जो लोग खुद का बिजनेस करना चाहते हैं लेकिन पैसा नहीं है, उनके लिए बड़े काम की है ये स्कीम, बिना गारंटी के लें 10 लाख रु तक का लोन

न्यूज डेस्क। देश में छोटे और मध्यम आकार के उद्योग शुरू करने से जुड़ी वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारत सरकार ने अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) की शुरुआत की थी। इस योजना के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, पहला- स्वरोजगार के लिए आसान लोन उपलब्ध करवाना और दूसरा- छोटे उद्यमों के माध्यम से रोजगार के नए अवसर सामने लाना। यह लोन नॉन-कॉर्पोरेट छोटे व्यवसायों के लिए बनाया गया है, इसलिए मुद्रा लोन शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में अकेले या पार्टनरशिप में छोटी निर्माण यूनिट चलाने वालों से लेकर दुकानदारों, छोटा व्यवसाय/व्यापार करने वालों, छोटी इंडस्ट्रीज चलाने वालों, कारीगरों,

खाद्य उत्पादों से जुड़ा व्यापार करने वालों और सर्विस सेक्टर में काम करने वालों तक के काम की योजना है। ये लोन वाणिज्यिक (कमर्शियल) बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, छोटे फाइनेंस बैंकों, सहकारी बैंकों, माइक्रोफाइनेंस (सूक्ष्म-वित्त ) संस्थानों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में आवेदन देकर पाया जा सकता है।

मुद्रा लोन से जुड़े चार प्रमुख सवाल

1. कितना लोन मिल सकता है?
मुद्रा लोन के तहत अधिकतम 10 लाख रुपए तक का लोन लिया जा सकता है। इस लोन को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है— शिशु ऋण, जिसमें अधिकतम सीमा 50 हजार रुपए है, किशोर ऋण, जिसमें 50 हजार से 5 लाख रुपए तक की सीमा है और तरुण ऋण, जिसमें अधिकतम 10 लाख रुपए तक की सीमा रखी गई है।

2. किसे मिल सकता है?
कोई भी व्यक्ति जो अपना स्वयं का व्यवसाय शुरु करना चाहता है, वह इस योजना के तहत लोन ले सकता है। इसके साथ ही अगर कोई अपने मौजूदा व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहता है, तो भी उसे इस योजना के माध्यम से लोन मिल सकता है।

3. कैसे ले सकते हैं?
मुद्रा लोन के लिए उस सरकारी या किसी अन्य बैंक या वित्तीय संस्थान में आवेदन मुद्रा का व्यापारी कौन है देना होगा, जो मुद्रा लोन देता हो। आवेदन के लिए आपके कारोबार की पूरी जानकारी/प्लान सहित अन्य आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।

4. कितना ब्याज देना होगा?
मुद्रा लोन की खास बात यह है कि इसमें कोई निश्चित ब्याज दर नहीं है। अलग-अलग बैंक लोन पर अलग-अलग दर से ब्याज वसूल सकते हैं। दर का निर्धारण कारोबार की प्रकृति और उससे जुड़े जोखिम के आधार पर तय होता है। वैसे सामान्यतः ब्याज दर 12 प्रतिशत के आसपास रहती है।

यह है मुद्रा लोन पाने की पूरी प्रक्रिया

पहला चरण-
सबसे पहले आवेदक को एक बिजनेस प्लान तैयार करना होता है। साथ ही लोन के लिए सभी आवश्यक दस्तावेज भी तैयार करने होते हैं। सामान्य दस्तावेजों के साथ बैंक आपसे आपका बिज़नेस प्लान, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, भविष्य की आय के अनुमान संबंधी दस्तावेज भी मांगेगा, ताकि उसे आपकी आवश्यकता की जानकारी हो, साथ ही यह भी अंदाजा लग सके कि आपको लाभ कैसे होगा या लाभ कैसे बढ़ेगा।

दूसरा चरण-
मुद्रा लोन देने वाले बैंक/वित्तीय संस्था न का चयन करना होता है। आवेदक एक से अधिक मुद्रा का व्यापारी कौन है मुद्रा का व्यापारी कौन है बैंकों का चयन कर सकता है। बैंक को दस्तावेजों के साथ लोन एप्लिकेशन फॉर्म भरकर जमा करना होगा। किस तरह के बैंक/संस्था न मुद्रा लोन देते हैं, इसकी जानकारी ऊपर दी गई है।

तीसरा चरण
आवेदन सही पाए जाने पर बैंक या वित्तीय संस्थान मुद्रा लोन पास करेगा और आवेदक को मुद्रा कार्ड प्रदान किया जाएगा।

मुद्रा योजना के चार बड़े फायदे

- इस योजना के तहत बिना गारंटी के लोन लिया जा सकता है।
- इसके लिए किसी भी तरह की प्रोसेसिंग फीस नहीं चुकानी पड़ती।
- लोन भुगतान अवधि को पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है।
- लोन लेने वाले को मुद्रा कार्ड दिया जाता है, जिस का उपयोग कारोबारी जरूरत पर आने वाले खर्च के लिए कर सकता है।

जरूरी दस्तावेज़ (डॉक्यूमेंट्स चेकलिस्ट)

सामान्यत: मुद्रा लोन के लिए आपको आवेदन फॉर्म के साथ निम्न दस्तावेज़ जमा करने होते हैं। ऋण की राशि , व्यापार की प्रकृति , बैंक नियमों आदि के आधार पर दस्तावेज़ों की संख्या कम या ज्यादा हो सकती है।

मुद्रा लोन आवेदन, बिज़नेस प्लान या प्रोजेक्ट रिपोर्ट, पहचान संबंधी दस्तावेज़ जैसे पैन कार्ड , आधार कार्ड , मतदाता पहचान पत्र आदि । एक से ज्यादा आवेदकों की स्थिति में पार्टनरशिप संबंधी दस्तावेज़ (डीड), टैक्स रजिस्ट्रेशन, बिज़नेस लाइसेंस आदि । निवास के प्रमाण संबंधी दस्तावेज़, जैसे टेलीफोन बिल/बिजली बिल आदि आवेदक की 6 महीने से कम पुरानी तस्वीरें, मशीन या अन्य सामग्री का कोटेशन जिसे खरीदना चाहते हैं, साथ ही जहां से खरीदेंगे उस सप्लायर/दुकानदार के बारे में जानकारी, श्रेणियां(एससी/एसटी/ओबीसी/अल्पसंख्यक), अगर लागू हो तो पिछले दो वर्षों की बैलेंस शीट और प्रोजेक्टेड बैलेंस शीट (दो लाख से ऊपर के लोन पर)।

काबुल : भारत नई पहल करे

पिछले साल काबुल पर तालिबान का कब्जा होते ही मुद्रा का व्यापारी कौन है भारत सरकार बिल्कुल हत्प्रभ हो गई थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? हमारे विदेश मंत्री ने कहा था कि हम बैठे हैं और देख रहे हैं। उसी समय मैंने तालिबान के कब्जे के एक-दो दिन पहले ही लिखा था कि भारत सरकार को अत्यंत सतर्क रहने की जरूरत है लेकिन मुझे खुशी है कि हमारे कुछ अनुभवी अफसरों की पहल पर भारत सरकार ने ठीक रास्ता पकड़ लिया। उसने दोहा (कतर) में स्थित तालिबानी तत्वों से सम्पर्क बढ़ाया, अफगानिस्तान को हजारों टन गेहूं और दवाइयां भेजने की घोषणा की और तालिबान सरकार से भी संवाद किया।

काबुल स्थित अपने दूतावास को भी सक्रिय कर दिया। उधर तालिबान नेताओं और प्रवक्ता ने भारत की मदद का आभार माना, हालांकि भारत सरकार ने उनकी सरकार को कोई मान्यता नहीं दी है। इस बीच इस साल जनवरी में प्रधानमंत्री मोदी ने मध्य एशिया के पांचों गणतंत्रों के मुखियाओं के साथ सीधा संवाद भी कायम किया था। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के सम्मेलन में अफगानिस्तान के बारे में भारत की चिंता को व्यक्त किया था।

अफगानिस्तान में आतंकवादी शक्तियां अब ज्यादा सक्रिय न हो जाएं, इस दृष्टि से भारत ने कई पड़ोसी देशों के प्रतिनिधियों का सम्मेलन भी किया था लेकिन हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल बधाई के पात्र हैं जिन्होंने नई दिल्ली में कल पांचों मध्य एशिया के राष्ट्रों-तुर्कमेनिस्तान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और किर्गिस्तान-के सुरक्षा सलाहकारों का पहला सम्मेलन आयोजित किया।

इस सम्मेलन में मुख्य विषय यही था कि अफगानिस्तान को आतंकवाद का अड्डा बनने से कैसे रोका जाए? पाकिस्तान के ज्यादातर आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान के कबाइली इलाकों से अपना जाल फैलाते हैं। न पाकिस्तान और न ही अफगान सरकार उन पर काबू कर पाती है। उनकी शक्ति का असली स्त्रोत वह पैसा ही है, जो इस्लामी देशों से आता है और अफीम की खेती है। सभी सुरक्षा सलाहकारों ने इन स्रोतों पर कड़ी रोक लगाने की घोषणा की है। सभी प्रतिनिधियों ने तालिबान सरकार से मांग की है कि वह इन आतंकियों को किसी भी तरह की सुविधा न लेने दे। अपने इस आग्रह को उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव नं. 2593 के अनुसार ही बताया है। भारत सरकार की इस पहल का कुछ न कुछ ठोस असर जरूर होगा लेकिन यह तो तात्कालिक समस्या का तात्कालिक उपचार मुद्रा का व्यापारी कौन है है।

फिलहाल जरूरत है, संपूर्ण दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के राष्ट्रों के बीच यूरोपीय संघ की तरह एक सांझी संसद, सांझी न्यायपालिका, सांझा बाजार, सांझी मुद्रा, मुक्त व्यापार और मुक्त आवागमन की व्यवस्था कायम हो। यदि भारत इसकी पहल नहीं करेगा तो कौन करेगा? सरकारें करें या न करें, इन देशों की जनता, जिसमें ईरान, म्यांमार और मॉरीशस को भी शामिल कर लें तो इन 16 राष्ट्रों को मिलाकर ‘जन-दक्षेस’ नामक संगठन के जरिए एक युगांतरकारी संगठन खड़ा किया जा सकता है। यदि भारत की पहल पर यह संगठन बन गया तो एशिया अगले 10 वर्षों में ही यूरोप से अधिक समृद्ध हो सकता है।-डा. वेदप्रताप वैदिक

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रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर

मुंबई, छह दिसंबर (भाषा) अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 65 पैसे लुढ़ककर लगभग एक माह के निचले स्तर 82.50 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशी बाजारों में कच्चा तेल कीमतों में तेजी आने और घरेलू शेयर बाजार में भारी बिकवाली दबाव से रुपये में गिरावट आई।

बाजार सूत्रों ने कहा कि इसके अलावा रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति की घोषणा से पहले निवेशकों के बीच विदेशी पूंजी की निकासी को लेकर चिंता रही।

अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 81.94 पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में यह 65 पैसे औंधे मुंह लुढ़ककर 81.50 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये ने 81.94 के उच्चस्तर और 82.मुद्रा का व्यापारी कौन है 63 के निचले स्तर को छुआ।

इससे पिछले, कारोबारी सत्र में रुपया 52 पैसे की गिरावट के साथ 81.85 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।

इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की कमजोरी या मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 105.24 रह गया।

वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 0.64 प्रतिशत बढ़कर 83.22 डॉलर प्रति बैरल हो गया।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 208.24 अंक घटकर 62,626.36 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे मुद्रा का व्यापारी कौन है और उन्होंने सोमवार को 558.67 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशीमुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक, गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘निवेशकों की निगाह भारतीय रिजर्व बैंक के नीतिगत बयान पर रहेगी। ऐसी उम्मीद है कि केन्द्रीय बैंक ब्याज दरों में 0.35 प्रतिशत की और वृद्धि कर सकता है।’’

भाषा राजेश राजेश रमण

(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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आपको लोन की राशि और ब्याज़ दोनों को चुकाने के लिए अधिकतम 7 साल का समय मिलेगा। इसका मतलब यह हुआ कि आपको पूरी राशि 84 महीनों में चुकानी है। इसे एक साथ भी चुका सकते हैं या फिर 84 EMIs का विकल्प ले सकते हैं।

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