विदेशी मुद्रा भंडार में एक वर्ष की सबसे तेज वृद्धि, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 544.72 अरब डॅालर पर पहुंचा
आरबीआइ की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.73 अरब डालर की वृद्धि रही है। बता दें कि 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॅालर था।
मुंबई, एजेंसी। बीते सप्ताह देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक वर्ष से ज्यादा की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई है। आरबीआइ की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 11 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 14.73 अरब डॅालर की वृद्धि रही है। समाचार एजेंसी रायटर के मुताबिक, अब देश का विदेशी मुद्रा भंडार 544.72 अरब डॅालर पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार में अगस्त 2021 के बाद यह सबसे ज्यादा वृद्धि रही है। आंकड़ों के अनुसार, चार नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 529.99 अरब डॅालर था। 2022 की शुरुआत में देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 630 अरब डॅालर था। तब से रुपये में गिरावट का माहौल है।
मध्य सितंबर के बाद रुपया पहली बार डॅालर के मुकाबले 80 के स्तर के करीब
इस गिरावट को रोकने के लिए आरबीआइ विदेशी मुद्रा भंडार से डॅालर की बिक्री कर रहा है। 11 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान अमेरिका में उपभोक्ता महंगाई में अनुमान से ज्यादा नरमी रही है। इससे बीते चार वर्षों में रुपये का साप्ताहिक प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा है और मध्य सितंबर के बाद रुपया पहली बार डॅालर के मुकाबले 80 के स्तर के करीब आया है।
एफसीए में 11.8 अरब डॅालर की हुई वृद्धि
हालांकि, चालू सप्ताह में भारतीय मुद्रा में गिरावट रही है और यह डॅालर के मुकाबले 81.68 के स्तर पर पहुंच गई है।आरबीआइ के अनुसार, बीते सप्ताह विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में 11.8 अरब डॅालर की वृद्धि रही है और यह 482.53 अरब डॅालर पर पहुंच गई हैं। विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए की सबसे बड़ी हिस्सेदारी होती है। इसी प्रकार स्वर्ण भंडार 2.64 अरब डॅालर बढ़कर 39.70 अरब डॅालर हो गया है।
दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक में रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें। विदेशी मुद्रा भंडार को एक या एक से विदेशी मुद्रा बाजार है? अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांशत: डॉलर और बहुत बा यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार रखा जाता है।
भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के प्रकार - types of forex market in india
भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के प्रकार - types of forex market in india
1. स्पॉट बाजार: यह बाजार वह है जहाँ विदेशी मुद्रा के खरीदने व बेचने के तय सौदे को, दो दिनों के भीतर पूरा किया जाता है। विदेशी मुद्रा की स्पॉट खरीद व विक्रय, स्पॉट बाजार का निर्माण करते हैं। जिस दर पर विदेशी मुद्रा खरीदी और बेची जाती है, उसे स्पाट विनिमय दर कहा जाता है। सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, स्पाट दर को मौजूदा विनिमय दर कहा जाता है।
2. वायदा बाजार: यह वह बाजार है जिसमे पहले से तय विनिमय दर को भविष्य की तिथि में विदेशी मुद्रा की खरीद व विक्रय किया जाता है। जब विदेशी मुद्रा के क्रेता और विक्रेता दोनों किसी सौदे में संबंधित होते हैं तब इस सौदे के 90 दिनों के भीतर यह लेनदेन किया जाता है। यह वायदा बाजार कहलाता है।
विनिमय दर प्रबंधन के प्रकार
नियत विनिमय दर (Fixed Exchange Rate):-
घरेलू और विदेशी मुद्राओं के बीच विनिमय दर एक देश की मौद्रिक प्राधिकरण द्वारा तय किया जाता है। इसके तहत विनिमय दर में एक सीमा से अधिक उतार चढ़ाव की अनुमति नहीं होती है, इसे स्थिर विनिमय दर कहा जाता है।
आईएमएफ प्रणाली के तहत इसके सदस्य राष्ट्र के मौद्रिक प्राधिकरण अपनी मुद्रा का निश्चित मूल्य तय करता है जो एक आरक्षित मुद्रा सामान्यतः अमेरिकी डॉलर के सापेक्ष होता है। इसे 'आंकी विनिमय दर (Par Value) कहा जाता है। हालांकि, सामान्य परिस्थितियों में इसमें उच्च्वाचन की ऊपरी और निचली सीमा प्रतिशत तक होती है।
नियत विनिमय दर प्रणाली अपनाने का मूल उद्देश्य विदेशी व्यापार और पूंजी आंदोलनों में स्थिरता सुनिश्चित करना है। नियत विनिमय दर प्रणाली के तहत सरकार पर विनिमय दर की स्थिरता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी हो जाती है। इसे खत्म करने के लिए सरकार विदेशी मुद्रा को खरीदती व बेचती है।
विदेशी मुद्रा जब कमजोर होती है, तब सरकार इसे खरीद लेती है और जब यह मजबूत होती है। तब सरकार इसे बेच देती है। निजी तौर पर विदेशी मुद्रा की बिक्री व खरीद निलंबित रखी जाती है।
आधिकारिक विनिमय दर में कोई परिवर्तन देश की मौद्रिक प्राधिकरण व आईएमएफ के परामर्श के किया जाता है। हालांकि अधिकांश देशों ने दोहरी प्रणाली अपना ली है। सभी सरकारी लेनदेन के लिए एक स्थिर विनिमय दर और निजी लेनदेन के लिए एक बाजार दर तय होती है।
नियत विनिमय दर के पक्ष में तर्कः
सबसे पहले, यह अनिश्चितता की वजह से जोखिम को समाप्त करता है। बाजार में यह स्थिरता,
निश्चितता प्रदान करता है। दूसरा, यह, राष्ट्रों के बीच विदेशी पूंजी के निर्बाध प्रवाह के लिए एक प्रणाली बनाता है, साथ ही .
निवेश के रूप में यह निश्चित वापसी का आश्वासन देता है।
. तीसरा, यह विदेशी मुद्रा बाजार में सट्टा लेन-देन की संभावना को हटाता है। अंत में यह प्रतिस्पर्धी विनिमय मूल्यह्रास या मुद्राओं के अवमूल्यन की संभावना को कम कर देता है।
B- लचीली विनिमय दर (Flexible Exchange Rate) :-
जब विनिमय दर का निर्धारण, बाजार शक्तियों (मुद्रा की मांग व आपूर्ति द्वारा तय किया जाता
है, इसे लचीली विनिमय दर कहा जाता है। लचीली विनिमय दर के पक्षधर भी इसके पक्ष में समान रूप से मजबूत तर्क देते हैं। इस संबंध में
तर्क दिया जाता है कि लचीली विनिमय दर अस्थिरता, अनिश्चितता, जोखिम और सट्टा का कारण बनती
है। परन्तु इसके पक्षधर इस सभी आरोपों को खारिज करते हैं।
लचीली विनिमय दर के पक्ष में तर्कः
1. सबसे पहले, लचीली विनिमय दर के रूप में एक स्वायत्ता मिलती है घरेलू नीतियों के संबंध में यह अच्छा सौदा है। इसका घरेलू आर्थिक नीतियों के निर्माण में बहुत महत्व है।
2. लचीली विनिमय दर खुद समायोजित होती है और इसलिए सरकार पर इतना दबाव नहीं होता कि विनिमय दर को स्थिर करने के लिए पर्याप्त मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखा जाए।
3. लचीली विनिमय दर एक सिद्धांत पर आधारित है, इसके तहत भविष्य में अनुमान का लाभ मिलता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी स्वतः समायोजन की योग्यता है।
4. लचीली विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में मुद्रा की वास्तविक क्रय शक्ति का एक संकेतक के रूप में कार्य करता है।
अंत में कुछ अर्थशास्त्रियों का तर्क है कि लचीली विनिमय दर का सबसे बड़ा दोष अनिश्चितता है। परन्तु उनका तर्क यह भी है कि लचीली विनिमय दर प्रणाली के तहत, अनिश्चितता की संभावना है उतनी ही जितनी स्थिर विनिमय दर के तहत।
विदेशी मुद्रा भंडार लुढ़क कर पहुंचा 23 महीने के न्यूनतम स्तर पर, गोल्ड रिजर्व की वैल्यू भी घटी
राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में एक बार फिर गिरावट का दौर लगातार जारी है। इस गिरावट के साथ यह 23 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। वहीं, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) का हाल भी कुछ ऐसा ही रहा है। इस बात का खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।
विदेशी मुद्रा भंडार के ताजा आंकड़े :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2 सितंबर 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 560 अरब डॉलर से गिरकर 553.105 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है, जबकि, 19 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है। वहीँ, 12 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर पर आ पहुंचा था। वहीँ, अगर 5 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार देखे तो यह 2.23 अरब डॉलर 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर पर आ पहुंचा था। इस प्रकार वर्तमान समय में दर्ज हुई गिरावट 7.941 अरब डॉलर देखने को मिली है। इस प्रकार यह 2 साल के निचले स्तर पर आ पहुंचा है।
गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :
बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से एक- दो बार बढ़त दर्ज हुई थी, लेकिन अब एक बार फिर गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 2 सितंबर को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 38.303 अरब डॉलर पर आ गया, इसमें 1.339 अरब डॉलर पर आ गिरी हैं। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में बढ़त दर्ज हुई थी। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।
आंकड़ों के अनुसार FCA :
रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 5 करोड़ डॉलर घटकर 17.782 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 2.4 करोड़ डॉलर गिरकर 4.902 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 6.527 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 492.117 अरब डॉलर रह गई है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?
विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :
विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।
अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।
यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।
विदेशी मुद्रा बाजार में विदेशी मुद्रा बाजार है? अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।
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Forex reserves: रुपये की कमजोरी का 'साइड इफेक्ट', विदेशी मुद्रा भंडार में 7.5 अरब डालर की गिरावट
Forex reserves रुपये में होने वाली किसी बड़ी गिरावट को रोकने के लिए आरबीआइ को बार-बार मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करना पड़ा रहा है। इसका असर विदेशी मुद्रा भंडार पर नजर आने लगा है। देश का विदेशी मुदा भंडार सिकुड़ रहा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क/जागरण ब्यूरो। रुपये में लगातार हो रही गिरावट (Rupee Price Fall) का असर आरबीआइ (RBI) की सेहत पर दिखाई देने लगा है। आरबीआइ की ओर से रुपये की गिरावट को रोकने के लिए किए गए बार-बार के हस्तक्षेप के कारण 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex reserves) 15 जुलाई को समाप्त सप्ताह में 7.541 अरब डालर घटकर 572.712 अरब डालर रह गया है। आरबीआइ की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, आठ जुलाई को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 8.062 अरब डालर घटकर 580.252 अरब डालर रह गया था।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों में कमी आना है जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा स्वर्ण आरक्षित भंडार में भी कमी आई है। बीते सप्ताह एफसीए 6.527 अरब डालर घटकर 511.562 अरब डालर रह गईं। स्वर्ण भंडार का मूल्य भी 83 करोड़ डालर घटकर 38.356 अरब डालर रह गया। आइएमएफ के पास जमा विशेष आहरण अधिकार 15.5 करोड़ डालर घटकर 17.857 अरब डालर रह गया है। आरबीआइ द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक के भारी हस्तक्षेप के बाद भंडार गिरकर 20 महीने के निचले स्तर पर आ गया क्योंकि उसने रुपये के तेज मूल्यह्रास को रोकने के लिए डॉलर बेचे। नवंबर 2020 में विदेशी मुद्रा भंडार 572 बिलियन डॉलर था। अक्टूबर 2021 में यह 642 बिलियन के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
अभी अस्थिर रहेगी रुपये की कीमत
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 10 पैसे की मजबूती के साथ 79.85 पर बंद हुआ, जबकि विदेशी मुद्रा बाजार है? गुरुवार को यह 79.95 पर बंद हुआ था। शुक्रवार को इक्विटी बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की शुद्ध बिकवाली के बावजूद रुपया मजबूत हुआ। डॉलर इंडेक्स, जो छह मुद्राओं की टोकरी के मुकाबले ग्रीनबैक की ताकत को मापता है, वह 0.2 फीसद ऊपर जाकर 107 पर था। इससे अनुमान लगाया जा रहा है की अभी डॉलर के मुकाबले रुपया दबाव में रहेगा और अगर ऐसा हुआ तो आरबीआइ को इस गिरावट को रोकने के लिए आगे आना ही पड़ेगा।
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