Money Guru: चढ़ते बाजार में कहां करें निवेश? इक्विटी में क्या हो स्ट्रैटेजी? एक्सपर्ट से यहां जानें स्मार्ट फंडा
Money Guru: निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि चढ़ते बाजार में कहां निवेश करें? खासकर इक्विटी में निवेश की क्या स्ट्रैटेजी हो ? डेट का पोर्टफोलियो कैसे बनाएं?
Money Guru: शेयर बाजार में काफी गिरावट और उतार-चढ़ाव के दौर के बाद पिछले इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न कुछ दिनों से मार्केट में उछाल का ट्रेंड देखा जा रहा है. ऐसे में बाजार का निवेश का असर होना लाजिमी है. अब निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि चढ़ते बाजार में कहां निवेश (Where to invest in a bullish market) करें? खासकर इक्विटी में निवेश की क्या स्ट्रैटेजी हो ? डेट का पोर्टफोलियो कैसे बनाएं? ऐसे ही कुछ सवालों को लेकर हो रही उलझन यहां दूर कर सकते हैं. हम इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न फौजी इनिशिएटिव के सीईओ कर्नल संजीव गोविला(रिटायर्ड) और फिनकार्ट के सीईओ तनवीर आलम से हम यहां इन बातों को समझते हैं.
बाजार का निवेश पर असर
दुनियाभर के बाजार में उतार-चढ़ाव
जियो-पॉलिटिकल टेंशन,महंगाई का असर
भारत में बढ़ती ब्याज दरों का दौर
बाजार में टेंशन से निवेश में नुकसान
भारत में दूसरी अर्थव्यवस्थता के मुकाबले बेहतर स्थिति
भारतीय बाजार में रिकवरी के बेहतर संकेत
इक्विटी-कहां निवेश सही?
लार्जकैप फंड (Large Cap Fund) में निवेश करना सही
अस्थिर बाजार का लार्जकैप पर कम असर
फ्लेक्सी कैप फंड में निवेश करना बेहतर
फ्लेक्सीकैप में मार्केट कैप में बदलाव का विकल्प
जोखिम लेने वाले,मिड,लार्ज एंड मिड,मल्टी और स्मॉलकैप में जाएं
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड,बाजार की अस्थिरता में बेहतर
इक्विटी-कहां निवेश नहीं
सेक्टर आधारित निवेश करने से बचें
सेक्टोरल फंड काफी अस्थिर हो सकते हैं
थीम बेस्ड फंड में निवेश जांच-परखकर करें
किसी थीम के अच्छे/बुरे प्रदर्शन का फंड पर असर
डेट-कहां निवेश सही?
शॉर्ट टर्म डेट फंड (short term debt fund) में निवेश करें
छोटी अवधि की FD करें
बड़ी कंपनियों की कॉर्रपोरेट FD करें
डेट-कहां निवेश नहीं
लंबी अवधि की FD में पैसे नहीं डालें
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर में अभी निवेश से बचें
मार्केट लिंक्ड डिबेंचर अभी निवेश के लिए रिस्की
टार्गेट मैच्योरिटी फंड में शॉर्ट टर्म उतार-चढ़ाव संभव
फ्लेक्सीकैप फंड
बाजार के उतार-चढ़ाव में Flexicap Fund जोखिम कम करता है
फंड मैनेजर के लिए मार्केट कैप एक्सपोजर बदलना आसान
निवेशकों के लिए पोर्टफोलियो बैलेंस करना आसान
छोटे निवेशकों के लिए फायदेमंद स्कीम
बेहतर करने वाले स्टॉक में निवेश बढ़ा सकते हैं
कम जोखिम के साथ बेहतर रिटर्न का इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न फायदा
कैटेगरी का इक्विटी में कम से कम 65% निवेश
बैलेंस्ड एडवांटेज फंड
BAF बाजार के उतार-चढ़ाव में कारगर
BAF: बैलेंस्ड एडवांटेज फंड
बाजार की गिरावट को मैनेज करना खासियत
इक्विटी-डेट के बीच एलोकेशन घटाना-बढ़ाना संभव
फंड वैल्युएशन बेस्ड या ट्रेंड बेस्ड मॉडल पर आधारित
शेयरों का भाव ज्यादा तो फंड बॉन्ड में ज्यादा पैसे लगाते हैं
भाव लुढ़क जाते हैं तो बॉन्ड से पैसा निकालकर शेयरों में निवेश
सवाल-जवाब
एक निवेशक जिनकी उम्र 29 साल
8 फंड में 15 हजार की SIP
7 करोड़ बनाने का लक्ष्य
NPS में 13 हजार का मासिक योगदान
40-50 हजार निवेश का विकल्प बताएं।
निवेशक का पोर्टफोलियो
फंड निवेश
Quant Absolute Fund ₹1500
Parag Parikh Flexi cap ₹1500
Quant Small cap ₹1000
Tata Digital Ind. ₹1000
PGIM Ind. Midcap Opp. ₹1500
Canara Robeco Smallcap ₹2500
Edelweiss IPO ₹1500
Nippon Balanced + portfolio ₹5000
निवेशक को सलाह
थीमैटिक,स्मॉलकैप में बड़ा निवेश नहीं करें
नया निवेश डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड में करें
मौजूदा निवेश से 7 करोड़ का लक्ष्य 20 साल में हासिल करेंगे
NPS में इक्विटी का एक्सपोजर ज्यादा रखें
पोर्टफोलियो में लार्जकैप,फ्लेक्सीकैप,मिडकैप शामिल करें
निवेश रकम को हर साल 7-10% से बढ़ाते रहें
एक निवेशक जिनकी उम्र 33 साल
मासिक आय- ₹90 हजार
70 लाख का टर्म प्लान
हेल्थ इंश्योरेंस- ₹4 लाख+₹16 लाख(टॉप-अप)
NPS में कुल वैल्यू- ₹1.95 लाख
SSY में कुल वैल्यू- ₹1.20 लाख
6 फंड में ₹30 हजार की SIP
12 साल में जमीन के लिए ₹44 लाख लक्ष्य
13 साल में घर के लिए ₹95 लाख का लक्ष्य
15-18 साल में बेटी की पढ़ाई- ₹12 लाख लक्ष्य
22 साल में बेटी की शादी-₹75 लाख का लक्ष्य
रिटायरमेंट के लिए ₹4 करोड़ का लक्ष्य
निवेशक का पोर्टफोलियो
फंड निवेश
Mirae Asset Emer. Bluechip ₹7000
P. Parikh Flexicap ₹7000
Axis Bluechip ₹5000
Mirae Asset Tax Saver ₹7000
PGIM Ind. Midcap Opp. ₹2000
Axis Banking&PSU Debt ₹2000
निवेशक को सलाह
फंड का सेलेक्शन अच्छा है
कम से कम 6 महीने की इमरजेंसी फंड बनाएं
लक्ष्य हासिल करने के लिए निवेश कुछ कम
NPS से रिटायरमेंट के लिए ₹4 करोड़ जमा कर सकते हैं
SIP को हर साल 10% से बढ़ाएं.
इक्विटी में निवेश की है प्लानिंग, इन तरीकों से पा सकते हैं बेहतर रिटर्न; जानिए डिटेल
Stock Investment Planning: अगर आप भी इक्विटी निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो कुछ तरीकों से आप अपने इक्विटी निवेश पर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
जानिए कैसे करें इक्विटी में निवेश की प्लानिंग (फोटो-Freepik)
भविष्य की चिंताओं और पैसे की जरूरत को लेकर लोग तरह-तरह इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न के निवेश की प्लानिंग करते हैं। कोई सरकारी योजनाओं में पैसा निवेश करता है तो वही कोई शेयर मार्केट में पैसा लगाता है। साथ ही इक्विटी निवेश की भी तैयारी लोगों की ओर से की जाती है। अगर आप भी इक्विटी निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो कुछ तरीकों से आप अपने इक्विटी निवेश पर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
फंड की अनिश्चितता
निवेश करने पर भविष्य में बेहतर रिटर्न मिलता है, इस कारण मुनाफे का एक अनुमान लगाया जा सकता है। खासकर इक्विटी फंड में निवेश की निश्चितता नहीं है। इसलिए सलाह दी जाती है कि बेहतर इक्विटी फंड का चयन करके ही निवेश करना चाहिए।
एक अच्छा प्रॉसेस
उन प्रॉसेस पर आपको विशेष ध्यान देना चाहिए, जिन्हें आप इक्विटी फंड चुनने के लिए अपनाते हैं। वह समय बिंदु जिस पर आप निवेश करते हैं और वह अवधि जिसके लिए आप निवेश करते हैं। आप एक अच्छे प्रॉसेस का उपयोग करके अपने निवेश को उच्च जोखिम से बचा सकते हैं और निवेश पर मार्केट लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
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ऐतिहासिक रिटर्न
ऐतिहासिक रिटर्न को देखना सबसे आसान काम है। जब इक्विटी की बात आती है, तो रिटर्न बहुत अस्थिर हो सकता है। आप ऐसे फंड का चयन करें, जो मार्केट में अच्छा वैल्यू रखता हो और जिसपर आपको अच्छा रिटर्न मिलने का अनुमान हो। हालाकि इसके बारे में आपको अच्छे से जानकारी ले लेना चाहिए।
ज्यादा फंड रखना
यदि आप अपने निवेश में विविधता लाते हैं तो आपके पास इक्विटी शेयरों का एक समूह होगा। आप जितना अधिक निवेश करते हैं, आपको उतना ही अधिक मुनाफा मिलने की उम्मीद होती है।
लंबी अवधि के लिए एसआईपी का चयन
अगर आप एक समय में बहुत अधिक पैसा लगाए बिना लगातार निवेश करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि यह बाजार चक्रों में लंबी अवधि के लिए निवेशित रहता है, तो आपका रिटर्न लंबी अवधि के औसत के करीब होने की संभावना है। ऐसे निवेश के लिए एसआईपी का उपयोग करके हासिल किया जा सकता है।
लंबे समय तक टिके रहना
अगर आपका इक्विटी शेयर मजबूत है और आगे रिटर्न मिलने के चांस अच्छे हैं तो इक्विटी निवेश से लंबी अवधि का रिटर्न मुद्रास्फीति के आंकड़ों को मात दे सकता है। इसमें आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है, साथ ही लंबे समय तक टिके रहने पर परिसंपत्तियों में निवेश करने और अधिक रिटर्न अर्जित करने में सक्षम बनाती है। इस व्यवसाय जोखिम की भरपाई इक्विटी निवेश पर जोखिम प्रीमियम द्वारा की जाती है।
स्थिर रिटर्न की उम्मीद न करें
भारत में व्यवस्थित रूप से निवेश करने से औसत लंबी अवधि का रिटर्न लगभग 14-16% रहा है। अगर भविष्य में महंगाई कम होती है तो इसमें कमी आएगी। यह भी गंभीर अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के अधीन होगा। इसलिए, हर साल एक स्थिर रिटर्न कमाने की उम्मीद न करें बल्कि उतार-चढ़ाव की उम्मीद करें, जो समय के साथ औसत हो जाते हैं।
म्यूचुअल फंड: निवेश पर घटा सकते हैं जोखिम, लॉन्ग टर्म रिटर्न के हिसाब से करें किसी भी फंड का चुनाव
रूस-यूक्रेन संकट के बाद से दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव जारी है। इस कारण निवेशक सीधे इक्विटी में पैसा लगाने के बजाय म्यूचुअल फंडों में निवेश कर रहे हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश पर भी जोखिम है, लेकिन इसे कम किया जा सकता है। जोखिम कैसे घटाएं, पूरा गणित बताती कालीचरण की रिपोर्ट-
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
- लॉन्ग टर्म यानी 8-10 साल के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें तो इससे लिवाली और बिकवाली दोनों परिस्थितियों में फंड के प्रदर्शन को समझने इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न में मदद मिलती है।
- 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड देखें, फंड के पूरे प्रदर्शन को समझने में मिलती है मदद।
- ऐसे फंड का चयन करें, जिसने कम-से-कम 2-3 साल की अवधि में लगातार बेहतर प्रदर्शन किया हो
अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।
सभी एनएफओ में निवेश से बचें
पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (एनओफओ) लाती हैं। िवेशक अधिक रिटर्न इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न के लिए एनएफओ में निवेश करते हैं। हालांकि, सभी एनएफओ में निवेश से बचना चाहिए। ये नए ऑफर होते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश करना चाहिए। यह भी देखना देना है कि इनमें क्या नया है और लागत कितनी है।
लार्जकैप में लगाएं पैसा
मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक रहता है। इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न लार्जकैप में निवेश इसलिए बेहतर है क्योंकि बाजार की गिरावट के दौरान भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहता है।
लार्जकैप में निवेश का पैसा उन बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है, जिनकी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ होती है। इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें नरमी आती भी है तो कुछ समय बाद इनके शेयर चढ़ जाते हैं।
फंडामेंटल की जांच जरूर करें
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इसका फंडामेंटल जरूर जांच लें। फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं। कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से शॉर्ट टर्म में थोड़ा मुनाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। -अतुल गर्ग, निवेश सलाहकार
विस्तार
बीपीएन फिनकैप के निदेशक एके निगम का कहना है कि इक्विटी बाजार की तरह म्यूचुअल फंडों में निवेश पर भी जोखिम रहता है। इस जोखिम के कई कारण होते हैं। इनमें घरेलू के साथ वैश्विक कारण भी होते हैं, जिससे म्यूचुअल फंड में निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ता है। हालांकि, फंड मैनेजरों की मदद से और अपनी निवेश रणनीति बदलकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है। बाजार में म्यूचुअल फंड की कई योजनाएं उपलब्ध हैं, जिसमें अपने लिए बेहतर का चयन कर निवेश कर सकते हैं।
- एके निगम का कहना है कि अगर रिटर्न के हिसाब से अपने लिए किसी म्यूचुअल फंड योजना का चुनाव कर रहे हैं तो हमेशा लॉन्ग टर्न रिटर्न देखें।
अपने जोखिम का आकलन करें
सेबी के मुताबिक, एसेट मैनेजमेंट कंपनी को अपने सभी फंड के लिए रिस्क-ओ-मोटर दिखाना होता है। इसमें म्यूचुअल फंड से जुड़े सभी जोखिम के स्तर के बारे में जानकारी देनी होती है। इससे पहले रिस्क-ओ-मीटर में किसी खास श्रेणी से जुड़े जोखिम को दिखाया जाता था, लेकिन अब किसी फंड में निवेश से पहले इस मीटर से जांच लें कि किस फंड से जुड़ा जोखिम आपकी क्षमता के अनुकूल है। इसका स्तर लिक्विडिटी, क्रेडिट, ब्याज दर, बाजार पूंजीकरण और उतार-चढ़ाव जैसे जोखिमों के आधार पर तय होती है।
सभी एनएफओ में निवेश से बचें
पूंजी जुटाने के लिए एएमसी न्यू फंड ऑफर (एनओफओ) लाती हैं। िवेशक अधिक रिटर्न के लिए एनएफओ में निवेश करते हैं। हालांकि, सभी एनएफओ में निवेश से बचना चाहिए। ये नए ऑफर होते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं होती है। इसलिए सावधानी से इसमें निवेश करना चाहिए। यह भी देखना देना है कि इनमें क्या नया है और लागत कितनी है।
लार्जकैप में लगाएं पैसा
मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेश पर अधिक रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इसमें जोखिम भी अधिक रहता है। लार्जकैप में निवेश इसलिए बेहतर है क्योंकि बाजार की गिरावट के दौरान भी इसका प्रदर्शन बेहतर रहता है।
लार्जकैप में निवेश का पैसा उन बड़ी कंपनियों में लगाया जाता है, जिनकी अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ होती है। अगर बाजार की गिरावट के दौरान इनमें नरमी आती भी है तो कुछ समय बाद इनके शेयर चढ़ जाते हैं।
फंडामेंटल की जांच जरूर करें
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले इसका फंडामेंटल जरूर जांच लें। फंड के पोर्टफोलियो में देख लें कि यह कितना मजबूत है और इसका पैसा सभी सेक्टर्स की टॉप कंपनियों में लगा है या नहीं। कमजोर फंडामेंटल वाले फंड में निवेश से शॉर्ट टर्म में थोड़ा मुनाफा हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। -अतुल गर्ग, निवेश सलाहकार
म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले जान लें ये तीन रिस्क, फायदे में रहेंगे आप
डायवर्सिफाइड कर अनसिस्टेमेटिक रिस्क को कम किया जा सकता है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय तक होल्ड कर ही सिस्टेमेटिक रिस्क को एक हद तक कम किया जा सकता है.
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) जैसे मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट में निवेश करते समय हम सभी को पहले इसमें हमेशा ही मौजूद रहने इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न वाले जोखिमों को समझना होगा और फिर यह भी समझना होगा कि जोखिम को पूरी तरह से नष्ट या समाप्त नहीं किया जा सकता है, बल्कि इसे केवल कम या ट्रांसफर ही किया जा सकता है. रिस्क इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न को ट्रांसफर करने का सीधा सा मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति आवश्यक सीमा तक रिटर्न (Return) प्राप्त करने के लिए अभी जोखिम नहीं लेता है. और अगर प्राप्त राशि सोची गई रकम से कम रह जाती है तो वह बाद में बहुत अधिक जोखिम उठा सकता है. दूसरी ओर जोखिम को कम करने का अर्थ है जहां तक संभव हो इसे कम करना और इस प्रकार परिणाम को सबसे बेहतर स्तर तक ले जाना.
इक्विटी में निवेश करने वाले प्रोडक्ट के लिए दो सबसे चर्चित जोखिम हैं, पहला अनसिस्टेमेटिक रिस्क (सेक्टर या कंपनी पर केंद्रित) और दूसरा सिस्टेमेटिक रिस्ट (पूरे बाजार में निहित जोखिम, उदाहरण के लिए जंग). कई विशेषज्ञ अस्थिरता और जोखिम के बीच के अंतर पर भी प्रकाश डालते हैं. अस्थिरता केवल कीमतों में रोजाना का उतार-चढ़ाव है, जबकि जोखिम को दीर्घकालिक वित्तीय लक्ष्यों या परिणामों को तैयार करने या प्राप्त करने में असमर्थता के रूप में माना जा सकता है. इस प्रकार, इक्विटी को अस्थिर कहा जा सकता है लेकिन शायद वह जोखिम भरा नहीं है, जबकि एक गारंटेड, पारंपरिक, फिक्स इनकम प्रोडक्ट देखने में स्थिर लेकिन अपेक्षाकृत जोखिम भरे हो सकते हैं.
स्ट्रैटेजी से कम करें रिस्क
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड (PGIM India Mutual Fund) के सीईओ अजीत मेनन ने कहा, अलग-अलग प्रकार के जोखिमों की बात करें तो इक्विटी में शामिल जोखिमों को कम करने के लिए पर्याप्त रणनीतियां हैं. विभिन्न शेयरों, सेक्टर्स, निवेश शैलियों आदि पर पोर्टफोलियो को एक बिंदु तक डायवर्सिफाइड कर अव्यवस्थित जोखिम को कम किया जा सकता है, जबकि सिर्फ समय सीमा को बढ़ाकर और इक्विटी को पर्याप्त लंबे समय इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न तक होल्ड कर ही व्यवस्थित जोखिम को एक हद तक कम किया जा सकता है. ये दोनों विचार पीजीआईएम इंडिया में हमारे पोर्टफोलियो निर्माण प्रक्रिया में शामिल हैं. हम कॉरपोरेट गवर्नेंस मानकों, कमाई के ट्रैक रिकॉर्ड और स्थिरता, दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य और पूंजी दक्षता पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि ये कुछ ऐसे कारक हैं जो यह सुनिश्चित करते हैं कि हमारे पोर्टफोलियो में जोखिम काफी हद तक कम हो.
स्टॉक को चुनने के लिए हमारा दूसरे स्तर का फिल्टर कम डेट टु इक्विटी रेशियो, पिछली साइकिल में सकारात्मक ऑपरेटिंग कैशफ्लो से लेकर हमारे पोर्टफोलियो में अनिवार्य रूप से तैयार डाउनसाइड प्रोटेक्शन पर आधारित होता है. हम पीईजी अनुपात (मूल्य/आय से वृद्धि) जैसे विभिन्न अन्य मापदंडों को देखते हुए इसमें मदद करते हैं. यह हमें बताता है कि हम इस बात को लेकर सचेत हैं कि हम भविष्य के ग्रोथ पोटेंशियल के लिए आज कितना भुगतान कर रहे हैं.
एक हालिया उदाहरण हमारे प्रोसेस को बखूबी बयां करता है, जिसमें कुछ नए युग की टेक कंपनियों के आईपीओ से दूर रहने के कारण हम बड़ी गिरावट से बचने में सफल रहे हैं. सकारात्मक नकदी प्रवाह पर हमारे इन्वेस्टमेंट फिल्टर ने इस मामले में हमारे पक्ष में काम किया है.
बिहेवियर रिस्क
तीसरे प्रकार का जोखिम जिसके बारे में विशेषज्ञ कम ही बात करते हैं, वह है बिहेवियर रिस्क. यह मनी मैनजर्स और इंन्वस्टर्स दोनों के रूप में हमारे पूर्वाग्रहों से संबंधित है. यह हमें डेटा को निष्पक्ष रूप से देखने से रोकता है और इस तरह त्रुटियां पैदा होती हैं. इनकी वजह से कभी-कभी पूंजी का स्थायी नुकसान हो सकता है. बेहतर रिटर्न की उम्मीद में उन शेयरों को होल्ड करने की प्रवृत्ति, जिनके फंडामेंटल में कमी आने के कारण उनके मूल्य में गिरावट आई है, ऐसा ही एक उदाहरण है. लोकप्रिय रूप से इसे डिसपोजीशन इफेक्ट के रूप में जाना जाता है, यहां हम अपने घाटे वाले शेयरों को अपने पोर्टफोलियो में रखते हुए अपने मुनाफे वाले शेयरों को बेचते हैं.
वास्तव में अन्य पहलू भी हैं जो हमारी मदद करते हैं जैसे इक्विटी रिसर्च एनालिस्ट टीम जो कि आंतरिक रूप से अपने विभिन्न दृष्टिकोणों पर चर्चा करती है. यह बिहेवियर रिस्क में कमी लाने के लिए भी काम करती है, क्योंकि यहां विचारों पर विभिन्न प्रकार के दृष्टिकोण रखते हुए काफी गहन चर्चा की जाती है.
एक और चीज जो हमारे दृष्टिकोण में विस्तार लाती है, वह है हमारी ग्लोबल टीमों से मिलने वाला समर्थन और इनपुट. यह मदद हमें वैश्विक स्तर पर घटने वाली घटनाओं को समझने में मदद करता है, और बाजारों पर पड़ने वाले प्रभाव को और भी बारीकी से समझने में मदद करता है. यह सब मिलकर मात्रात्मक फिल्टर के साथ व्यक्तिगत व्यवहार से जुड़े जोखिम को काफी हद तक कम करने करती हैं. इन फिल्टर्स की चर्चा हमने ऊपर की है.
कमाल के हैं ये तीन 5-स्टार रेटिंग इक्विटी म्यूचुअल फंड्स: 10000 रुपये के SIP को बना दिया ₹10.05 लाख
हम आपको तीन 5-स्टार-रेटेड इक्विटी म्यूचुअल फंड के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने ₹10,000 के मासिक एसआईपी को केवल तीन सालों में ₹10 लाख तक कर दिया है।
Mutual funds investment: जब इक्विटी म्यूचुअल फंड (equity mutual funds) की बात आती है तो निवेशकों को जोखिम के कारण केवल हाई रिटर्न के बजाय लंबी अवधि के लिए निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए। जानकारों के अनुसार, इक्विटी म्युचुअल फंड में एक निवेशक को कम से कम 5 सालों के लिए निवेश करना चाहिए हैं। इक्विटी म्यूचुअल फंड आपके पोर्टफोलियो में विविधता लाने का एक शानदार तरीका है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इक्विटी फंड पर महंगाई का भी असर नहीं पड़ता, उसमें भी यह हाई रिटर्न (Mutual funds return) देने की क्षमता रखता है। हम आपको तीन 5-स्टार-रेटेड इक्विटी म्यूचुअल फंड के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने ₹10,000 के मासिक एसआईपी को केवल तीन सालों में ₹10 लाख तक कर दिया है।
1. क्वांट टैक्स प्लान-डायरेक्ट प्लान (Quant Tax Plan - Direct Plan)
यह फंड 1 जनवरी 2013 को लाॅन्च किया गया था और इसे वैल्यू रिसर्च और मॉर्निंगस्टार से 5-स्टार रेटिंग मिली है। नतीजतन, यह फंड लगभग 9 सालों से अधिक समय से लागू है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन सालों में फंड ने 47 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है। नतीजतन, यदि किसी निवेशक ने तीन साल पहले ₹1 लाख का शुरुआती निवेश और ₹10,000 का मासिक एसआईपी निवेश किया होता, तो आज यह निवेश ₹10,05,531 का होता।
2. बैंक ऑफ इंडिया स्मॉल कैप फंड-डायरेक्ट प्लान (Bank of India Small Cap Fund - Direct Plan)
इस फंड को 19 दिसंबर 2018 को पेश किया गया था और फिलहाल, वैल्यू रिसर्च ने इसे 5-स्टार रेटिंग दी है। यह फंड तीन साल से काम कर रहा है। इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न 30 जून, 2022 तक बैंक ऑफ इंडिया स्मॉल कैप फंड डायरेक्ट - ग्रोथ के पास प्रबंधन के तहत संपत्ति (एयूएम) ₹353.51 करोड़ थी, और 16 सितंबर, 2022 तक, फंड का एनएवी ₹29.01 था। फंड के लिए व्यय अनुपात 1.12% है, जो कि उसी श्रेणी के अन्य फंडों के मुकाबले अधिक मजबूत है। वैल्यू रिसर्च के आंकड़ों के मुताबिक, फंड ने पिछले 3 सालों में 43.25 फीसदी का सालाना रिटर्न दिया है। पिछले तीन वर्षों में निवेशक के निवेश का कुल मूल्य ₹9,45,874 होता अगर उसने तीन साल पहले हर महीने एक ₹10,000 का मंथली एसआईपी किया होता।
3. केनरा रोबेको स्मॉल कैप फंड-डायरेक्ट प्लान (Canara Robeco Small Cap Fund - Direct Plan)
इस फंड को 15 फरवरी 2019 को पेश किया गया था और वैल्यू रिसर्च ने इसे 5-स्टार रेटिंग दिया है। यह फंड 3 साल से अधिक समय से काम कर रहा है। केनरा रोबेको स्मॉल कैप फंड डायरेक्ट के लिए एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) - ग्रोथ 30 जून, 2022 तक ₹3455.06 करोड़ करोड़ थी, जबकि फंड का एनएवी 16 सितंबर, 2022 को ₹26.9 था। अगर तीन साल पहले ₹1 लाख का एक अग्रिम या प्रारंभिक निवेश और ₹10,000 का मासिक एसआईपी किया गया होता, तो यह अब बढ़कर ₹9,82,585 हो गया होता। फंड का सालाना रिटर्न 45.46% है।
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