाई, इसके बार फिर बीज का छिड़काव होता है. इसके बाद पॉलिथिन बैग के दोनों कानों पर छेद करें ताकि अतिरिक्त पानी निकल जाए. इन बैग्स को ऐसे स्थान पर रखा जाता हैं जहां हवा लगने की गुंजाइश बेहद कम हो.

कहां से ले बीजः मशरूम की खेती में प्रयोग होने वाले बीज को स्पॉन कहते हैं. अच्छी किस्म का बीज प्राप्त करने के लिए कम से कम एक माह पहले कृषि विश्वविद्यालय के पादप रोग विज्ञान विभाग में बुकिंग करा दें, जिससे समय पर बीज तैयार करके आपको दिया जा सके. इसके अलावा मशरूम के बीज आप कृषि केंद्र, बाजार अथवा ऑनलाइन वेबसाइट जैसे इंडियामार्ट, अमेजॉन आदि से खरीद सकते हैं, जहां मशरूम के 80 से ₹120 प्रति किलो की कीमत पर उपलब्ध होते हैं.

लागत कम, मुनाफा होगा ज्यादा

मशरूम कम लागत में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है. अगर आप छोटे किसान हैं, तो सिर्फ 10 से 50 हजार रुपए में खेती शुरु कर सकते हैं. आप चाहें तो घर से ही मशरूम की खेती शुरु कर हर महीने 10 कैसे तेजी से एक निरंतर लाभ बनाने के लिए से 15 हजार की कमाई कर सकते हैं. बड़ी जगह पर खेती करने से मुनाफा 40 से 50 हजार प्रति महीना तक बढ़ सकता है.

कहां बेच सकते हैं मशरूम

मशरूम बेचने के लिए सबसे अच्छी जगह है सब्जी मंडी, जहां आपको मशरूम के अच्छे दाम मिल जाएंगे. इसके अलावा आप होटल वालों से संपर्क करके अपने फसल उन्हें बेच सकते हैं. कई कंपनियां मशरूम के अलग अलग प्रोडक्ट बनाती हैं, अगर आप बड़े किसान हैं तो ऐसी कंपनियों से समझौता कर सकते हैं.

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