Published on: August 13, 2022 17:05 IST
गोरखपुर में निवेश की मची होड़, बीपीसीएल के बाद अब एचसीएल भी नगर निगम से मांग रहा है जमीन
गोरखपुर में निवेश को लेकर होड़ मची दिख रही है। कंपनियां गोरखपुर नगर निगम से अपने बिजनेस को यहां पर स्टार्ट करने के लिए जमीन की मांग कर रही है। नगर आय़ुक्त का कहना है कि ज्यादा लाभ देने वाली कंपनी के साथ काम करेंगे।
रजत भट्ट
गोरखपुर: जनपद में निवेश करने वालों के बीच होड़ लगी हुई है। बड़ी-बड़ी कंपनियां और बड़े बड़े बिजनेसमैन गोरखपुर में निवेश करते दिख रहे हैं। अब ऐसे में कंपनियां गोरखपुर नगर निगम से अपने बिजनेस को निगमों में निवेश यहां पर स्टार्ट करने के लिए जमीने मांग रही हैं। वही अभी नगर निगम ने भारत पेट्रोलियम के साथ पीपीपी मॉडल पर एक हाईटेक पेट्रोल पंप बनाने का काम शुरू करने वाला है। इसी को देखते हुए और इस पेट्रोल पंप के खुलने से शहर के लोगों को एक हाईटेक पेट्रोल पंप का सुविधा मिलेगा। जिसके अंदर कई सारी सुविधाएं होंगी। लेकिन अब (एचपीसीएल) हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अधिकारियों ने भी नगर आयुक्त से मुलाकात कर गोरखपुर में पेट्रोल पंप खोलने के लिए जमीन की मांग की है।
एचपीसीएल अधिकारी बोले हम भारत पेट्रोलियम से ज्यादा भाड़ा देंगे
गोरखपुर नगर निगम द्वारा बीपीसीएल के अधिकारियों को भी जगह दिखाई गई। कंपनी के अफसरों को सुभाष चंद्र बोस नगर महेसरा महेवा में जमीने दिखाई गई। वहीं अधिकारियों ने 25 वर्ग मीटर जमीन की मांग की है। इस पेट्रोल पंप को भी पूरी तरीके से हाईटेक पेट्रोल पंप बनाने की तैयारी है। जिसके अंदर पेट्रोल डीजल चार्जिंग पॉइंट और सीएनजी की भी सुविधाएं उपलब्ध रहेगा। 30 साल के लिए जमीन लीज पर ली जाएंगी, लेकिन एचपीसीएल के अधिकारियों ने कहा कि हम भारत पैट्रोलियम से ज्यादा भाड़ा देंगे। वही बीपीसीएल भारत पेट्रोलियम ने कहां है हम पेट्रोल और डीजल में कमीशन भी देंगे और इस प्रोजेक्ट को खड़ा करने में नगर निगम का एक भी पैसा नहीं लगेगा।
नगर आयुक्त ने कहा ज्यादा लाभ देने वाली कंपनियों के साथ करेंगे काम
गोरखपुर पिछले कुछ समय से पेट्रोलियम कंपनियों के निवेश गोरखपुर में बढ़ रही है। पिछले कुछ समय में नगर निगम से बीपीसीएल और एचपीसीएल ने जमीनों की मांग की है। जिसके तर्ज पर उन्हें जमीने भी दिखाई गई हैं और दोनों के साथ नगर निगम की बात भी चल रही है। वही नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने कहा ज्यादा लाभ देने वाली कंपनियों के साथ हम काम करेंगे। अभी इसकी समीक्षा चल रही है। वही बीपीसीएल ने भारत पेट्रोलियम से ज्यादा भाड़ा और पेट्रोल डीजल में कमीशन भी देने की बात कही है।
अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम और मीगा (MIGA): कार्य और उद्येश्य
विश्व बैंक समूह (WBG) पांच अंतरराष्ट्रीय संगठनों का एक परिवार है। ये संगठन हैं– अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD), अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (IDA), अंतरराष्ट्रीय वित्त निगत (IFC), बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA) और अंतरराष्ट्रीय निवेश विवाद निपटान केंद्र (ICSID). आईएफसी का गठन जुलाई 1956 में हुआ था। यह विकासशील देशों को बिना किसी सरकारी गारंटी के निजी उद्योगों को ऋण (बिना किसी व्याज भुगतान के) मुहैया कराता है MIGA अप्रैल 1988 में अस्तित्व में आया था।
विश्व बैंक समूह (WBG) पांच अंतरराष्ट्रीय संगठनों का एक परिवार है। ये संगठन हैं– अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD), अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (IDA), अंतरराष्ट्रीय वित्त निगत (IFC), बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (MIGA) और अंतरराष्ट्रीय निवेश विवाद निपटान केंद्र (ICSID). आईएफसी का गठन जुलाई 1956 में हुआ था। यह संगठन विकासशील देशों में बिना किसी सरकारी गारंटी के निजी उद्योगों को ऋण मुहैया कराता है और इन देशों में अतिरिक्त पूंजी निवेश को भी प्रोत्साहित करता है, इसलिए आईएफसी का मुख्य काम विकासशील देशों में निजी क्षेत्र को वित्तीय समर्थन मिलना सुनिश्चित करना है। मार्च 2015 के अंत तक इसके सदस्यों की संख्या 184 थी। जुलाई 2014 को इसकी अधिकृत पूंजी 72 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी।
आईएफसी के उद्देश्य इस प्रकार हैं–
क. निजी क्षेत्रों को ऋण मुहैया कराना।
ख. पूंजी और प्रबंधन में समन्वय स्थापित करना।
ग. पूंजीवादी देशों को विकासशील देशों में निवेश करने हेतु शामिल करना।
आईएफसी के प्रस्तावों को इस प्रकार डिजाइन किया गया है कि वे अलग– अलग उद्योगों में हमारे ग्राहकों की विशेष जरूरतों को पूरा कर सकें। इसमें बुनियादी ढांचा, विनिर्माण, कृषि व्यापार, सर्विसेस और वित्तीय बाजार पर विशेष फोकस दिया जाता है।
IFC के वित्तीय उत्पाद कंपनियों को जोखिम प्रबंधन करने में सक्षम बनाते हैं और विदेशी एवं घरेलू पूंजी बाजारों में उनकी पहुंच का विस्तार करते हैं। IFC की सलाह निजी क्षेत्र निवेश के दरवाजे खोलने में मदद करती है जो व्यापार के विस्तार, रोजगार सृजन और विकासशील अर्थव्यवस्थाओँ के लिए आवश्यक है।
IFC, निजी क्षेत्र के साथ मिलकर उद्यमिता को प्रोत्साहित करता हैं और टिकाऊ व्यापार का निर्माण करता हैं– उन्हें कई प्रकार के मुद्दों पर परामर्श देते हैं। इसमें पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासनिक मानकों, ऊर्जा एवं संसाधन कुशलता और आपूर्ति श्रृंखला शामिल हैं। हम वित्तीय मध्यस्थ ग्राहकों के साथ हमारे काम के माध्यम से व्यक्तिगत और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों के लिए महत्वपूर्ण वित्त तक पहुंच का विस्तार करने में मदद करते हैं।
वित्त वर्ष 2015 में, विकासशील देशों में कुल 17.7 बिलियम अमेरिकी डॉलर का हमने दीर्घ-कालिक निवेश किया था, यह पिछले वर्ष की तुलना में 17 फीसदी अधिक था। इस धनराशि के एक तिहाई से भी अधिक – 7 बिलियन डॉलर से अधिक–अन्य निवेशकों से जुटाए गए थे।
बहुपक्षीय निवेश गारंटी एजेंसी (Multilateral Investment Guarantee Agency (MIGA):-
MIGA विश्व समूह का सदस्य है। यह अप्रैल 1988 में अस्तित्व में आया था। इसका मिशन विकासशील देशों में आर्थिक विकास का समर्थन करने, गरीबी को कम करने और लोगों के जीवन में सुधार लाने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा देना था। MIGA की संचालन रणनीति बाजार स्थल में अपनी सर्वाधिक शक्ति के साथ रहती है– निवेशकों और निजी बीमा कंपनियों को कठिन संचालन माहौल में काम करने के लिए आकर्षित करती है।
MIGA निजी क्षेत्र के निवेशकों और उधार देने वालों को राजनीतिक जोखिम बीमा गारंटी प्रदान करता है। एमआईजीए गैर– वाणिज्यिक जोखिम के खिलाफ निवेशों की रक्षा की गारंटी देता है और सुधरी हुई वित्तीय शर्तों और नियमों के साथ वित्त मुहैया कराने वाले संसाधनों तक निवेशकों की पहुंच में मदद करता है। MIGA की शक्ति विश्व बैंक समूह के निगमों में निवेश एक सदस्य के तौर और इसकी संरचना इसके शेयरधारकों के साथ अंतरराष्ट्रीय संगठन जिसमें विश्व के ज्यादातर देश शामिल है, से है। वर्ष 1988 में अपनी स्थापना के बाद से MIGA ने कई क्षेत्रों में परियोजनाओँ के लिए राजनीतिक जोखिम में 28 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का योगदान किया है। इसमें विश्व के कई क्षेत्रों को कवर किया गया है।
MIGA उभरते हुए बाजारों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का समर्थन करने के लिए अनुसंधान करता है और ज्ञान को साझा भी करता है। यह इसे राजनीतिक जोखिम बीमा समुदाय के लिए निगमों में निवेश विचार नेता और उचित सूचना के संसाधन के रूप में इसकी स्थिति को रेखांकित करता है। MIGA सिर्फ उन्हीं निवेशों का समर्थन करता है जो विकासात्मक रूप से सही और सामाजिक एवं पर्यावरणीय मानकों को पूरा करने वाले होते हैं। MIGA सभी परियोजनाओं पर सामाजिक एवं पर्यावरणीय मानकों के व्यापक सेट को लागू करता है और इन मानकों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए निवेशकों के साथ काम करने के लिए विशेषज्ञता प्रदान करने की पेशकश करता है। MIGA के सदस्यों में 155 विकासशील और 25 विकसित देश हैं।
MIGA के शेयरधारक:-
काउंसिल ऑफ गवर्नर्स और सदस्य देशों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक निदेशक मंडल MIGA के कार्यक्रमों और गतिविधियों का मार्गदर्शन करता है। MIGA के कॉरपोरेट शक्तियां काउंसिल ऑफ गवर्नर्स में निहित हैं जो अपनी अधिकांश शक्तियां निदेशक मंडल को दे देता है। मतदान की शक्ति का महत्व प्रत्येक प्रतिनिधि निदेशक के पूंजी के हिस्से के अनुसार होता है। निदेशक वाशिंगटन, डीसी में विश्व बैंक समूह के मुख्यालयों में नियमित रूप से मिलते हैं जहां वे निवेश परियोजनाओँ की समीक्षा, उन पर फैसला एवं सामान्य प्रबंधन नीतियों पर गौर करते हैं।
MIGA का अधिकार– क्षेत्र (डोमेन)
MIGA के लोगों के पास बैंकिंग एवं पूंजी बाजारों, पर्यावरणीय एवं सामाजिक स्थिरता, परियोजना वित्त और क्षेत्र विशेषताएं एवं अंतरराष्ट्रीय कानून और विवाद निपटान पृष्ठभूमि समेत राजनीतिक जोखिम बीमा के क्षेत्र में बहुत अधिक अनुभव है।
IDBI में भारतीय जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी कब बेचेगी सरकार? LIC ने दिया ये जवाब
IDBI बैंक में LIC की 49.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि बाकी हिस्सा सरकार और निवेशकों के पास है। LIC ने इस बैंक के गहरे वित्तीय संकट में रहते समय उसमें हिस्सेदारी ली थी।
Written By: Indiatv Paisa Desk
Published on: August 13, 2022 17:05 IST
Photo:PTI IDBI
देश के प्रमुख अर्धसरकारी बैेंक IDBI में LIC की हिस्सेदारी बेचने का मामला काफी समय से लटका हुआ है। निवेश लंबे समय से सरकार से इस बारे में फैसला लेने के लिए कह रहे हैं। लेकिन अभी तक न तो LIC और न सरकार की ओर से कोई ठोस जवाब मिला है।
अब भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC ) के चेयरमैन एम आर कुमार के जवाब से मामला फिर ठंडे बस्ते में जाने का इशारा मिला है। चेयरमैन एम आर कुमार कहा कि निगम को अपनी सहायक इकाई आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए सरकार की तरफ से कोई समयसीमा नहीं दी गई है।
कितनी है LIC की हिस्सेदारी
आईडीबीआई बैंक में एलआईसी की 49.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है जबकि बाकी हिस्सा सरकार और निवेशकों के पास है। एलआईसी ने इस बैंक के गहरे वित्तीय संकट में रहते समय उसमें हिस्सेदारी ली थी। कुमार ने एलआईसी के तिमाही नतीजों की घोषणा के दौरान मीडिया से बातचीत में कहा कि बीमा कंपनी के पास आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए अभी कोई समयसीमा नहीं तय की गई है। उन्होंने कहा कि विनिवेश विभाग इस पर काम कर रहा है लेकिन अभी तक कोई अभिरुचि पत्र नहीं मंगाया गया है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव भी एलआईसी के पास नहीं आया है।
IPO के वक्त कंपनी का ये था बयान
बीमा कंपनी ने अपना आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के पहले कहा था निगमों में निवेश कि वह बैंक बीमा माध्यम का लाभ लेने के लिए आईडीबीआई बैंक में अपनी कुछ हिस्सेदारी बनाए रखेगा। सरकार अब आईडीबीआई बैंक से बाहर निकलना चाहती है और इसके लिए वह इस बैंक का पूरी तरह निजीकरण करना चाहती है।
अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम की महिंद्रा फाइनेंस में निवेश योजना
प्रश्न-विश्व बैंक समूह की शाखा ‘IFC’ (अंतरराष्ट्रीय वित्त निगम) ने कम आय वाले राज्यों में MSME के लिए वित्तपोषण का एक समर्पित पूल बनाने के लिए महिंद्रा फाइनेंस में कितनी राशि का निवेश किया है?
(a) 100 मिलियन डॉलर
(b) 125 मिलियन डॉलर
(c) 150 मिलियन डॉलर
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-(d)
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होटल इंडस्ट्री में सफलता का परचम लहराने के बाद भारत की राजनीति का मूड सेट करेंगे राहुल पंडित, सोनू निगम ने भी इस कंपनी में किया है निवेश
सिंगर सोनू निगम ने हाल ही में Buffering Media में 6 करोड़ का निवेश किया है. लेमन ट्री होटल्स के पूर्व सीईओ राहुल पंडित ने भी इस कंपनी में निवेश किया और कहा कि पॉलिटिक्स की दुनिया डेटा और टेक्नोलॉजी की मदद से आज तक देखी नहीं गई है.
इस पॉलिसी की खास बात यह है कि इसमें आपकी रकम करीब डबल होने के अलावा और भी बेनिफिट मिलते है. जैसे बीच में पैसै निकालने की सुविधा, अपने फंड को स्विच करने की सुविधा, बंद पॉलिसी को दोबारा शुरू करने की सुविधा, प्री लुक पीरियड की सुविधा और इस पॉलिसी पर आप लोन भी उठा सकते हैं.
होटल चेन Lemon Tree को सफल करने के बाद इसके पूर्व सीईओ राहुल पंडित की नजर देश में होने वाले चुनावों पर है. राहुल पंडित ने बफरिंग मीडिया में बड़ा निवेश किया है. इस कंपनी में हाल ही में सोनू निगम के वेंचर समेत कई कंपनियों ने निवेश किया है. जानकारी के मुताबिक सिंगर सोनू निगम और Arvog Finance ने कंपनी में 6 करोड़ का निवेश किया है. बीते दो हफ्तों में बफरिंग मीडिया में यह दूसरी बड़ी इन्वेस्टमेंट है. लेमन ट्री होटल्स को सफलता की ऊंचाई तक पहुंचाने में राहुल पंडित का बड़ा हाथ रहा है.
Buffering Media एक ऐसा स्टार्टअप है जो देश के 56 दिग्गज राजनेताओं का काम संभालता है. यह कंपनी इन जाने माने राजनेताओं को डिजिटल, डेटा, टेक्नोलॉजी और AI से जुड़ी सर्विस देती है. कंपनी की वर्तमान वैल्युएशन 400 करोड़ के करीब बताई जा रही है. कंपनी को उम्मीद है कि साल 2023 तक कंपनी की वैल्युएशन 1200 करोड़ तक पहुंच जाएगी. अधिकतर पैसा आने वाले चुनावों की कैंपेनिंग से आने की उम्मीद है. Buffering Media ने अगले 6 महीनों में 150 करोड़ का फंड जुटाने का लक्ष्य रखा है, क्योंकि आने वाला साल देश में कई राज्यों में चुनावों के मद्देनजर काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है.
आने वाले साल में कई राज्यों में होने वाला है चुनाव
कंपनी की को-फाउंडर दर्शिनी खत्री का कहना है, “आने वाले महीनों में देश बड़े चुनाव देखने वाला है. Buffering Media की टीम सुंयोजित तरीके से ग्रोथ के लिए तैयार है ताकि देश में चुनाव के हर पहलू पर नजर डाली जा सके.” बफरिंग मीडिया पहली बार राजनीति और टेक्नोलॉजी का ऐसा संगम लोगों के सामने लेकर आ रहा है जिससे की देश के नागरिक और देश को चलाने वाले निगमों में निवेश नेताओं के बीच का गैप कम होगा. सही और सच्ची बात देशवासियों के सामने आएगी.पॉलिटिक्स की दुनिया डाटा और टेक्नोलॉजी की मदद से आज तक देखी नहीं गई है. Buffering Media की दूरदर्शिता से देश का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है. राजनीति में टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की एंट्री समय की मांग है.
राहुल के जुड़ने से कंपनी को मिलेगी मदद- कंपनी के फाउंडर
Buffering Media के फाउंडर अमित बी वाधवानी का कहना है, “राहुल का हमारे बिजनेस और टीम में भरोसा दिखाना एक बहुत बड़ी बात है. हमें इस बात की खुशी है कि राहुल हमारी कंपनी में शुरुआती फंडिग का हिस्सा बने है. उनके एक्सपीरिएंस से हमारी कंपनी का विकास निश्चित है.”
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