Worry Of Nuclear Battle Renewed As Russia Seems to be For Breakthrough In Ukraine

“निरस्त्रीकरण के संबंध में, न्यू स्टार्ट के अलावा, यह सब खंडहर में है,” ग्रैंड ने कहा, रूस के साथ बराक ओबामा-युग के समझौते का जिक्र करते हुए हथियारों, मिसाइलों, बमवर्षकों और लांचरों की संख्या कम करने के लिए।

‘बेहद खतरनाक संकट’

भारत, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान, पाँच मान्यता प्राप्त शक्तियों के साथ, परमाणु हथियार भी हैं, जबकि इज़राइल को व्यापक रूप से ऐसा माना जाता है, जबकि आधिकारिक रूप से इसे कभी स्वीकार नहीं किया गया है।

उत्तर कोरिया ने इस वर्ष तेजी से मिसाइल परीक्षण किया, एक स्वतंत्र परमाणु निवारक का अपना प्रयास जारी रखा, जो 2003 में अप्रसार संधि (एनपीटी) से बाहर निकलने के बाद शुरू हुआ था।

वाशिंगटन, सियोल और टोक्यो सभी मानते हैं कि प्योंगयांग द्वारा सातवां परमाणु हथियार परीक्षण आसन्न है।

अलग-थलग तानाशाही ने सितंबर में एक नए परमाणु सिद्धांत की घोषणा की, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह हथियारों को कभी नहीं छोड़ेगा और यह कि उन्हें पहले से ही इस्तेमाल किया जा सकता है।

“हम एशिया में एक बहुत ही खतरनाक संकट देखने जा रहे हैं,” कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के एक शोधकर्ता चुंग मिन ली ने हाल ही में एक पेरिस सम्मेलन में कहा था।

इस क्षेत्र के गैर-परमाणु देशों को डर है कि अमेरिकी परमाणु छतरी द्वारा प्रदान की जाने वाली सुरक्षा समाप्त हो रही है।

“यदि आप पानी के गुब्बारे के रूप में विस्तारित प्रतिरोध की कल्पना करते हैं, तो आज पानी के गुब्बारे में कुछ महत्वपूर्ण छेद हैं और पानी रिस रहा है,” उन्होंने कहा।

चीन का परमाणु जखीरा भी बढ़ रहा है, पेंटागन का अनुमान है कि एक दशक के भीतर इसे 1,000 वारहेड – मोटे तौर पर अमेरिकी बमों के बराबर – पर रखा जा सकता है।

और मध्य पूर्व में, ईरान के साथ 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए संघर्ष, घर में हाल के विरोधों के अपने क्रूर दमन से लड़खड़ाते हुए, इस आशंका को पुनर्जीवित कर दिया है कि तेहरान जल्द ही बम बनाने के कगार पर “दहलीज राज्य” बन सकता है।

प्रसार भय

अगस्त में, NPT के भविष्य पर संयुक्त राष्ट्र के एक सम्मेलन में 191 देशों द्वारा एक संयुक्त घोषणा को अंतिम क्षण में रूस द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया।

एक फ्रांसीसी राजनयिक ने मॉस्को से “असाधारण रूप से आक्रामक परमाणु बयानबाजी” और संधि के लिए “तिरस्कार” की सूचना दी।

राजनयिक ने कहा, “हमने रूस के रवैये में एक विराम देखा, जो ऐतिहासिक रूप से एनपीटी के समर्थन में था।”

राजनयिक ने कहा कि चीन “बहुत मुखर” था, जो यूएस-यूके-ऑस्ट्रेलिया AUKUS प्रशांत गठबंधन की “बहुत क्रूड निंदा” की पेशकश कर रहा था, जो कैनबरा को परमाणु-संचालित पनडुब्बियों को वितरित करेगा।

बीजिंग ने दावा किया कि गठबंधन ने आगे परमाणु प्रसार का जोखिम उठाया, जबकि “अपने स्वयं के परमाणु सिद्धांत की अस्पष्टता या जिस गति से इसका शस्त्रागार बढ़ रहा है, उसके बारे में संदेह को दूर करने” में विफल रहा।

स्वेच्छा से परमाणु हथियार छोड़ने वाले देश यूक्रेन पर उसके परमाणु-सशस्त्र पड़ोसी द्वारा आक्रमण ने प्रसार की आशंकाओं को बढ़ा दिया है।

“आज, जापान या दक्षिण कोरिया जैसे देश वैध रूप से पूछ सकते हैं कि क्या” उन्हें बाहर निकलने की रणनीति क्या है अपने स्वयं के बम की आवश्यकता है, फ्रांस के परमाणु बलों के पूर्व प्रमुख जीन-लुई लोजियर ने कहा।

उन्होंने कहा, “सऊदी अरब, तुर्की और मिस्र के मध्य पूर्व में भी यही सच है।”

(हेडलाइन को छोड़कर, यह कहानी NDTV के कर्मचारियों द्वारा संपादित नहीं की गई है और एक सिंडिकेट फीड से प्रकाशित हुई है।)

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WHO प्रमुख ने कहा – चीन में बिगड़ते हालात चिंता का विषय

जिनेवा: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के प्रमुख ने बुधवार को कहा कि वह चीन में कोविड मामलों की अभूतपूर्व लहर के बारे में “बहुत चिंतित” थे, क्योंकि स्वास्थ्य निकाय ने बीजिंग से सबसे कमजोर लोगों के टीकाकरण में तेजी लाने का आग्रह किया था।
WHO गंभीर बीमारी की बढ़ती रिपोर्ट के साथ चीन में उभरती स्थिति से बहुत चिंतित है। टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने एक सम्मेलन के दौरान बीमारी की गंभीरता, अस्पताल में भर्ती और गहन देखभाल आवश्यकताओं के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए अपील की।

स्वास्थ्य प्रणाली की सुरक्षा के लिए समर्थन देना जारी रखें

उन्होंने कहा WHO देश भर में सबसे अधिक जोखिम वाले लोगों के टीकाकरण पर ध्यान केंद्रित करने के लिए चीन का समर्थन कर रहा है और हम नैदानिक ​​देखभाल और इसकी स्वास्थ्य प्रणाली की सुरक्षा के लिए अपना समर्थन देना जारी रखेंगे।
2020 के बाद से चीन ने तथाकथित “शून्य कोविड” नीति के तहत सख्त स्वास्थ्य प्रतिबंध लगाए हैं।

लेकिन सरकार ने जनता के बढ़ते आक्रोश और अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव के बीच दिसंबर की शुरुआत में बिना किसी सूचना के उन अधिकांश उपायों को समाप्त कर दिया।

तब से मामलों की संख्या बढ़ गई है। बुजुर्गों के बीच उच्च मृत्यु दर की आशंका बढ़ रही है, जो विशेष रूप से कमजोर हैं।

टीकाकरण की आवश्यकता पर जोर

चीनी अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि वायरस से होने वाली सांस की विफलता से सीधे मरने वाले लोगों को ही अब कोविड मौत के आंकड़ों के तहत गिना जाएगा।

वायरस से होने वाली मौतों को दर्ज करने के मानदंड में बदलाव का मतलब है कि अब अधिकांश की गिनती नहीं की जाती है और चीन ने बुधवार को कहा कि पिछले दिन कोविड -19 से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं हुई थी।

WHO के आपातकालीन प्रमुख माइकल रयान ने अधिक टीकाकरण की आवश्यकता पर जोर दिया। हम यह हफ्तों से कह रहे हैं कि इस अत्यधिक बाहर निकलने की रणनीति क्या है संक्रामक वायरस को पूरी तरह से रोकने के लिए हमेशा बहुत मुश्किल होने वाला था, केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य और सामाजिक उपायों के साथ और अधिकांश देशों ने वास्तव में मिश्रित रणनीति अपनाई है।

टीकाकरण ओमिक्रॉन की एक लहर के प्रभाव से उस अर्थ में बाहर निकलने की रणनीति है।

Equity Linked Saving Scheme: टैक्‍स सेविंग के साथ शानदार रिटर्न, जानिए म्‍यूचुअल फंड की ये दमदार स्‍कीम

अगर आप म्‍यूचुअल फंड की ऐसी स्‍कीम की तलाश में हैं, जिसमें बेहतर रिटर्न के साथ आपको टैक्‍स छूट का भी फायदा मिले, तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स में निवेश कर सकते हैं.

Equity Linked Saving Scheme: टैक्‍स सेविंग के साथ शानदार रिटर्न, जानिए म्‍यूचुअल फंड की ये दमदार स्‍कीम (Zee Biz)

शेयर बाजार में सीधे निवेश की बजाय अगर म्‍यूचुअल फंड के जरिए निवेश किया जाए तो मार्केट का जोखिम कम रहता है और बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना काफी ज्‍यादा होती है. यही वजह है कि पिछले कुछ समय से म्‍यूचुअल फंड में निवेश काफी तेजी से बढ़ा है. लेकिन म्यूचुअल फंड में निवेश पर मिलने वाला रिटर्न टैक्‍स के दायरे में आता है. टैक्‍स देनदारी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने किस स्‍कीम में निवेश किया है और कितने समय बाद स्‍कीम से पैसा निकाला है.

लेकिन अगर आप म्‍यूचुअल फंड की ऐसी स्‍कीम की तलाश में हैं, जिसमें बेहतर रिटर्न के साथ आपको टैक्‍स छूट का भी फायदा मिले, तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स (Equity Linked Saving Scheme-ELSS) में निवेश कर सकते हैं. इस स्‍कीम को तमाम लोग टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम भी कहते हैं. इस स्‍कीम में आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपए तक का डिडक्‍शन क्‍लेम किया जा सकता है. जानिए ELSS के अन्‍य फायदे-

तीन साल का लॉक इन पीरियड

ELSS का एक फायदा ये है कि इसका लॉक इन पीरियड काफी कम समय का होता है. आमतौर पर बीमा, एनएससी, टैक्स सेविंग एफडी, पीपीएफ, ईपीएफ जैसी स्‍कीम्‍स में लॉक इन पीरियड पांच साल का है, जबकि ELSS में सिर्फ तीन साल का है, यानी तीन साल बाद आप अपना पैसा स्‍कीम से बाहर निकाल सकते हैं या रिडीम करा सकते हैं.


SIP के जरिए कर सकते हैं निवेश

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स का एक फायदा ये भी है कि आप इसमें चाहें तो पैसा एकमुश्‍त जमा कर दें या चाहें तो SIP के जरिए भी निवेश कर सकते हैं. SIP के जरिए आप एक निश्चित रकम, निश्चित अंतराल पर इसमें बाहर निकलने की रणनीति क्या है निवेश करते हैं.

मैच्‍योरिटी की डेट नहीं

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स में तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है, यानी आप तीन साल तक इसमें से पैसा नहीं निकाल सकते, लेकिन इसका कोई मैच्‍योरिटी टाइम नहीं होता है. यानी तीन साल बाद आप चाहें तो इसका पैसा निकाल लें, या इस स्‍कीम में जब तक चाहें, तब तक निवेश को जारी रख सकते हैं.

पसंदीदा स्‍कीम चुनने का विकल्‍प

ELSS में आपको अपने पसंद की स्‍कीम चुनने का मौका मिलता है. कई स्‍कीम्‍स ऐसी भी हैं, जिनमें 100 रुपए से भी मासिक निवेश के साथ एसआईपी की शुरुआत की जा सकती है. यानी आप अपने बजट और सुविधा के हिसाब से स्‍कीम चुन सकते हैं.

टैक्‍स की छूट

ELSS स्‍कीम्‍स से 3 साल बाद बाहर निकलने पर टैक्‍स की सेविंग होती है. लेकिन, ये पूरी तरह नहीं है. ELSS पर 1 लाख रुपए तक लॉन्‍ग-टर्म कैपिटल गेन्‍स टैक्‍स फ्री रहता है. इससे ज्‍यादा के लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन्‍स पर 10 फीसदी की दर से टैक्‍स लगता है. इसके अलावा सेस और सरचार्ज देना होता है. वहीं, निवेशक को मिलने वाला डिविडेंड टैक्‍स-फ्री रहता है.

चीन से बाहर निकलने की फिराक में क्यों है टिक टॉक

डिजनी के केविन मायर को अपना सीईओ बनाने वाला टिकटॉक क्या चीन से बाहर जाने की सोच रहा है. हाल के महीनों में उसने कई ऐसे कदम उठाए हैं जिनसे इन आशंकाओं को मजबूती मिल रही है.

छोटे छोटे वीडियो बनाने वाले ऐप की मूल कंपनी बाइट डांस ने चुपके चुपके हाल के महीनों में ऐसे कई कदम उठाए हैं. इन कदमों से ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कंपनी अपना कामकाज चीन के बाहर से चलाना चाहती है. यह रणनीति सिर्फ टिकटॉक के लिए ही नहीं है. टिकटॉक चीन में नहीं दिखाई देता और बाइटडांस इसी तरह के अपने दूसरे कारोबार का नियंत्रण भी चीन से बाहर रखना चाहती है. इनमें भारत में चलने वाला सोशल मीडिया ऐप हेलो भी शामिल है.

बाइटडांस ने टिक टॉक के इंजीनियरिंग और रिसर्च और डेवलपमेंट ऑपरेशनों का विस्तार कैलिफोर्निया के माउंटेन व्यू में कर लिया है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने कम से कम तीन स्रोतों से इस बात की पुष्टि की है. इनमें से एक सूत्र ने यह भी जानकारी दी कि वहां 150 से ज्यादा इंजीनियरों को काम पर लगाया गया है. बाइटडांस ने न्यूयॉर्क में एक इंवेस्टर रिलेशंस डायरेक्टर भी नियुक्त किया है जो प्रमुख निवेशकों के साथ संपर्क में रहेगा. पहले यह काम बीजिंग से होता था. नए डायरेक्टर मिशेल हुआंग सॉफ्ट बैंक के निवेशक हैं जो इससे पहले एक जापानी कंपनी के बाइटडांस में निवेश पर काम कर रहे थे. हुआंग ने प्रतिक्रिया जताने के लिए भेजे गए ईमेल का जवाब नहीं दिया.

कंपनी के कामकाज में ये बदलाव ऐसे समय में हो रहे हैं जब अमेरिका और चीन के बीच कारोबार, तकनीक और कोविड-19 की महामारी को लेकर तनाव बढ़ा हुआ है. इसके साथ ही अमेरिकी नियामक टिकटॉक पर भी सख्त नजर रख रहे हैं. बीते महीनों में टिक टॉक पूरी दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हुआ है. कंपनी अमेरिका को अपना सबसे बड़ा बाजार मान रही है.

वाल्ट डिजनी के स्ट्रीमिंग के पूर्व प्रमुख केविन मायर को कंपनी ने बाइटडांस का सीईओ नियुक्त किया है जो लॉस एंजेलेस में रहेंगे. उन्हें ग्लोबल कॉर्पोरेट डेवलपमेंट का भी नेतृत्व सौंपा गया है. अब तक बहुत से ऐसे काम जो बीजिंग से हो रहे थे वह अब लॉस एंजेलेस में उनके हवाले किया जा रहा है. बाइटडांस सिंगापुर, वारसॉ, जकार्ता समेत दुनिया के कई इलाकों में इंजीनियरों की नियुक्ति कर रहा है.

कंपनी के संगठन में इन बदलावों को बाइटडांस के कर्मचारी भी संशय की निगाह से देख रहे हैं. ये लोग कंपनी के वैश्विक कामकाज को चीन से ही संचालित करना चाहते हैं. उन्हें चिंता है कि उनका महत्व कम हो सकता है और कई लोग तो दूसरी जगहों पर काम भी बाहर निकलने की रणनीति क्या है ढूंढने लगे हैं.

अमेरिका की ओर

टिक टॉक के लिए अमेरिका में इंजीनिरिंग टीम का विस्तार करना अपने संसाधनों को चीन से हटाने जैसा है. अब तक उसके ऐप का सारा काम यहीं से होता रहा है. हालांकि गूगल जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए चीन में इंजीनियर को नौकरी पर रखना कोई हैरानी की बात नहीं है. पहले टिक टॉक के सारे इंजीनियर चीन में बैठे मैनेजरों को रिपोर्ट करते थे लेकिन कंपनी ऊंचे स्तर के एग्जिक्यूटिव की नियुक्ति अमेरिका में करना चाहती है ताकि इंजीनिरिंग विभाग पूरी तरह वहीं से काम करे. चीन वाली टीम से संपर्क को काटना हालांकि मुश्किल होगा. चीन में बैठे कुछ इंजीनियर टिक टॉक के साथ ही चीन के सोशल मीडिया ऐप डूयिन का भी संचालन करते हैं. दोनों ऐप का बुनियादी ढांचा एक ही है. ऐसे में उन्हें अलग करना मुश्किल होगा.

टिकटॉक ऐप कई देशों में बहुत लोकप्रिय हो रहा है. इनमें भारत और अमेरिका भी शामिल हैं. अमेरिका में कंपनी के चीनी स्वामित्व और निजी डाटा को संभालने को लेकर चिंता जताई जा रही है. कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर यूजरों के ऐप पर व्यवहार के मुताबिक वीडियो का सुझाव देती है. पिछले साल से टिक टॉक को अमेरिका में अधिकारियों की कड़ी निगरानी का सामना करना पड़ रहा है. अधिकारी इस बात की पड़ताल कर रहे हैं कि ऐप से राष्ट्रीय सुरक्षा को तो कहीं कोई खतरा नहीं है. अमेरिका की ट्रेजरी कमेटी ऑन फॉरेन इनवेस्टमेंट इन यूनाईटेड स्टेट्स, सीफीआईयूएस ने कंपनी की भी जांच भी की है. इस जांच के केंद्र में निजी जानकारियों की देखरेख ही था.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/AP Photo/J. Hill

कैसा जोखिम

कानूनी जानकारों का कहना है कि नियामक एजेंसियां टिक टॉक के हाल के कदमों की पड़ताल कर यह पता लगाएंगी इनसे कोई जोखिम तो नहीं है और साथ ही यह भी कि आखिरकार किस तरह के बदलाव हो रहे है. सीफीआईयूएस के वकील पॉर मार्क्वार्ट का कहना है, "पुनर्गठन की कोशिशों के साथ एक मसला विश्वसनीयता का भी होता है. सीफीआईयूएस यह जानना चाहेगा कि वास्तव में कामकाज पूरी तरह स्वतंत्र है और किसी संभावित शत्रुतापूर्ण दखलंदाजी बाहर निकलने की रणनीति क्या है से मुक्त है या नहीं."

चीन के कदमों और कंपनियों को संशय की निगाह से देखने के पीछे अमेरिका के मन में चीनी दखलंदाजी का डर है. उसे यह आशंका बनी रहती है कि कहीं ये कंपनियां चीन की सरकार के इशारे पर कुछ ऐसा तो नहीं करेंगी जिनसे अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है.

2018 में जब बाइटडांस ने म्यजिूक ऐप म्यूजिकली का अधिग्रहण किया तो कुछ सांसदों ने सीफआईयूएस से इसकी समीक्षा करने का आग्रह किया. रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रूबियो भी उनमें शामिल थे. जब उनसे हाल के टिकटॉक के उठाए कदमों के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था, "जब तक टिक टॉक और दूसरी कोई कंपनी इस तरह से काम करती है कि उससे चीनी सरकार या कम्युनिस्ट पार्टी लाभ उठाए तो ऐसे एप्लिकेशन के इस्तेमाल पर खतरा रहेगा क्योंकि सच्चाई यह है कि यूजरों की जानकारी खतरे में होगी."

2024 में इस सीट से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी, कांग्रेस के प्लान का हुआ बड़ा खुलासा, पढ़े पूरी अपडेट

राहुल गांधी अब दक्षिण भारत में और प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर में कमान संभालेंगी. प्रियंका गांधी लखनऊ और दिल्ली में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को ध्वस्त करने में जुटेंगी.

2024 में इस सीट से चुनाव लड़ेंगी प्रियंका गांधी, कांग्रेस के प्लान का हुआ बड़ा खुलासा, पढ़े पूरी अपडेट

नई दिल्ली। साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस खास प्लान बना रही है. कांग्रेस पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीच जिम्मेदारी बांटने वाली है. बताया जा रहा है कि राहुल दक्षिण भारत की जिम्मेदारी संभालेंगे, जबकि प्रियंका गांधी उत्तर भारत में पार्टी की कमान संभालेंगी. बता दें कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा नए साल में उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी और यहां तीन दिनों तक चलेगी. इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ प्रियंका गांधी भी शामिल होंगी.

प्रियंका गांधी ने हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान जमकर प्रचार किया था और इसका फायदा कांग्रेस पार्टी को मिला. हिमाचल में कांग्रेस की जीत के बाद पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच जिम्मेदारी बांटने की रणनीति पर काम कर रही है. कांग्रेस बाहर निकलने की रणनीति क्या है के केंद्रीय नेताओं के बेहद करीबी पत्रकार हिसाम सिद्दीकी कहते हैं कि राहुल गांधी दक्षिण भारत की जिम्मेदारी संभालेंगे और केरल की वायनाड सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि प्रियंका उत्तर भारत में पार्टी की कमान संभालेंगी और रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दक्षिण भारत की जिम्मेदारी संभालेंगे, इसका मतलब यह नहीं है कि वो उत्तर भारत के राज्यों में प्रचार नहीं करेंगे. वह उत्तर भारत में भी प्रचार करेंगे, हालांकि कमान उनकी बहन प्रियंका गांधी के हाथ में होगी. पार्टी के नेताओं के अनुसार, कांग्रेस पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश पर फोकस करना चाहती है और प्रियंका गांधी अब पूरी तरह से यूपी में पार्टी को मजबूत करने में जुटेंगी.

प्रियंका गांधी की पीआर टीम के लोगों का भी दावा है कि राहुल गांधी अब दक्षिण भारत में और प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर में कमान संभालेंगी. प्रियंका गांधी लखनऊ और दिल्ली में रहते हुए भारतीय जनता पार्टी की रणनीति को ध्वस्त करने में जुटेंगी.

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भले की कांग्रेस पार्टी को लाभ नहीं हुआ, लेकिन प्रियंका गांधी की मेहनत में कोई कमी नहीं रही थी. पार्टी नेताओं का कहना है कि प्रियंका गांधी के कमान संभालने पर पार्टी को यूपी सहित पूरे उत्तर भारत में लाभ होगा. वहीं, राहुल गांधी के चलते दक्षिण भारत में पार्टी का परचम फहराएगा.

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