भारत में क्रिप्टोकरेंसी: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2022

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वर्ष 2018 में, वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी निविदा नहीं मानती है और क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को खत्म करने के लिए सभी उपाय किए जाएंगे। इसके तुरंत बाद भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया कि सभी बैंकों और सरकारी संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े सभी पक्षों को किसी भी तरह की सेवाएं प्रदान करना बंद कर देना चाहिए।

2020 में, क्रिप्टोक्यूरेंसी के उपयोग की वृद्धि और उन्नति के साथ, इस परिपत्र को भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वापस ले लिया गया था, जिससे बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े पक्षों के साथ अपने लेनदेन को फिर से शुरू करने की अनुमति मिली। NASSCOM ने इस फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया और जल्द ही भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी ट्रेडिंग को बढ़ावा मिला।

भारत में सर्वश्रेष्ठ क्रिप्टोकरेंसी:

इन विशेषताओं को देखते हुए बिटकॉइन में वृद्धि की स्पष्ट संभावना है। बेशक, पारंपरिक मुद्राओं की तरह आभासी मुद्राओं का भी मनी लॉन्ड्रिंग और अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, संभावनाएं भौतिक दुनिया के समान हैं। जब हम क्रिप्टोकरेंसी पर चर्चा करते हैं तो सबसे पहला नाम बिटकॉइन का आता है। हालाँकि, कुछ और आभासी मुद्राएँ हैं जैसे Ethereum (ETH), Litecoin (LTC), Cardano (ADA), Polkadot (DOT), Stellar (XLM), Dogecoin (DOGE) आदि।

बिटकॉइन का इतिहास:

वर्ष 2009 में एक व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा उपनाम सतोशी नकामोतो का उपयोग करके बनाया गया था। बिटकॉइन को अब तक विकसित पहली क्रिप्टोक्यूरेंसी माना जाता है और वर्तमान में, प्रचलन में 18.5 मिलियन से अधिक बिटकॉइन टोकन हैं।

भारत में क्रिप्टोकरेंसी खरीदना:

भारत में क्रिप्टोकुरेंसी खरीदने के लिए, एक निवेशक को पहले क्रिप्टो एक्सचेंज खोजने के साथ-साथ क्रिप्टो (जैसे बिटकॉइन) के लिए एक तीसरे पक्ष के माध्यम से एक ऑनलाइन स्टोरेज विकल्प बनाना होगा। एक्सचेंज में निवेशक को एक्सचेंज सर्विस के जरिए एक्सचेंज अकाउंट बनाना होगा।

भारत में क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज:

विदेशी निवेशकों की तरह, भारतीय साथियों ने भी डिजिटल सिक्कों में अरबों डॉलर डाले हैं, क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंजों की उपस्थिति के कारण, जो देश में क्रिप्टो उद्योग को फिर से आकार देने का लक्ष्य रखते हैं।

इनमें से कई ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या ऐप, जो अपने ग्राहकों को क्रिप्टोकरेंसी में आसानी से व्यापार करने की अनुमति देते हैं, पिछले कुछ वर्षों में सामने आए हैं। उनमें से कुछ ने अब भारत में डिजिटल संपत्ति की लोकप्रियता का संकेत देते हुए, मंच पर व्यापार करने वाले लाखों से अधिक ग्राहक प्राप्त कर लिए हैं।

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Frequently Asked Questions

Ques: क्या भारत में क्रिप्टोकुरेंसी कानूनी है?

Ans: भारतीय रिजर्व बैंक और भारत सरकार क्रिप्टोक्यूरेंसी को भारत में कानूनी निविदा के रूप में मान्यता नहीं देते हैं। हालाँकि, सरकार Cryptocurrency के लिए एक बिल पर काम कर रही है, लेकिन तब तक यह क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं देश में वैध नहीं है।

Ques: भारत में कौन सी क्रिप्टोकरेंसी सबसे अच्छी है?

Ans: कोई सबसे अच्छी क्रिप्टोकरेंसी नहीं है, क्योंकि यह पूरी तरह से बाजार पूंजीकरण पर निर्भर करता है कि कौन सबसे अच्छा रिटर्न देगा। लेकिन कुछ शीर्ष प्रदर्शन करने वाली क्रिप्टोकरेंसी हैं, जैसे Bitcoin, Ethereum, Solana, Cardano, Tether, आदि।

Ques: भारत में कितनी क्रिप्टोकरेंसी हैं?

Ans: क्रिप्टोकरंसी के व्यापार और बिक्री के लिए सभी 15 घरेलू एक्सचेंज प्लेटफॉर्म हैं। भारत में अब दुनिया में सबसे ज्यादा क्रिप्टो ऑनर हैं।

Ques: क्या भारत में क्रिप्टो प्रतिबंधित है?

Ans: मार्च 2020 में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2018 में भारत सरकार द्वारा लगाए गए क्रिप्टो मुद्राओं पर प्रतिबंध हटा दिया।

Cryptocurrency का भारत में भविष्य क्या?

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)

भारत में क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का भविष्य क्या होगा. ये संसद में आने वाले बिल के बाद तय होगा. क्योंकि बहुत जल्द सरकार संसद में क्रिप्टो करेंसी रेगुलेशन बिल पेश करने वाली है. ऐसे में निवेशकों के मन में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लग गया तो उनके पैसे का क्या होगा. तो हम आपको पूरी रिसर्च के बात बताते हैं कि क्रिप्टो करेंसी पर आगे की राह क्या होगी. ऐसे में अगर बैन लग गया तो बैंक और आपके क्रिप्टो एक्सचेंज के बीच लेनदेन बंद हो जाएगा. क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए रुपये को डॉलर या दूसरी करेंसी में कन्वर्ट नहीं कर पाएंगे. साथ ही दूसरी करेंसी में खरीदे गए क्रिप्टो कॉ़इन को बेचकर रुपये में ट्रांजेक्शन नहीं होगा.

भारत में कितना बड़ा है क्रिप्टो मार्केट?
आपको बता दें कि फिलहाल भारत में 10 करोड़ ऐसे निवेशक हैं. जिनका पैसा क्रिप्टोमार्केट में लगा है. दावा है कि करीब 6 लाख करोड़ रुपया इस वक्त भारतीयों का क्रिप्टो मार्केट में लगा है. इसमें औसतन हर निवेशख का 9 हजार रुपये का इनवेस्टमेंट है. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की चिंता इसलिए है, क्योंकि 60 फीसदी निवेशक ऐसे हैं, जो छोटे शहरों से आते हैं। इसके अलावा निवेशकों की औसत उम्र 24 साल है. मतलब ज्यादातर युवा इस नए तरह के इनवेस्टमेंट मार्केट से जुड़े हैं.

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में क्या फर्क?
क्रिप्टोकरेंसी आम करेंसी से अलग है. इसे न तो छू सकते हैं, न ही इससे कुछ खरीद सकते हैं, बल्कि इसे सिर्फ ऑनलाइन रख सकते हैं. चिंता की वजह ये है कि इस करेंसी को लेकर कोई रेग्युलेटर नहीं है. दुनिया क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं की किसी सरकार का इस पर कंट्रोल नहीं है. इस वक्त दुनिया में 1,000 से ज्यादा क्रिप्टोकरेंसी चलन में है और 308 से ज्यादा क्रिप्टो एक्सचेंज हैं. इस मार्केट की शुरुआत 2009 में हुई थी. इस करेंसी की कीमतों में उतार-चढ़ाव काफी ज्यादा होता है. कोरोना काल में तो भारत में क्रिप्टो मार्केट काफी ऊंचाई पर पहुंच चुका है, जबकि डिजिटिल करेंसी केंद्रीय बैंक की देनदारी होती है. इसे केंद्रीय बैंक ही जारी करता है, इसीलिए इसकी कीमतों पर केंद्रीय बैंक का कंट्रोल रहता है.

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर कब क्या हुआ?
2018 में भारत में आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचा तो कोर्ट ने बैन हटा दिया, लेकिन क्रिप्टोमार्केट को लेकर चिंता जारी रहीं. 11 नवंबर 2021 को आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो करेंसी पर गंभीर चिंताएं जाहिर की. इसके बाद 13 नवंबर 2021 को पहली बार पीएम मोदी ने क्रिप्टो मार्केट पर बैठक की. इस बैठक के बाद क्रिप्टो करेंसी पर लगातार सवाल उठने लगे. 15 नवंबर 2021 को संसदीय समिति में क्रिप्टो पर चर्चा की गई और संसदीय समिति में बैन की बजाय रेगुलेट करने पर बातचीत हुई. इसके बाद 18 नवंबर 2021 को सिडनी संवाद में पीएम मोदी ने क्रिप्टो पर एक बार फिर चिंता जाहिर की.

क्रिप्टो पर किस देश का क्या रुख
भारत में क्रिप्टो को लेकर गंभीर चिंताएं हैं, लेकिन अल सल्वाडोर ने बिटकॉइन को लीगर टेंडर घोषित कर दिया, जबकि अमेरिका क्रिप्टोकरेंसी के हिसाब से अपनी नीतियां बना रहा है. दक्षिण कोरिया भी इस करेंसी को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रहा है. हालांकि चीन इस करेंसी का लगातार विरोध कर रहा है.

किन-किन क्रिप्टोकरेंसी के प्राइवेट होने का डर
जानकारों के मुताबिक कुछ प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी ऐसी हैं, जिनकी गतिविधियां संदिग्ध रही है. इसीलिए इन क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने की बात चल रही है. इसमें कुछ नाम इस तरह हैं. Monero(XMR), Dash Coin, Zcash(ZEC), Verge(XVG), Beam, Grin, Horizen(ZEN), Firo(FIRO), Byte Coin(BCN), UCoin और Delta. हालांकि 2019 में सरकार के पेश किए गए विधेयक के नाम में क्रिप्टोकरेंसी को बैन करना का जिक्र था, लेकिन 2021 आते आते विधेयक के नाम में से बैन शब्द हट गया है, जिसके बाद क्रिप्टो करेंसी के निवेशकों को उम्मीद जगी है. अब कुल मिलाकर अब इंतजार संसद में पेश होने वाले मसौदे का है, जिसमें ये तस्वीर साफ हो पाएगी, कि भारत में क्रिप्टो मार्केट चलता रहेगा या फिर निवेशकों की गाड़ी कमाई डूब जाएगी.

जाने क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल? आखिर सरकार कैसे इसकी मदद से क्रिप्टो पर पाएगी काबू?

भारत सरकार ने 23 नवंबर को एक क्रिप्टोकरेंसी बिल पेश करने की घोषणा की, जिसके तहत देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। निवेशकों को क्रिप्टोकरेंसी की अनियंत्रित अस्थिरता से बचाने के लिए कड़े कदम उठाने का यह फैसला किया गया है। निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की खबर सामने आते ही क्रिप्टो बाजार में सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी में 25 से 30% की गिरावट आई है। आइए जानते हैं की आखिर केंद्र द्वारा लाई जा रही क्रिप्टोकरेंसी बिल क्या है? जिससे केंद्र सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर काबू पाने की बात कह रही है। आखिर क्यों क्रिप्टो मार्केट में इस बिल के आने से हड़कंप मच गया है?

क्या है क्रिप्टोकरेंसी?

क्रिप्टोक्यूरेंसी अनिवार्य रूप से एक डिजिटल मुद्रा है। यह ब्लॉक-चेन तकनीक पर उपलब्ध होती है। कुछ लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन और एथेरियम हैं।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी बिल?

  • क्रिप्टोकरेंसी के नियमन के लिए केंद्र सरकार द्वारा संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल करेंसी रेगुलेशन बिल 2021 पेश किया जाएगा। शीतकालीन सत्र में 26 विधेयक पेश करने के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें क्रिप्टोकुरेंसी बिल शामिल हैं।
  • बिल के माध्यम से, सरकार भारतीय रिजर्व बैंक के तहत एक आधिकारिक क्रिप्टोकरेसी जारी करने के लिए एक आसान ढांचा तैयार करने की योजना बना रही है। इसकी तकनीक और इस्तेमाल को लेकर भी तैयारी की जा रही है।
  • करेंसी को रेगुलेट करने वाली इस बिल के तहत एक ऐसा प्रावधान लाया जाएगा, जिससे सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगेगी। यही कारण है कि क्रिप्टो बाजार में उत्तल पुथल मची हुई है।

पहली संसदीय समिति बैठक में हुई थी यह बात…

करीब सात दिन पहले यानी 16 नवंबर को क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पहली बार संसदीय समिति की बैठक हुई थी। इसमें क्रिप्टो एक्सचेंज, ब्लॉकचेन, क्रिप्टो एसेट काउंसिल, उद्योगजगत के प्रतिनिधियों और अन्य पक्षों को लेकर क्रिप्टोकरेंसी के नियमन और प्रोत्साहन से संबंधित पहलुओं पर चर्चा की गई। वित्त मामलों की संसदीय समिति में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर जब चर्चा हुई तो इस पर पाबंदी के बजाय इसके नियमन का सुझाव दिया गया था।

नेपाल में बिटकॉइन बैन…

आपको बता दें कि जहां भारत में अब इस मुद्दे पर कानून बनाने की बात हो रही है वहीं पड़ोसी देश नेपाल इसे प्रतिबंधित करने में भारत से पीछे नहीं रहा है। बिटकॉइन (Bitcoin) विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी के बीच बाजार पूंजीकरण के हिसाब से सबसे बड़ी डिजिटल मुद्रा है और भारत का पड़ोसी देश नेपाल के केंद्रीय बैंक ‘नेपाल राष्ट्र बैंक’ ने अगस्त 2017 में ही इसे अवैध घोषित कर दिया था। तब से नेपाल में बिटकॉइन अवैध है।

चीन में क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से बैन..

वहीं, चीन की बात करें तो क्रिप्टोकरेंसी पर अंकुश लगाने के मामले में चीन सबसे सख्त रहा है। साल 2021 में चीन ने कई मौकों पर क्रिप्टोकरेंसी में लेनदेन पर कड़ा प्रहार किया और आखिरकार डिजिटल मुद्रा में सभी प्रकार के लेनदेन को अवैध बना दिया। इतना ही नहीं चीन का केंद्रीय बैंक अपनी खुद की डिजिटल करेंसी भी लॉन्च करने जा रहा है। चीन और नेपाल के अलावा क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने वाले देशों की लिस्ट में वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया, इराक, इरान, मिस्र, कोलंबिया और बोलिविया शामिल हैं।

क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल

भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए.

क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल

भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है. अब जो करेंसी किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है. दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.

नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं. हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं. ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए. हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीटीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं. कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है.

आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा. भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए. फिलहाल सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक से कोई दिक्कत नहीं, न ही क्रिप्टोकरेंसी इनकम पर मिलने वाले टैक्स से. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को भी आतुर है. यह वही बात हो गई है कि कमरे में हाथी रखा है और सबने उसकी अपनी तरह से व्याख्या की है. भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. एक ऐसा देश जो आईटी सेक्टर का हब हो, जहां 500 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो और जिसने डिजिटल इंडिया का ख्बाव देखा हो, वह ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के दौर में पिछड़ कर रह जाएगा. ये भी देखिए: बिटकॉइन कैसे काम करता है और यह किस काम आता है.

DNA एक्सप्लेनर: क्या Cryptocurrency को मिली भारत सरकार से कानूनी मान्यता?

DNA एक्सप्लेनर: क्या Cryptocurrency को मिली भारत सरकार से कानूनी मान्यता?

डीएनए हिंदी: केंद्रीय बजट 2022 (Union Budget 2022) को भविष्य का बजट (Futuristic Budget) कहा जा रहा है. केंद्र सरकार के मुताबिक जब भारत 2047 में अपने स्वतंत्रता के 100 साल पूरे करेगा तब इस बजट के दूरगामी परिणाम नजर आएंगे. यह 2047 तक का आर्थिक रोडमैप तैयार करने वाला बजट है. बजट भारत को डिजिटल सुपर पॉवर बनाने की दिशा में उठाया गया एक कदम है.

बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट पेश करने के दौरान मंगलवार को डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की है. बजट में यह भी घोषणा की गई है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस साल भारत की नई डिजिटल मुद्रा लॉन्च करेगा. इसके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और रक्षा के क्षेत्र में डिजिटल सेवाओं के विस्तार के लिए भी कई बड़ी घोषणाएं की गई हैं. बैंकों को डाकघर से भी डिजिटल तौर पर जोड़ा जाएगा.

बजट 2022 में सबसे ज्यादा चर्चा डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी (crypto currency) पर हो रही है. सरकार ने डिजिटल और क्रिप्टो करेंसी पर नया टैक्स लगाया है. भारत में डिजिटल करेंसी से होने वाली कमाई पर अब 30 फीसदी टैक्स लगेगा. इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति अब डिजिटल मुद्रा में 100 रुपये का निवेश करता है और उसे 10 रुपये का लाभ होता है तो इस लाभ में से 3 रुपये कर के तौर पर सरकार को देना होगा.

क्या है Crypto Currency पर टैक्स का फॉर्मूला?

डिजिटल करेंसी के हर एक ट्रांजेक्शन (Transaction) पर सरकार को अलग से एक फीसदी टीडीएस (TDS) देना होगा. अगर किसी शख्स ने डिजिटल मुद्रा में निवेश किया है तो यह निवेश उसकी संपत्ति है. अब अगर यह शख्स इस संपत्ति को किसी और को ट्रांसफर करता है तो उसे उस संपत्ति की कुल लागत पर एक प्रतिशत की दर से अलग से टीडीएस देना होगा. TDS का मतलब सोर्स पर टैक्स कटौती है. यानी वह कर जो किसी सोर्स पर लगाया जाता है. सरकार आपसे हर महीने मिलने वाली सैलरी पर जो टैक्स लेती है, वह टीडीएस है. यानी कुल मिलाकर सरकार डिजिटल करेंसी को आय का जरिया मान रही है और इसकी कमाई पर 30 फीसदी टैक्स भी लगाया गया है.

क्या सरकार ने डिजिटल करेंसी पर टैक्स लगाकर इसे लीगल कर दिया है?

मौजूदा कानून के मुताबिक इस सवाल का जवाब हां या न में देना मुश्किल है. दरअसल सरकार सिर्फ उन्हीं डिजिटल करेंसी को लीगल मान रही है जिन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जारी करेगा. इसका मतलब यह है कि फिलहाल मौजूद क्रिप्टोकरेंसी, जैसे कि बिटकॉइन को डिजिटल मुद्रा नहीं माना जाएगा. इसे डिजिटल एसेट माना जाएगा. अगर आपको यह सब जटिल लगता है तो इसे ऐसे समझें जैसे आप जो सोना खरीदते हैं या जो आपका घर है वह आपकी संपत्ति है. यह आपकी संपत्ति है, मुद्रा नहीं. इसी तरह, क्रिप्टो करेंसी भारत सरकार के लिए एक संपत्ति होगी और लोगों पर टैक्स लगाया जाएगा. इसलिए अगर आप सोच रहे हैं कि बिट कॉइन जैसी डिजिटल करेंसी को लीगल माना गया है तो यह तकनीकी रूप से सही नहीं होगा. हालांकि लोग इसमें निवेश कर सकेंगे.


अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में डिजिटल करेंसी पर वहां की सरकारों द्वारा इसी तरह से टैक्स लगाया जाता है. यही वजह है कि इन देशों में इस मुद्रा को वैध माना जाता है. कुछ देश इस नियम का अपवाद भी माने जाते हैं.

कब लॉन्च होगी भारत की डिजिटल करेंसी?

2023 तक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी डिजिटल करेंसी को अलग से लॉन्च करेगा जो बाकी मुद्राओं की तुलना में अधिक सुरक्षित और स्थिर होगी. आसान भाषा में कहें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कागजी करेंसी छापता है, ठीक उसी तरह उसकी सील वाली डिजिटल करेंसी भी आएगी, जिससे लोग उसमें निवेश कर सकेंगे. अगर कोई व्यक्ति उपहार में डिजिटल करेंसी दूसरे व्यक्ति को भेजता है तो ऐसे में जिस व्यक्ति को यह करेंसी मिलती है उसे 30 फीसदी टैक्स देना होगा.

क्यों सरकार ने टैक्स लगाने का लिया फैसला?

सरकार के इस फैसले के पीछे एक बड़ा कारण यह हो सकता है कि हमारे देश में क्रिप्टो करेंसी में निवेश करने वालों की संख्या आबादी का लगभग 8 प्रतिशत है. ये लोग इस समय डिजिटल करेंसी के तौर पर अपने 70,000 करोड़ रुपये का दांव लगा रहे हैं. पूरी दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करने में भारतीय सबसे आगे हैं. सीधे शब्दों में कहें तो यह 30 फीसदी टैक्स सीधे तौर पर 70,000 करोड़ रुपये के निवेश की गारंटी देगा. भारत में इसका इस्तेमाल बढ़ा सकता है. सरकार जानती है कि इस फैसले के बाद लोगों को डिजिटल करेंसी में निवेश के लिए प्रोत्साहन मिलेगा.

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