यहां बताया गया है कि जब आप छुट्टियों में बाहर होते हैं तो आपके निवेश का क्या होता है
शेयर बाजार हमेशा बदलता रहता है और अप्रत्याशित होता है, और यह तब नहीं रुकता जब बाजार बंद हो जाते हैं और निवेशक छुट्टियों के लिए घर पर होते हैं। छुट्टियों के दौरान कभी-कभी बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है। छुट्टी प्रभाव दर्ज करें।
छुट्टियों के दौरान शेयर बाजार का क्या होता है?
चीजें जल्दी शिफ्ट होने लगती हैं। “अवकाश प्रभाव” या “पूर्व-अवकाश प्रभाव” के रूप में जानी जाने वाली एक सामान्य घटना है जो छुट्टी के एक दिन पहले स्टॉक की कीमतों में मामूली वृद्धि का संकेत देती है।
ऐसा क्यों हो सकता है इसके बारे में कुछ अनुमान हैं।
कुछ विशेषज्ञ इसे ट्रेडिंग वॉल्यूम के लिए चाक करते हैं – छुट्टी पर अधिक निवेशकों के साथ, कुछ लोगों द्वारा की गई चालें जो आसपास रहती हैं, बाजार में अधिक उतार-चढ़ाव पैदा कर सकती हैं। एक अन्य कारण समग्र निवेशक भावना हो सकती है। कुछ निवेशक छुट्टियों से पहले अधिक जोखिम-प्रतिकूल हो जाते हैं और किसी भी अप्रत्याशित बुरी खबर से बचने के तरीके के रूप में जोखिम वाले शेयरों को बेचने के लिए छुट्टियों से ठीक पहले समय का उपयोग करते हैं, जो कि दूर होने पर हो सकता है।
स्टॉकपिक के एक चार्टर्ड वित्तीय विश्लेषक और सीईओ चार्ल्स क्यूई कहते हैं, “सर्दियों की छुट्टियों के दौरान कई कारक शेयर बाजार के प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं, जिसमें पतली तरलता, पूर्व-छुट्टी प्रभाव और तिमाही के अंत और साल के अंत में संस्थागत निवेशकों द्वारा पुनर्संतुलन गतिविधि शामिल है।” , एक निवेशक-केंद्रित वीडियो शेयरिंग ऐप इसी महीने लॉन्च हो रहा है। “यदि हालिया अनुभव एक मार्गदर्शक है, तो दिसंबर में बाजार बहुत अस्थिर हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, दिसंबर 2018 में एसएंडपी 500 इंडेक्स में 9.2% की गिरावट आई, जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ी मासिक गिरावट में से एक है, जबकि दिसंबर 2021 में 4.4% की वृद्धि हुई, जो 2021 में सबसे अच्छे मासिक प्रदर्शनों में से एक है।
छुट्टियों के महीनों के दौरान कंपनी का प्रदर्शन स्टॉक के प्रदर्शन पर भी भारी प्रभाव डाल सकता है। उच्च मुद्रास्फीति दर के बावजूद, उपभोक्ताओं की एक चौंका देने वाली संख्या अभी भी इस छुट्टियों के मौसम में दुकानों से टकराएगी, और बिक्री के शुरुआती आंकड़े निवेशकों को कुछ निश्चित चीजों के बारे में आशावादी बनने का कारण बन सकते हैं। शेयरों नतीजतन। नेशनल रिटेल फेडरेशन (NRF) के नवीनतम पूर्वानुमान के अनुसार, 1 नवंबर से 31 दिसंबर शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है की छुट्टियों की अवधि के दौरान 2021 की बिक्री से छुट्टियों की बिक्री 6% और 8% के बीच बढ़ने की उम्मीद है। और ऑनलाइन और अन्य गैर-स्टोर बिक्री 10% से 12% के बीच बढ़ने की उम्मीद है।
निवेशकों के लिए क्या करें और क्या न करें
यदि छुट्टियों का मौसम आपको अपने मौजूदा होल्डिंग्स का पुनर्मूल्यांकन कर रहा है, तो विशेषज्ञों का कहना है कि आप निम्न कोशिश कर सकते हैं:
- मार्केट को टाइम करने की कोशिश न करें। यह अनुमान लगाने की कोशिश करना कि छुट्टियों के लिए दूर रहने के दौरान आपके स्टॉक कैसा प्रदर्शन करेंगे, इससे बड़ा नुकसान हो सकता है। क्यूई कहते हैं, “मौसमी प्रभाव के आधार पर निवेश के फैसले करना जोखिम भरा है क्योंकि बाजार के प्रदर्शन अलग-अलग वर्षों में काफी भिन्न होते हैं।” “सामान्य बाजार की तरलता की तुलना में पतले के साथ संयुक्त, यह सर्दियों की छुट्टियों की अवधि के दौरान ‘बाजार का समय’ के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है। अपने पोर्टफोलियो में कोई भी आवेगी परिवर्तन करने से बचें जो आपके दीर्घकालिक निवेश लक्ष्यों के अनुरूप नहीं है।
- लॉन्ग टर्म वेल्थ बनाने पर ध्यान दें। जब आपका पैसा बाजार में बंधा होता है तो उसमें हमेशा कुछ स्तर का जोखिम शामिल होता है, लेकिन अल्पकालिक परेशानी से बाहर निकलने से भविष्य में बड़े लाभ हो सकते हैं। क्यूई कहते शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है हैं, “कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका लंबी अवधि के आवंटन पर टिके रहना और अवधि के दौरान किसी भी बाजार में उतार-चढ़ाव से बचना है।”
टेकअवे
संभावित अल्पकालिक नुकसान को अपनी छुट्टी की भावना को बर्बाद न करने दें या निवेश के निहित जोखिम को कम करने की कोशिश करने के लिए कोई भी तर्कहीन कदम उठाने के लिए प्रेरित न करें। यदि आप अपने पोर्टफोलियो में बदलाव करने जा रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि यह आपके आवधिक पुनर्संतुलन का हिस्सा है और यह आपकी लंबी अवधि की रणनीति के साथ संरेखित है, बजाय इसके कि बाजार में उतार-चढ़ाव के लिए घुटने टेकने वाली प्रतिक्रिया हो या न हो। .
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Stock Volume - How To Use Volume To Improve Your Trading
तो आज मै जिन विषयों पर चर्चा करने जा रही हूँ वो खास तौर पर उन ट्रेडर्स के लिए है जो मार्किट में नए हैं और ये पोस्ट उनके आग्रह पर ही लिख रही हूँ क्योंकि उन्होंने मेरे लेख पढ़ने शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है के बाद मुझसे बोला कि वे अब प्रैक्टिकली भी सीखना चाहते है तो हमें चार्ट बनाना , RSI , Volume , Share Buy Back , डिविडेंड आदि के बारे में भी बतायें तो मै आपको इन सबके विषय में विस्तार से बताउंगी और उसके फायदे और नुक्सान भी बताउंगी
तो दोस्तों चार्ट तो हम बाद में सीखेंगे पहले इसमें इस्तेमाल होने वाले पैरामीटर को जान लेते है और शुरुआत करते हैं वॉल्यूम से कि शेयर वॉल्यूम का शेयर पर क्या असर होता है
Stock Volume - How To Use Volume To Improve Your Trading
Stock Volume का शेयर मार्किट में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है वो यूँ की जैसा मैंने आपको अपनी पिछली पोस्ट शेयर मार्किट से पैसा कमाने का तरीका में बताया भी था की ये ट्रेंड की और पैटर्न की पुष्टि करने में बहुत ज्यादा ट्रेडर्स की मदद करता है बाजार में लोगों का रुझान किस तरफ है ये तो ऐसे ही पता चल जाता है उसकी बढ़त देख कर
किन्तु अगर बढ़त हाई वॉल्यूम के साथ होती है तो इसका मतलब कि कुछ विशेष लोग इसमें रूचि दिखा रहे होते हैं और उनके वॉल्यूम इतने अधिक होते हैं कि शेयर का भाव एकदम से बढ़ रहा है इसका आप क्या मतलब निकालेंगे , साफ़ है कि जब कुछ बड़े लोग किसी भी कंपनी में मोटा पैसा इन्वेस्ट कर रहे हैं तो उन्हें अच्छे से मालूम होता है की इसमें क्या बढ़िया न्यूज़ है या आने वाली है
लेकिन जरा सोचिये की आपको कैसे पता चलेगा की किस शेयर में क्या न्यूज़ है या आने वाली है क्योंकि आप बहुत छोटे ट्रेडर हैं और आप केवल न्यूज़ पर या न्यूज़ पेपर पर ही डिपेंड होते हैं और जब आप न्यूज़ सुनकर शेयर खरीदते हो तो बड़े इन्वेस्टर अपना प्रॉफिट बुक कर लेते हैं अब इसका इलाज सिर्फ और सिर्फ एक शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है ही है की जब किसी शेयर में अचानक से वॉल्यूम के साथ खरीदारी हो रही हो तो कुछ और पैरामेटर के साथ अगर ये फिट बैठता है तो इसे छोड़ना नहीं चाहिए तुरंत लपक लेना चाहिए
लेकिन मै वॉल्यूम ( Stock Volume) को डे चार्ट में देखना पसंद करती हूँ और आपको भी सलाह यही दूंगी। आगे कुछ आपको समझाने से पहले मै आपको एक चार्ट दिखाती हूँ जो की आईटी की एक दिग्गज कंपनी है HCL TECH का है इसमें आप देख सकते हैं की 800 पर इसने हाई वोलुम के साथ बढ़त दिखाई और 899 तक जाने के बाद हल्का करेक्शन दिया फिर नॉन स्टॉप भगा है और 1055 तक गया फिर लाल गोले में उसने हाई वॉल्यूम के साथ बिकवाली हुई और शेयर वापिस 899 तक गया
ये दूसरा चित्र पहले वाले चित्र का अगला भाग है जहां शेयर 840 से भगा है और 1050 पर फिर से इसमें हाई वॉल्यूम के साथ बिकवाली हुई और ये फिर वापिस 910 तक आ गया
अब शायद आपका सवाल ये होगा की बहुत से स्टॉक बिना वॉल्यूम के भी लगातार भागते है तो इसमें अच्छी और नई बात क्या है तो मै आपको बता दूँ की बिना वॉल्यूम के शेयर के भागने में आप कॉंफिडेंट नहीं होते हो की ये क्यों भाग रहा है आखिर इसमें ऐसी क्या बात है लेकिन वॉल्यूम के साथ भागने वाले शेयर को आप पकड़ेंगे तो कम ही नुक्सान में होंगे क्योंकि ये तरकिा कम ही फ़ेल होता है जिसका कारण है इसमें स्मार्ट निवेशक की मौजूदगी
आपको जो बात ध्यान रखनी चाहिए वो हैं :-
1. हाई वॉल्यूम + कीमत में बढ़ोतरी तो शेयर लेना चाहिए
2. हाई वॉल्यूम + कीमत में कमी तो इग्नोर करना चाहिए
3. कम वॉल्यूम + कीमत में बढ़ोतरी तो इग्नोर करना चाहिए
4. कम वॉल्यूम + कीमत में कमी तो इग्नोर करना चाहिए
कहने का तात्पर्य ये है की आपको बड़े इन्वेस्टर के साथ काम करना चाहिए जिसे हम स्मार्ट इन्वेस्टर भी कहते हैं ये DIIS और FIIS हैं जैसे HDFC, AXIS बैंक , LIC आदि अब जो मैंने ऊपर आपके दिमाग में जो सवाल हो सकता है बताया था उसका विस्तृत जवाब देती हूँ अगर वॉल्यूम कम हैं तब भी शेयर की कीमत बढ़ रही हैं तो आप क्या देखेंगे और सोचेंगे
२ . क्या कोई बड़ा इन्वेस्टर मार्किट में बुलिश है जिसकी वजह से कीमत बढ़ रही हैं
Ans. कम संभावना है की वे खरीदारी कर रहे हैं
४ . तो अगर वॉल्यूम घट रहे हैं और तब भी शेयर बढ़ रहे हैं तो उसका क्या अर्थ है
Ans. तो इसके दो कारण हो सकते हैं एक ये की खुदरा ट्रेड मतलब आप और हम और दूसरा कि ग्लोबल मार्किट जो हमारे शेयर पर प्रभाव डाल रहा है और ऐसे में आपको सतर्कता के साथ ट्रेड करना चाहिए
अब अंत में कुछ ध्यान देने योग्य बातें मै आपको बता दूँ कि आपको अपने नियम को हमेशा याद रखना है की
1. मजबूती में खरीदारी करना है
2. कमज़ोरी में आपको बिकवाली करना है
3. हमेशा स्मार्ट इन्वेस्टर को फॉलो करना है
7. हाई वॉल्यूम स्मार्ट इन्वेस्टर की मौजूदगी बताता है और हमें हमेशा उनको फॉलो करना चाहिए क्योंकि उनको भविष्य का है और अनुमान होता है कि किस शेयर में कब और क्या न्यूज़ आ रही है
तो दोस्तों मै अपना ये अध्याय यहीं समाप्त करती हूँ कृपया कमेंट में ये अवश्य बताएं की आपको मेरी ये पोस्ट कैसी लगी शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है और आपका कोई सवाल हो या सुझाव हो तो वो भी बताएं अब मिलते हैं अगले अध्याय में जिसमे मै आपको बाय बैक , PE रेश्यो के बारे में बताउंगी ये क्या होते हैं और इनका शेयर की वैल्यू पर क्या असर होता है आप मुझे फॉलो भी कर सकते है आपको शेयर के बारे में मै ऐसी ही काम की जानकारी देती रहूंगी
Must Read : -
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Volume In Share Market In Hindi? |Trading Volumeक्या होता है?
देखिये volume दो तरह के होते है, पहला शेयर का volume जो किसी एक कंपनी के पास किसी particular प्रोडक्ट के लिए होता है | और दूसरा trading volume यह वह volume होता है जिस पर अभी trading चल रही होती है | मतलब इन शेयर्स को या तो कोई ख़रीदता है या फिर बेंचता है |Volume In Share Market In Hindi|
एक्साम्प्ले के लिए एक कंपनी के टोटल शेयर्स है 1000 जो कि NSE में रजिस्टर्ड है | और अभी 1000 में से सिर्फ 300 शेयर्स को लोगो ने ख़रीदा है और 200 लोग ने इसे बेंचा है | तो यहाँ पर जो टोटल tradig शेयर्स हो गए वो होगा 500 |Volume In Share Market In Hindi|
और हमें जब भी किसी भी company के शेयर्स अथवा stocks को buy करना है तो फिर हमें यह trading volume जरूर देखना चाहिए | क्योकि हो सकता है कंपनी का शेयर volume तो अच्छा हो पर ट्रेडिंग volume कम हो |
और trading volume कम होने का मतलब यह होता है कि शेयर कि volatility बहुत कम है | और फिर ऐसे शेयर को हमें ज्यादा वॉल्यूम में नहीं खरीदना चाहिए | हाँ कंपनी की मैनेजमेंट और दूसरी analysis कर के आप इस पर long term investment कर सकते हो |
पर instant profit के लिए आप ऐसे स्टॉक से ज्यादा उम्मीद नहीं रख सकते है | क्योकि यह शेयर आप अगर खरीद लेंगे तो फिर बेंचने में दिक्कत शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है आ सकती है, क्योकि आपको फिर खरीददार ही नहीं मिलेंगे | और अगर आप पहले बेंच भी देते हो तो फिर आपको sellers नहीं मिलेंगे | क्योकि stocks कि volatility रेट बहुत कम है | और आपको अपने शेयर्स के सेटलमेंट के लिए लम्बा इंतज़ार करना पड़ सकता है |
Quick Q&A:
What is the volume in the stock market for example?/ share market में volume का क्या मतलब होता है example दे कर समझाइये?
किसी भी एक टाइम फ्रेम में ख़रीदे जाने वाले और बेंचे जाने वाले शेयर्स की संख्या को यहाँ पर हम शेयर volume कहते है | और जब किसी भी शेयर अथवा स्टॉक के buyer और seller दोनों होते है तो फिर वह शेयर बहुत ही active मन जाता है | और ऐसे शेयर्स में buyer और seller दोनों को कोई परेशानी नहीं होती है |
example के लिए राम को XYZ कंपनी के 100 shares खरीदने है और shyam को XYZ कंपनी के 100 शेयर्स बेचने है | तो ऐसे स्थिति में दोनों ही आराम से अपनी ट्रेडिंग कर सकते है |
What does high volume mean in stocks?/ high volume का शेयर मार्किट में हम क्या मतलब निकाल सकते है?
अगर किसी भी stock का volume high है इसका मतलब यह होता है की उस stock के buyer भी बहुत है और seller भी बहुत है | और इस प्रकार share के price में भी fluctuation होता रहता है | कभी शेयर के price बढ़ सकते है तो कभी शेयर के price घट भी सकते है | और इस तरह से लोग अपना प्रॉफिट निकालते रहते है |
What is the role of volume in the share market?/ volume का शेयर मार्किट में क्या role है ?
volume को analyse करके हम किसी भी स्टॉक का movementum पता कर सकते है | अगर शेयर का trading volume अच्छा है तो उसकी security भी अच्छी होगी और ऐसे शेयर में हम invest करने का plan कर सकते है|
आप share market से जुड़े हुए कुछ और अच्छे blog नीचे दी हुई ब्लॉग लिंक का उपयोग करके पढ़ सकते है:
Conclusion:
तो दोस्तों इस ब्लोग पोस्ट(Volume In Share Market In Hindi) में हमने share volume के बारे में जाना | Shares का टोटल volume शेयर्स की कुल संख्या होती है जो कि किसी एक stock अथवा company के पास होते है | और किसी भी स्टॉक का trading volume वह होता है जितने पर अभी tradig चल रही होती है | मतलब की लोग शेयर्स को खरीद और बेंच रहे होते है |
इस ब्लॉग(Volume In Share Market In Hindi) को लेकर आपके मन में कोई भी प्रश्न है तो आप हमें इस पते [email protected]पर ईमेल लिख सकते है|
आशा करता हूँ, कि आपने इस पोस्ट(Volume In Share Market In Hindi) को खूब एन्जॉय किया होगा|
आप स्वतंत्रता पूर्वक अपना बहुमूल्य फीडबैक और कमेंट यहाँ पर दे सकते है|Volume In Share Market In Hindi|
Anurag
I am a blogger by passion, a software engineer by profession, a singer by consideration and rest of things that I do is for my destination.
Stock market me volume kya hota hai
आपने बहुत बार निवेशकों के मुंह से जरूर सुना होगा कि इसका वॉल्यूम इतना बढ़ा या फिर इतना गिरा। उस समय आपके मन में यह सवाल जरूर आया होगा कि आखिर Stock market me volume kya hota hai / शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है।
तो चलिए आज की इस पोस्ट के माध्यम से आपको मैं बताऊंगा कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai) इसके साथ साथ ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या होता है। आखिर शेयर मार्केट में वॉल्यूम की क्या भूमिका है।
शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है। (Stock market me volume kya hota hai)
स्टॉक मार्केट में हमें वॉल्यूम यह दिखलाता है, कि किसी एक निश्चित समय में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। या फिर उस समय में कितने शेयरों में ट्रेड किया गया है। अर्थात जितने शेयर को बेचा और खरीदा जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
आपको बता दें, कि खरीदे हुए शेयर या फिर बेचे गए शेयर की संख्या जितनी अधिक होगी चार्ट में स्टॉक्स का उतना ही ज्यादा बढ़ जाएगा। और जितना ही अधिक लोग शेयर को बेचेंगे उतना ही अधिक उसका वॉल्यूम का कैंडल भी बढ़ता जाता है।
सरल शब्दों में कहा जाए तो एक निश्चित समय में ट्रेड किए गए शेयर की संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम = शेयर के कुल नंबरों के संख्या।
इसका अर्थ यही हुआ की एक समय अंतराल के दौरान कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। तब उन सभी शेयर को गिनने में जो संख्या आती है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है।
वॉल्यूम कितने समय में ट्रेड किया जाता है।
Stock market me volume kya hota hai– कोई भी टाइम के अंतराल में चाहे वह 1 दिन का हो, या फिर 1 महीने या फिर 1 साल का कुछ भी समय हो, उसके दौरान चाहे वह 1 मिनट हो या फिर आधे या फिर 1 घंटे का, उस समय में किसी भी कंपनी के जितने भी नंबर ऑफ शेयर को ट्रेड किया जाता है। उसे वॉल्यूम कहा जाता है। वॉल्यूम को आप अपने ब्रोकर के हिसाब से उसमे उपस्थित हर टाइम फ्रेम में देख सकते हैं।
ट्रेडिंग वॉल्यूम –
Stock market me volume kya hota hai – वॉल्यूम को आपने समझा कि जितने शेयर को खरीदे और बेचे जाते हैं, उनकी कुल संख्या को वॉल्यूम कहा जाता है।
ठीक उसी तरह ट्रेड लेते समय जब आप या फिर कोई भी हर बार शेयर को खरीदते और फिर उन्हें बेचते हैं, तो उनकी कुल संख्या को ट्रेडिंग वॉल्यूम कहते हैं।
इसे एक उद्धरण के तौर पर समझते हैं, माना आपने आज स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के 20 शेयर को खरीदा है, और कुछ समय बीत जाने के बाद आपने उन शेयर को बेच दिया तो total trading volumes जो होगा वह 40 हो जायेगा। इसमें हाई वॉल्यूम को आप यह समझ सकते हो, की बहुत से शेयर को एक जगह से दूसरी जगह ट्रेड किया जा रहा है।
शेयर के अलावा वॉल्यूम कहां प्रयोग होता है–
वॉल्यूम केवल और केवल शेयर के लिए ही नहीं बल्कि बाकी इन्वेस्टमेंट के लिए भी मापा जाता है। जैसे फ्यूचर और ऑप्शन, गोल्ड, mcx आदि चीजों में भी वॉल्यूम का प्रयोग किया जाता है। जैसे स्टॉक में नंबर ऑफ शेयर जो निश्चित समय में किया जाता है, को वॉल्यूम कहते हैं।
ठीक उसी तरह फ्यूचर और ऑप्शन में वॉल्यूम को इस तरह देखा जाता है, कि कितने लोगों ने कॉन्ट्रैक्ट्स को एक जगह से दूसरी जगह भेजा हुआ है। इसके अलावा वॉल्यूम को अन्य फाइनेंस रिलेटेड इन्वेस्टमेंट में भी प्रयोग में लाया जाता है।
वॉल्यूम का क्या काम है–
वॉल्यूम का काम मार्केट में लिक्विडिटी और एक्टिविटी को मापना है। लिक्विडिटी को आप कुछ इस तरीके से समझ सकते हो, कि आप जितनी आसानी से स्टॉक को खरीद और बेच सकते हो उसे लिक्विडिटी कहते हैं।
इसका मतलब यह हुआ की जितना अधिक लिक्विडिटी होगी, उतने ही आसानी से हम स्टॉक को खरीद और शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है बेच सकते हैं। साथ ही उसका वॉल्यूम भी हमको उतना ही अधिक देखने को मिलेगा। और जो स्टॉक्स अधिक लिक्विड होते हैं, उनमें वॉल्यूम भी उतना ही अधिक दिखता है।
वॉल्यूम क्यों महत्वपूर्ण है–
Stock market me volume kya hota hai –आपको हमेशा ट्रेड करते समय यह ध्यान में रखना चाहिए, कि इंट्राडे ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडिंग सेशन के दौरान जब मार्केट ओपन होता है, और जब मार्केट क्लोज होता है, उस दौरान आपको वॉल्यूम बहुत अधिक देखने को मिलता है। और बीच के समय में मार्केट कुछ भी हो सकता है। याने की लिक्विडिटी कम या फिर अधिक। इसलिए इंट्राडे ट्रेडर के लिए वॉल्यूम का देखना बहुत ही जरूरी भी बन जाता है।
इसके साथ साथ जो लोग फंडामेंटल को देख कर के इन्वेस्टमेंट करते हैं, उनके लिए भी वॉल्यूम देखना बहुत जरूरी हो जाता है। क्योंकि वह बड़े टाइम फ्रेम में देख पाते हैं, की कितने लोग किस प्राइस पर Buy or Sell कर रहे हैं।
SEBI ने किए मार्जिन के नियमों में बदलाव
राज एक्सप्रेस। यदि आप शेयर बाजार में अपना पैसा लगाते है तो, हो सकता है, ये खबर आपके काम की हो। दरअसल, सिक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा मार्जिन के नियमों में बदलाव किया गया है। इन नियमों में हुए बदलावों को देखते हुए लगता है कि, शेयर बाजार को मार्जिन की मार झेलना पड़ सकती है।
मार्जिन में किया गया बदलाव :
बता दें, SEBI द्वारा मार्जिन के नियमों में किए गए बदलाव के बाद से कैश सेग्मेंट में भी अपफ्रंट मार्जिन लगेगा। साथ ही कैश सेग्मेंट में कम से कम 22% मार्जिन वसूला जाएगा। बताते चलें, यदि कोई भी ग्राहक इनका इस्तेमाल करना चाहेगा तो, वो T+2 सेटलमेंट के बाद ही इन पैसों को प्राप्त कर सकेगा। सरल शब्दों में समझे तो, शेयर बाजार से शेयर खरीदने वाला कोई भी यूजर आपने शेयर बेचने के 2 दिन बाद ही नए शेयर खरीद पाएंगे। इसका सीधा असर BTST या STBT के वॉल्यूम पर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
होल्डिंग के शेयर पर मार्जिन :
वहीं, अब से यदि कोई यूजर होल्डिंग के शेयर बेचना चाहता हैं तो, उसे मार्जिन लगेगा। NSE, BSE द्वारा शनिवार को इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी FAQ जारी जार साझा की गई। बता दें, मार्जिन से जुड़े लागू किए गए नए नियम 1 अगस्त से कई चरणों में लागू होने शुरू हो जाएंगे। इस मामले में जानकारों का भी कहना है कि, NSE-BSE को ब्रोकर्स, ट्रेडर्स की मुश्किलों के कारण को समझना चाहिए।
ब्रोकर्स के संगठन ने जताई चिंता :
गौरतलब है कि, इन नियमों में बदलाव पर ब्रोकर्स के संगठन ANMI ने चिंता जताई है। ब्रोकर्स के संगठन ने चिंता जताते हुए SEBI को बताया है कि, इन नए नियमों से ब्रोकर्स और ग्राहकों को सेयर मार्केट में पैसा लगाने पर दिक्कते आएंगी। मार्जिन कलेक्शन का यह तरीका मुश्किल साबित होगा। इतना ही नहीं ANMI ने डिलिवरी के बेचने पर मार्जिन को लेकर भी जताई चिंता जताई है। डिलिवरी वाले शेयरों पर कोई मार्जिन नहीं होनी चाहिए। 5 लाख रुपए तक के सौदों पर कोई मार्जिन ना हो।
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