International Journal of Advanced Educational Research
Abstract
प्रस्तुत शोध विषय में यही अभिकत्थित किया गया है कि मध्यप्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाले आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में नई बाजार व्यवस्था के चलते विगत वर्षाें में नगरीय बाजार तंत्र का आंतरिक क्षेत्रों में प्रवेेश, सूचना क्रांति, ग्रामीण क्षेत्रों की आय में वृद्धि और उनके उपभोग के स्वरूप में हुए महत्वपूर्ण परिवर्तनों के कारण इन परम्परागत हाट-बाजारों की संरचना, आकारिकी, कार्यिक स्वरूप, कार्यिक क्षेत्र एवं विपणित वस्तुओं की बाजार का अध्ययन संख्या और स्वरूप के कारण भारी बदलाव की ओर अग्रसर हुए हैं। आगे आने वाले वर्षों में ये परिवर्तन अधिक तीव्र होने की पूरी सम्भावना है।
डाॅ0 हरि सिंह मीणा. उदारीकरण और बाजार-व्यवस्था में आदिवासी हाट बाजारों की बदलती आकारिकी : झाबुआ के सन्दर्भ में अध्ययन. International Journal of Advanced Educational Research, Volume 4, Issue 1, 2019, Pages 51-55
Share Market: गिरावट के साथ खुला शेयर बाजार, अडानी इंटरप्राइजेज के शेयर फिसले
Share Market Updates: पिछले हफ्ते अमेरिकी बाजार में आई गिरावट का असर आज एशियाई शेयर मार्केट पर दिख रहा है. भारतीय शेयर बाजार सप्ताह के पहले दिन ही लाल निशान में ओपन हुआ. अमेरिकी मार्केट में महंगाई और फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका गहरी होती नजर आई.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 17 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 17 अक्टूबर 2022, 10:29 AM IST)
कमजोर वैश्विक संकेतों के बीच आज भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) गिरावट के साथ ओपन हुआ. अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका की वजह से पिछले हफ्ते अमेरिकी बाजार कमजोर नजर आया था. इसके बाद आज एशियाई शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है. बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और निफ्टी (Nifty) दोनों ही लाल निशान में नजर आ रहे हैं. सेंसेक्स 18 अंक या 0.03 प्रतिशत की बाजार का अध्ययन गिरावट के साथ 57,902 पर कारोबार कर रहा है. निफ्टी 15 अंक या 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,171 पर ट्रेड कर रहा है.
शेयरों में गिरावट
JSW Steel, अपोलो हॉस्पिटल्स, अडानी इंटरप्राइजेज, टाटा स्टील और रिलायंस इंडस्ट्रीज आज NSE प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा गिरने वाले शेयरों की लिस्ट में नजर आर रहे हैं. इन शेयरों में 1.56 फीसदी तक की गिरावट आई है. वहीं, बजाज ऑटो, एक्सिस बैंक, आयशर मोटर्स, इंफोसिस और इंडसइंड बैंक के शेयर चढ़े हैं. मिड और स्मॉल-कैप शेयर नेगेटिव में नजर आए.
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अमेरिकी बाजार में बड़ी गिरावट
बीते हफ्ते शुक्रवार को अमेरिकी बाजार बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. महंगाई और फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका गहरी होती नजर आई. शुक्रवार को Dow Jones में 403.89 अंकों की गिरावट के साथ 29,634.83 के लेवल पर बंद हुआ. S&P 500 इंडेक्स में 2.37 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यह 3,583.07 के लेवल पर बंद क्लोज हुआ था. वहीं, Nasdaq 3.08 फीसदी फिसलकर 10,321.39 के लेवल पर बंद हुआ था.
विदेशों निवेशकों ने बेचे शेयर
एनएसई के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने 1,011.23 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) ने 14 अक्टूबर को 1,624.13 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं.
अडानी इंटरप्राइजेज के शेयर
अडानी इंटरप्राइजेज के शेयरों में करीब एक फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है. फिलहाल ये 3,177.60 रुपये पर ट्रेड कर रहा है. शुक्रवार को ये 3209 रुपये पर क्लोज हुआ था. टाटा स्टील के शेयर में 0.85 फीसदी की गिरावट नजर आई और ये पहले सत्र में 99.25 रुपये पर कारोबार कर रहा था.
आज कुछ कंपनियां अपने सितंबर तिमाही के नतीजे जारी करने वाली हैं. इनमें ACC, Bank of Maharashtra, Star Housing Finance और Tata Metaliks शामिल हैं.
शिक्षा का बाजार और समाज
अब शोध का उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति के बजाय केवल डिग्री हासिल करना भर रह गया है।
सांकेतिक फोटो।
ज्योति सिडाना
अब शोध का उद्देश्य ज्ञान प्राप्ति के बजाय केवल डिग्री हासिल करना भर रह गया है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि डिग्रियों के बिना शिक्षण संस्थानों में पदोन्नति असंभव हो गई है। जब शिक्षा अपने मूल उद्देश्य से भटक जाए तो उसके परिणाम कितने हानिकारक हो सकते हैं, वर्तमान दौर के संकटों में
इसे समझा जा सकता है।
शोध और विकास के बीच गहरा संबंध है। शोध कार्यों के नतीजों के आधार पर ही विकास कार्यों के लिए नीतियां बनाई जाती हैं। इसलिए अकादमिक संस्थानों में किए जाने वाले शोध देश के समग्र विकास की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होते हैं। विज्ञान नीति पर चर्चा करते हुए एक बार प्रोफेसर जयंत विष्णु नार्लीकर ने कहा था कि भारत सरकार और विभिन्न सरकारों ने विज्ञान एवं अन्य अनुसंधानों को दिशा देने के लिए अनेक शोध संस्थान स्थापित किए हैं, ताकि एक वैज्ञानिक अपने विचार एवं क्रियाओं की स्वतंत्रता के साथ एक स्वायत्तशासी परिवेश में सक्रिय हो सके।
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लेकिन इन संस्थानों के प्रशासनिकीकरण, युवा वैज्ञानिकों के लिए शोध संबंधी रोजगार का ह्रास, विश्वविद्यालयों में विज्ञान एवं समाज विज्ञान विषयों की उपेक्षा और इन क्षेत्रों में कार्यरत विशेषज्ञों की तुलनात्मक रूप से कम प्रतिष्ठा आदि ऐसे पक्ष हैं जो भारत की ज्ञान अर्थव्यवस्था के विकास के समक्ष गंभीर चुनौती पेश करते हैं। पिछले कुछ वर्षों से अकादमिक संस्थानों में किए जाने वाले शोध कार्यों की गुणवत्ता पर संदेह किया जाता रहा है। साथ ही वैश्विक पायदान में भी हमारा कोई विश्वविद्यालय उच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सका है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या वास्तव में उच्च शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों में शोध की स्थिति इतनी खराब है कि उसमें नवाचार, नवीनता, वैधता जैसे तत्वों का अभाव है? अगर ऐसा है तो क्यों? यह सोचने का विषय है?
वर्ष 2020 में कोविड के दौर में वैज्ञानिक शोधों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। देखा जाए तो लगभग एक लाख से ज्यादा शोध लेख विभिन्न वैज्ञानिक पत्र-पत्रिकाओं में छपे। लेकिन चिंताजनक बात यह है कि इन वैज्ञानिक लेखों की जो बहुस्तरीय बौद्धिक समीक्षा होती थी, अब वह समाप्त-सी हो गई है जिसके कारण अकादमिक धोखाधड़ी और अनैतिक व्यवहार बढ़ गया है। इसलिए वैज्ञानिक शोध आलेखों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ गुणवत्ता में गिरावट भी आती गई। देखा जाए तो यह न केवल शैक्षणिक जगत के लिए अपितु समाज व राष्ट्र के विकास के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि वैज्ञानिक शोध जो एक निश्चित परिणाम लेकर विकसित होने चाहिए, वे अब नहीं हो रहे हैं। ऐसा लगने लगा है कि वर्तमान में हो रहे शोध विशेष रूप से विज्ञान के क्षेत्र में किए जाने वाले शोध बाजार को लाभ पहुंचाने वाली सूचनाएं ही उपलब्ध करवाने में जुटे हैं। जबकि वैज्ञानिक सूचनाएं पूर्वाग्रहों व व्यक्तिगत मूल्यों से रहित और विश्वसनीय होनी चाहिए, न कि बाजार केंद्रित। महामारी के दौर में कुछ दवाइयों के दुष्प्रभाव या किसी टीके से रोगी की मृत्यु होने या किसी अमुक दवा से कोविड से पूरी तरह स्वस्थ होने की खबरे आए दिन सुर्खियों में थी। फिर बाद में उनके खंडन या स्पष्टीकरण भी सामने आते रहे। ऐसी सूचनाएं तभी अस्तित्व में आ सकती हैं जब किसी शोध लेख को संबंधित विशेषज्ञों के समूह द्वारा समीक्षा किए बिना प्रकशित कर दिया जाए।
इस तरह की सूचनाओं ने समाज में लोगों में भय और भ्रम की स्थिति उत्पन्न करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। परिणामस्वरूप ऐसी घटनाएं भी सामने आर्इं, जिसमें लोगों ने कोविड की चपेट में आने से पहले ही सिर्फ खौफ और गफलत के कारण अपनी जान तक दे दी। इस तरह की भ्रामक और मिथ्या सूचनाओं को सार्वजानिक करना क्या अकादमिक बेईमानी नहीं कहा जाना चाहिए? कोई भी शोध या सूचना, चाहे वह चिकित्सा के क्षेत्र से संबंधित हो या राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक या फिर अर्थव्यवस्था से जुड़ी हो, बिना किसी बौद्धिक समीक्षा के सार्वजानिक नहीं की जानी चाहिए। यह शोधकर्ता और सूचनादाता की नैतिक जिम्मेदारी होती है। ऐसा न होने पर समाज में फैलने वाली अव्यवस्था और भय के लिए कौन जिम्मेदार होगा? यह विचारणीय विषय है।
इस दौर में ऑनलाइन राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय गोष्ठियों-सम्मेलनों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इसमें न केवल विषय विशेषज्ञों के विवेचन और विश्लेषणों में भी कमी आई है बल्कि एक सामान्य जन के रूप में विषयों पर विवेचन और विमर्श बढ़ रहे हैं। एक और चुनौती जो सामने आई है, वह यह है कि वेबीनार में बिना सभागिता किए केवल फीस जमा करके या केवल जानकारी संबंधी बाजार का अध्ययन फॉर्म भर कर ही प्रमाणपत्र लेना आसान हो गया है।
क्योंकि एपीआइ स्कोर इस बात पर निर्भर करता है कि आपके पास अकादमिक कार्यक्रमों में सहभागिता के बाजार का अध्ययन कितने प्रमाणपत्र हैं, न कि इस बात पर कि आपने कितने शोध आलेख प्रस्तुत किए, उनकी गुणवत्ता और वर्तमान में उनकी प्रासंगिकता क्या है। ऑनलाइन वेबिनार के दौर में हर कोई अधिकाधिक प्रमाण पत्र एकत्र करने में जुटा है। इसलिए क्या यह मान लिया जाना चाहिए कि महामारी का यह दौर शोध एवं सैद्धांतिक विवेचन के ह्रास का दौर है? और यदि यह वास्तव में ह्रास का दौर है तो महामारी के बाद के दौर में शोध की क्या स्थिति होगी, इसका अनुमान लगा पाना कठिन नहीं है।
Sensex Opening Bell: हफ्ते के पहले दिन बाजार में सुस्ती, सेंसेक्स 30 अंक टूटकर खुला
Sensex Opening Bell: सुबह नौ बजकर 31 मिनट पर सेंसेक्स 66.89 अंकों की तेजी के साथ 61,861.93 अंकों पर कारोबार करता दिखा। वहीं, निफ्टी 36.45 अंकों की बढ़त के साथ 18,386.15 अंकों पर ट्रेड करता दिखा।
हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को शेयर बाजार सपाट ढंग से खुला। सेंसेक्स की ओपनिंग लगभग 30 अंक टूटकर 61765 अंकों पर हुई। वहीं निफ्टी 26 अंक मजबूत होकर 18376 अंकों पर खुला। सोमवार के शुरुआती कारोबार में बाजार ने सुस्ती के साथ खुलकर तेजी पकड़ी। सुबह नौ बजकर 31 मिनट पर सेंसेक्स 66.89 अंकों की तेजी के साथ 61,861.93 अंकों पर कारोबार करता दिखा। वहीं, निफ्टी 36.45 अंकों की बढ़त के साथ 18,386.15 अंकों पर ट्रेड करता दिखा।
डॉलर के मुकाबले रुपया और मजबूत हुआ
इस दौरान रुपये में भी मजबूती दिखी और वह डॉलर के मुकाबले मजबूती हासिल करते हुए फिलहाल 80.79 के लेवल पर कारोबार कर रह है। डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे की उछाल के साथ 80.52 के स्तर पर खुला था।
इन शेयरों में दिखी मजबूती
सोमवार के कारोबारी सेशन में एलआईसी के शेयरों में आठ प्रतिशत की तेजी जबकि अरबिंदो फार्मा के शेयरों में पांच प्रतिशत की गिरावट दिखी। शुरूआती कारोबारी सेशन में हिंडाल्को, टाटा स्टील, अपोलो हॉस्पिटल, पावरग्रिड और टाटा मोटर्स जैसे शेयरों में तेजी है जबकि डॉ रेड्डी, दिवि लैब्स, सन फार्मा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयरों में गिरावट है।
विस्तार
हफ्ते के पहले कारोबारी दिन सोमवार को शेयर बाजार सपाट ढंग से खुला। सेंसेक्स की ओपनिंग लगभग 30 अंक टूटकर 61765 अंकों पर हुई। वहीं निफ्टी 26 अंक मजबूत होकर 18376 अंकों पर खुला। सोमवार के शुरुआती कारोबार में बाजार ने सुस्ती के साथ खुलकर तेजी पकड़ी। सुबह नौ बजकर 31 मिनट पर सेंसेक्स 66.89 अंकों की तेजी के साथ 61,861.93 अंकों पर कारोबार करता दिखा। वहीं, निफ्टी 36.45 अंकों की बढ़त के साथ 18,386.15 अंकों पर ट्रेड करता दिखा।
डॉलर के मुकाबले रुपया और मजबूत हुआ
इस दौरान रुपये में भी मजबूती दिखी और वह डॉलर के मुकाबले मजबूती हासिल करते हुए बाजार का अध्ययन फिलहाल 80.79 के लेवल पर कारोबार कर रह है। डॉलर के मुकाबले रुपया 28 पैसे की उछाल के साथ 80.52 के स्तर पर खुला था।
इन शेयरों में दिखी मजबूती
सोमवार के कारोबारी सेशन में एलआईसी के शेयरों में आठ प्रतिशत की तेजी जबकि अरबिंदो फार्मा के शेयरों में पांच प्रतिशत की बाजार का अध्ययन गिरावट दिखी। शुरूआती कारोबारी सेशन में हिंडाल्को, टाटा स्टील, अपोलो हॉस्पिटल, पावरग्रिड और टाटा मोटर्स जैसे शेयरों में तेजी है जबकि डॉ रेड्डी, दिवि लैब्स, सन फार्मा, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयरों में गिरावट है।
Stock Market : क्या आज भी दबाव के बीच फिर बढ़त बनाएगा बाजार, मुनाफे के लिए निवेशक कहां लगाएं दांव?
सेंसेक्स पिछले सत्र में 108 अंकों की बढ़त पर बंद हुआ था.
भारतीय शेयर बाजार में इस सप्ताह लगातार दूसरे दिन बढ़त दिखी, जबकि कारोबार की शुरुआत गिरावट के साथ हुई थी. एक्सपर्ट का . अधिक पढ़ें
- News18 हिंदी
- Last Updated : November 17, 2022, 07:20 IST
हाइलाइट्स
सेंसेक्स 108 अंकों की बढ़त बनाकर 61,981 पर बंद हुआ था.
निफ्टी 6 अंक चढ़कर 18,410 के स्तर पर पहुंच गया था.
आज सेंसेक्स निश्चित तौर पर 62 हजार के आंकड़े को पार कर जाएगा.
नई दिल्ली. भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) इस सप्ताह लगातार दो कारोबारी सत्र में बढ़त बना चुका है. बीते सत्र में तो उसकी शुरुआत गिरावट के साथ हुई लेकिन बाद में निवेशकों का भरोसा लौटा और खरीदारी शुरू हुई, जिससे बाजार बढ़त बनाने में कामयाब रहा. गुरुवार को भी बाजार पर ग्लोबल मार्केट में आई गिरावट का दबाव दिख रहा है. अनुमान है कि आज भी बाजार की शुरुआत गिरावट के साथ होगी.
पिछले सत्र में सेंसेक्स 108 अंकों की बढ़त बनाकर 61,981 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 6 अंक चढ़कर 18,410 पर पहुंच गया था. एक्सपर्ट का कहना है कि बाजार ने दबाव और गिरावट से जूझते हुए आखिर में बढ़त हासिल की. यह निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दिखाता है. आज भी शुरुआती गिरावट रहती है तो भी निवेशकों का सेंटिमेंट पॉजिटिव होने से बाजार बढ़त बना सकता है. ऐसा हुआ तो आज सेंसेक्स निश्चित तौर पर 62 हजार के आंकड़े को पार कर जाएगा.
अमेरिका और यूरोपीय बाजारों का हाल
अमेरिकी शेयर बाजार एक बार फिर फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरें बढ़ाने के संकेतों से जूझ रहा है और निवेशक मंदी की आशंका से अपने पैसे निकाल रहे हैं. पिछले कारोबारी सत्र में भी अमेरिकी बाजार में बिकवाली दिखी और प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज में शामिल NASDAQ पर 1.54 फीसदी की गिरावट देखी गई.
अमेरिका की तर्ज पर यूरोपीय बाजारों में भी अभी दबाव दिख रहा है और पिछले कारोबारी सत्र में यूरोप के सभी प्रमुख शेयर बाजार गिरावट पर बंद हुए. जर्मनी के स्टॉक एक्सचेंज पर पिछले सत्र में 1 फीसदी की बड़ी गिरावट दिखी तो फ्रांस का शेयर बाजार 0.52 के नुकसान पर बंद हुआ. इसी तरह, लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर भी पिछले सत्र में 0.25 फीसदी की गिरावट देखी गई.
एशियाई बाजार भी लाल निशान पर
एशिया के ज्यादातर शेयर बाजार आज सुबह गिरावट पर खुले और लाल निशान पर ट्रेडिंग कर रहे हैं. सिंगापुर स्टॉक एक्सचेंज पर आज सुबह 0.24 फीसदी की गिरावट दिख रही है तो जापान का निक्केई बाजार का अध्ययन बाजार का अध्ययन 0.12 फीसदी टूटकर कारोबार कर रहा. ताइवान के शेयर बाजार में 0.18 फीसदी का नुकसान दिख रहा तो दक्षिण कोरिया का कॉस्पी 0.55 फीसदी गिरावट पर कारोबार कर रहा है.
मुनाफे के लिए इन शेयरों में लगाएं पैसा
एक्सपर्ट के मुताबिक, दबाव के बावजूद आज बाजार में कई ऐसे शेयर हैं जो बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. इन शेयरों को हाई डिलीवरी पर्सेंटेज स्टॉक्स कहा जाता है और आज इस श्रेणी में SBI Life Insurance Company, ICICI Prudential Life Insurance, ICICI Lombard General Insurance, Hindustan Petroleum Corporation और Dabur India जैसी कंपनियों के शेयर शामिल हैं.
विदेशी निवेशकों का बिकवाली पर जोर
इस सप्ताह लगातार दूसरे कारोबारी सत्र में विदेशी निवेशकों ने बिकवाली पर जोर दिया है. पिछले सत्र में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से 386.06 करोड़ रुपये शेयर बेचकर निकाल लिए. हालांकि, इसी दौरान घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 1,437.40 करोड़ के शेयरों की खरीदारी की जिससे बाजार बड़ी गिरावट से बच गया.
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