Buffer stock का उद्देश्य देश में खाद्यान्नों का न्यायपूर्ण वितरण और साथ ही उनके मूल्यों में स्थायित्व लाना था।
Stock Market: शेयर बाजार क्या है?
BSE या NSE में ही किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं. शेयर बाजार (Stock Market) में हालांकि बांड, म्युचुअल फंड और डेरिवेटिव का भी व्यापार होता है.
स्टॉक बाजार या शेयर बाजार में बड़े रिटर्न की उम्मीद के साथ घरेलू के साथ-साथ विदेशी निवेशक (FII या FPI) भी काफी निवेश करते हैं.
शेयर खरीदने का मतलब क्या है?
मान लीजिये कि NSE में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं. आप उस कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने शेयर खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने हिस्से का मालिकाना हक हो गया. आप अपने हिस्से के शेयर किसी अन्य खरीदार को जब भी चाहें बेच सकते हैं.
स्टॉक क्या है
Buffer stock : देश में जब भी सूखा या खाद्य संबंधी कोई समस्या उत्पन्न होती है तो उस वक्त नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इस बात का ख्याल रखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक की व्यवस्था की है। कभी भी देश में संकट आने की परिस्थिति में इसी बफर स्टॉक का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे नागरिकों को खाद्य सामग्री का नियमित वितरण किया जा सके। और उन्हें इसकी कमी न हो। स्टॉक क्या है आज इस लेख में हम Buffer stock / बफर स्टॉक क्या है? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है? आदि से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएंगे। यदि आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें।
बफर स्टॉक क्या है?
भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली Food Corporation Of India (भारतीय खाद्य निगम) देश में सभा राज्यों में खाद्य आपूर्ति हेतु गठित की गयी है। भारतीय खाद्य निगम फसलों के पकने पर की जाने वाली बिक्री में किसानों से अनाज की खरीद करती है। जिसका बाद में देश के सभी हिस्सों में आपूर्ति की जाती है। बता दें कि जब भी अच्छी फसल होती है, सरकार देश के किसानों से उन फसलों की खरीद करके उसका स्टॉक तैयार करती है या उसे स्टोर करती है। जिसे समय आने पर या किसी खाद्य संकट काल के दौरान इस स्टॉक को जारी करती है। यानी की फसल तैयार हो जाने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद और इसका भण्डारण करना ही बफर स्टॉक कहलाता है।
सरकार द्वारा रखे गए खाद्यान्न का स्टॉक / स्टोर ऐसे वक्त पर जारी किया जाता है जब देश में किसी अन्न या खाद्य वस्तु की कमी हो जाती है। कई बार होता है कि किसी वर्ष अनाज या फसल खराब हो जाती है। जिससे न केवल बाजार में उसकी कमी हो जाती है बल्कि स्टॉक क्या है इससे उस के दाम भी बहुत बढ़ जाते हैं। ऐसे में उस वस्तु के दाम को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा स्टोर किया गया बफर स्टॉक जारी कर दिया जाता है। जो कि बढ़ते हुए दाम को काफी हद तक नियंत्रित कर सके।
Buffer stock से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
बफर स्टॉक को बेहतर समझने के लिए आप इस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को समझ सकते हैं –
- देश में बफर सिस्टम में किसानों को सबसे अधिक लाभ होगा। क्यूंकि सरकार द्वारा उनके अच्छी फसल को निर्धारित न्यूनतम मूल्य पर खरीदा जाएगा। जिससे उन्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा।
- जब भी देश में किसी खाद्य जैसे की – गेंहू, चावल व अन्य ऐसी फसलों की कमी होने की स्थिति में बफर स्टॉक स्टॉक क्या है को जारी किया जाता है।
- देश में बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से ही केंद्र सरकार बफर स्टॉक जारी करती है। खासकर जब फसल अच्छी नहीं होती तब मूल्यों के बढ़ने की अधिक संभावना होती है। ऐसे में बफर स्टॉक जारी करने से संबंधित फसल या खाद्यान की स्टॉक क्या है कीमत नहीं बढ़ती।
- बफर स्टॉक का प्रयोग लक्षित सार्वजानिक वितान प्रणाली केअंतर्गत किया जाता है। साथ ही किसी अनु आपात स्थिति में भी इसका प्रयोग होता है।
- बफर स्टॉक को ही केंद्रीय पूल भी कहते हैं।
- भारत सरकार द्वारा केंद्रीय पूल या बफर स्टॉक तैयार करने का कार्य भारतीय खाद्य निगम का होता है। इस की स्थापना वर्ष 1965 में की गयी थी।
- भारतीय खड़े निगम की स्थापना के पीछे उद्देश्य ये था की देश में खाद्यान्नों का न्यायपूर्ण वितरण हो सके और साथ ही उनके मूल्यों में स्थायित्व लाया जा सके।
- सरकार द्वारा इसी निगम के माध्यम से किसानों से अच्छी फसल होने पर फसलों की खरीद की जाती है और बफर स्टॉक तैयार किया जाता है।
- इसी खरीद की गयी फसलों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित मूल्य की दुकानों पर बेचने हेतु उपलब्ध करा दिया जाता है।
कंपनियां क्यों करती हैं स्टॉक स्प्लिट
अब सवाल यह स्टॉक क्या है है कि कंपनी ऐसा क्यों करती है? जानकारों की मानें तो जब किसी कंपनी का शेयर काफी ज्यादा हो जाता है तो छोटे निवेशक इसमें पैसा लगाने से कतराते हैं. छोटे निवेशकों के लिए इसमें निवेश को आसान बनाने के लिए ही कंपनी स्टॉक स्प्लिट करती है. इसके अलावा, कई बार मार्केट में डिमांड बढ़ाने के लिए भी स्टॉक स्प्लिट किया जाता है.
बोनस इश्यू तब होता है जब मौजूदा शेयरधारकों को निश्चित अनुपात में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं. मान लीजिए कि कोई कंपनी 4:1 के रेश्यो में बोनस इश्यू का एलान करती है तो इसका मतलब है कि अगर किसी शेयरहोल्डर के पास 1 शेयर हो तो उसे इसके बदले 4 शेयर मिलेंगे. इसका मतलब है कि अगर किसी निवेशक के पास 10 शेयर हैं तो उसे बोनस शेयर के रूप में कुल 40 शेयर मिल जाएंगे.
बोनस इश्यू VS स्टॉक स्प्लिट: शेयर की कीमत
बोनस इश्यू- बोनस इश्यू में शेयर की कीमत जारी किए गए शेयरों की संख्या के अनुसार एडजस्ट हो जाती है. मान लीजिए किसी कंपनी ने 4:1 रेश्यो में बोनस इश्यू का एलान किया है. अब इसे उदाहरण के समझते हैं.
- बोनस इश्यू से पहले स्टॉक की कीमत- 100 रुपये
- बोनस इश्यू से पहले कुल शेयर संख्या- 100 शेयर
- बोनस जारी होने के बाद शेयरों की संख्या हो जाएगी- 400 शेयर
- वहीं, बोनस इश्यू के बाद स्टॉक की कीमत हो जाएगी- 25 रुपये
स्टॉक स्प्लिट- स्टॉक स्प्लिट में शेयर की कीमत अनुपात में आधी हो जाती है.
- मान लीजिए, स्टॉक स्प्लिट रेश्यो- 1:2
- स्टॉक स्प्लिट से पहले स्टॉक की कीमत- 100 रुपये
- स्टॉक स्प्लिट से पहले कुल शेयर संख्या- 100 शेयर
- स्टॉक स्टॉक क्या है स्प्लिट के बाद शेयर संख्या- 200 शेयर
- स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की कीमत- 50 रुपये
बोनस इश्यू VS स्टॉक स्प्लिट: क्या है अंतर और निवेशकों के लिए क्या है इसके मायने
स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर दोनों में ही शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और मार्केट वैल्यू कम हो जाती है. हालांकि, केवल स्टॉक स्प्लिट में ही फेस वैल्यू कम हो जाती है, जबकि बोनस इश्यू में यह नहीं होता. स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू में यही मुख्य अंतर है. कंपनियां इन दोनों तरीकों से अपने शेयरहोल्डर्स को इनाम देती है. बोनस इश्यू और स्टॉक स्प्लिट दोनों में ही शेयरहोल्डर्स को अतिरिक्त राशि देने की जरूरत नहीं होती. स्टॉक स्प्लिट में पहले से उपलब्ध शेयर स्प्लिट हो जाती है. इसका मतलब है कि आपके पास उपलब्ध शेयरों की संख्या बढ़ जाती है. वहीं, शेयरों की कीमत कम हो जाती है. हालांकि, आपके द्वारा निवेश किए गए पैसे पर स्टॉक स्प्लिट के चलते कोई प्रभाव नहीं पड़ता है.
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क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित
पेनी स्टॉक्स में सिर्फ उनकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा नहीं लगाना चाहिए. कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी ले लेनी चाहिए. पेनी स्टॉक बहुत से लोगों के पैसे डुबाने के लिए बदनाम हैं.
शेयर बाजार (Share Market) में जब भी कोई नया-नया निवेश (Investment) करना शुरू करता है, तो उसे पेनी स्टॉक (Penny Stocks) बहुत आकर्षक लगते हैं. लगें भी क्यों नहीं, ये शेयर बहुत सस्ते होते हैं और नए निवेशकों को लगता है कि वह अधिक शेयर खरीद सकते हैं. पेनी स्टॉक को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर भी कहा जाता है. ये शेयर लोगों को तगड़ा रिटर्न देने के लिए तो जाने ही जाते हैं, बहुत से लोगों को बर्बाद तक करने के लिए पेनी स्टॉक बदनाम हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ और समझते हैं इनमें निवेश (Investment in Penny Stocks) करना चाहिए या नहीं.
जानिए क्या होते हैं पेनी स्टॉक्स?
पेनी स्टॉक्स वह शेयर होते है, जिनकी कीमत बहुत ही कम होती है. अमूमन 10 रुपये से कम के शेयर को पेनी स्टॉक कहा जाता है. बहुत कम कीमत होने की वजह से ही इन शेयरों को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर कहा जाता है. हालांकि, इन शेयरों में लिक्विडिटी काफी कम होती है, क्योंकि कीमत कम होने की वजह से लोग कम पैसों में बहुत अधिक शेयर खरीद लेते हैं.
वैसे तो बहुत से लोग पेनी स्टॉक में सिर्फ उसकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा लगा देते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको ऐसा करने से नुकसान झेलना पड़ सकता है. पेनी स्टॉक में निवेश करना बहुत ही जोखिम का सौदा हो सकता है. पेनी स्टॉक्स में तगड़ा रिटर्न भी देखने को मिलता है, लेकिन इनमें ही तगड़ा नुकसान भी होता है. अगर आप किसी पेनी स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको शेयर की कीमत या उसके रिटर्न को देखकर उसमें पैसे नहीं लगाने चाहिए. पेनी स्टॉक में पैसे लगाने से पहले कंपनी की अच्छे से फंडामेंटल एनालिसिस करें. पता करें कंपनी का बिजनस कैसा चल रहा है, उसका मैनेजमेंट कैसा है, उसके फ्यूचर प्लान क्या हैं, कंपनी पर कर्ज तो नहीं आदि. अगर सारी बातें सही हों तभी पेनी स्टॉक में पैसे लगाएं.
आसानी से ऑपरेट हो सकते हैं पेनी स्टॉक
पेनी स्टॉक में निवेश से पहले आपको ये समझना होगा कि किसी शेयर की कीमत क्यों बढ़ती है. जब किसी शेयर की मांग काफी बढ़ जाती है तो उसकी कीमत खुद-ब-खुद बढ़ने लगती है. पेनी स्टॉक्स की कीमत बहुत ही कम होने की वजह से कई बार इन्हें ऑपरेट करना आसान हो जाता है. बता दें कि हर्षद मेहता ने भी शुरुआत में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट कर के उनकी कीमत बढ़ाई थी और जब दाम अधिक हो गए तो उन्हें बेचकर मुनाफा कमा लिया. यानी अगर कंपनी के प्रमोटर्स ही शेयरों को भारी मात्रा में खरीदने लगें तो उनकी कीमत चढ़ने लगेगी. ऐसे में लोगों को लगेगा कि शेयर की वैल्यू बढ़ रही है, जबकि उसकी कीमत गलत तरीके से बढ़ाई जा रही होगी. ऐसी स्थिति में हमेशा रिटेल निवेशकों को नुकसान होता है. इसलिए पेनी स्टॉक में निवेश करते वक्त आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है.
अगर किसी पेनी स्टॉक में बार-बार अपर या लोअर सर्किट लगता है तो उससे बचकर ही रहें. ऐसे शेयर आपको तगड़ा रिटर्न तो दिखा देंगे, लेकिन लगातार सर्किट लगने की वजह से आप इन शेयरों में बेच नहीं पाएंगे, जिससे नुकसान होगा. अगर आपने किसी पेनी स्टॉक में पैसे लगाए हैं तो आपने जो टारगेट सेट किया है, वह हासिल होते ही शेयर से बाहर निकल जाएं. अगर ज्यादा लालच करेंगे तो हो सकता है आपने जो पैसे लगाए हैं उस पर रिटर्न के बजाय नुकसान होना शुरू हो जाए.
स्टॉक क्या है
Buffer stock : देश में जब भी सूखा या खाद्य संबंधी कोई समस्या उत्पन्न होती है तो उस वक्त नागरिकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो इस बात का ख्याल रखते हुए सरकार ने बफर स्टॉक की व्यवस्था की है। कभी भी देश में संकट आने की परिस्थिति में इसी बफर स्टॉक का इस्तेमाल किया जाता है। जिससे नागरिकों को खाद्य सामग्री का नियमित वितरण किया जा सके। और उन्हें इसकी कमी न हो। आज इस लेख में हम Buffer stock / बफर स्टॉक क्या है? सरकार बफर स्टॉक क्यों बनाती है? आदि से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएंगे। यदि आप भी इस बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को पूरा पढ़ें।
बफर स्टॉक क्या है?
भारत सरकार के अंतर्गत आने वाली Food Corporation Of India (भारतीय खाद्य निगम) देश में सभा राज्यों में खाद्य आपूर्ति हेतु गठित की गयी है। भारतीय खाद्य निगम फसलों के पकने पर की जाने वाली बिक्री में किसानों से अनाज की खरीद करती है। जिसका बाद में देश के सभी हिस्सों में आपूर्ति की जाती है। बता दें कि जब भी अच्छी फसल होती है, सरकार देश के किसानों से उन फसलों की खरीद करके उसका स्टॉक तैयार करती है या उसे स्टोर करती है। जिसे समय आने पर या किसी खाद्य संकट काल के दौरान इस स्टॉक को जारी करती है। यानी की फसल तैयार हो जाने के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद और इसका भण्डारण करना ही बफर स्टॉक कहलाता है।
सरकार द्वारा रखे गए खाद्यान्न का स्टॉक / स्टोर ऐसे वक्त पर जारी किया जाता है जब देश में किसी अन्न या खाद्य वस्तु की कमी हो जाती है। कई बार होता है कि किसी वर्ष अनाज या फसल खराब हो जाती है। जिससे न केवल बाजार में उसकी कमी हो जाती है बल्कि इससे उस के दाम भी बहुत बढ़ जाते हैं। ऐसे में उस वस्तु के दाम को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा स्टोर किया गया बफर स्टॉक जारी कर दिया जाता है। जो कि बढ़ते हुए दाम को काफी हद तक नियंत्रित कर सके।
Buffer stock से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
बफर स्टॉक को बेहतर समझने के लिए आप इस से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों को समझ सकते हैं –
- देश में बफर सिस्टम में किसानों को सबसे अधिक लाभ होगा। क्यूंकि सरकार द्वारा उनके अच्छी फसल को निर्धारित न्यूनतम मूल्य पर खरीदा जाएगा। जिससे उन्हें किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा।
- जब भी देश में किसी खाद्य जैसे की – गेंहू, चावल व अन्य ऐसी फसलों की कमी होने की स्थिति में बफर स्टॉक को जारी किया जाता है।
- देश में बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण पाने के उद्देश्य से ही केंद्र सरकार बफर स्टॉक जारी करती है। खासकर जब फसल अच्छी नहीं होती तब मूल्यों के बढ़ने की अधिक संभावना होती है। ऐसे में बफर स्टॉक जारी करने से संबंधित फसल या खाद्यान की कीमत नहीं बढ़ती।
- बफर स्टॉक का प्रयोग लक्षित सार्वजानिक वितान प्रणाली केअंतर्गत किया जाता है। साथ ही किसी अनु आपात स्थिति में भी इसका प्रयोग होता है।
- बफर स्टॉक को ही केंद्रीय पूल भी कहते हैं।
- भारत सरकार द्वारा केंद्रीय पूल या बफर स्टॉक तैयार करने का कार्य भारतीय खाद्य निगम का होता है। इस की स्थापना वर्ष 1965 में की गयी थी।
- भारतीय खड़े निगम की स्थापना के पीछे उद्देश्य ये था की देश में खाद्यान्नों का न्यायपूर्ण वितरण हो सके और साथ ही उनके मूल्यों में स्थायित्व लाया जा सके।
- सरकार द्वारा इसी निगम के माध्यम से किसानों से अच्छी फसल होने पर फसलों की खरीद की जाती है और बफर स्टॉक तैयार किया जाता है।
- इसी खरीद की गयी फसलों को सार्वजानिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत उचित मूल्य की दुकानों पर बेचने हेतु उपलब्ध करा दिया जाता है।
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