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Explainer: ओपन मार्केट और टेंडर ऑफर के जरिए आता है Stock Buyback, जानिए क्या है दोनों में अंतर

Stock Buyback Explainer: शेयर बाजार में कंपनियां कई बार अपने ही शेयरों का बायबैक करती हैं. ये ओपन मार्केट और टेंडर ऑफर के जरिए लाया जाता है. यहां दोनों के बीच अंतर समझें.

Stock Buyback Explainer: शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनी केयर लिमिटेड (CARE Ltd) के बोर्ड ने शेयर बायबैक को मंजूरी दी है. ये शेयर बायबैक टेंडर ऑफर के जरिए होगा और कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? इसका इश्यू प्राइस 515 रुपए प्रति शेयर होगा. इसके लिए कंपनी 121 करोड़ रुपए भी खर्च करने वाली है. शेयर बाजार में स्टॉक बायबैक एक टर्म है, जो काफी पॉपुलर भी है और कई कंपनियां अपने शेयरों को वापस खरीदने के लिए इस प्रोसेस का इस्तेमाल करती हैं. शेयर बायबैक हमेशा दो तरीकों से लाया जाता है, पहला - ओपन मार्केट और दूसरा - टेंडर ऑफर. शेयर बायबैक की इन दोनों प्रोसेस को समझने के लिए पहले शेयर बायबैक या स्टॉक बायबैक को समझ लेना जरूरी है.

क्या होता है Stock buyback?

स्टॉक बायबैक में कोई भी कंपनी अपने शेयरों को बाजार से वापस खरीदती है. इसे IPO का उलट भी मान सकते हैं. आईपीओ के जरिए कंपनी अपने शेयर बेचती है और पूंजी इकट्ठा करती है लेकिन बायबैक के जरिए कंपनी अपने ही शेयरों को वापस खरीदती है.

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कंपनी क्यों लाती है शेयर बायबैक?

जब कंपनी के पास कैश फ्लो ज्यादा होता है तो वो बायबैक करती है. बायबैक प्रोसेस के बाद कंपनी में प्रोमोटर की होल्डिंग बढ़ जाती है. कोई भी कंपनी ऐसा इसलिए करती है क्योंकि कंपनी की बैलेंसशीट में कैश ज्यादा होने को अच्छा नहीं माना जाता, इसलिए कंपनी कैश को शेयरों में बदल देती है.

इसके अलावा कई बार कंपनी को लगता है कि उसके शेयर की कीमत अंडरवैल्यूड यानी कम है तो वो अपने शेयरों का बायबैक लाकर शेयर की कीमत को बढ़ाने की कोशिश करती है.

बायबैक का फायदा किसे ज्यादा?

बायबैक का फायदा कंपनी और निवेशक दोनों को मिलता है. ज्यादातर मामलों में कंपनी को कोई नुकसान नहीं होता. बल्कि ऐसा करने से कंपनी के प्रोमोटर्स की होल्डिंग और बढ़ जाती है. कंपनी के अलावा इंवेस्टर्स को भी बायबैक का फायदा मिलता है.

2 तरीकों से लाया जाता है शेयर बायबैक

शेयर बाजार में कोई भी कंपनी स्टॉक बायबैक (Stock Buyback) दो तरीके से लाती है. ये दो तरीके हैं ओपन मार्केट और टेंडर ऑफर. इन दोनों प्रोसेस में अंतर होता है और ये कंपनी पर निर्भर करता है कि वो किस तरह अपने शेयरों का बायबैक लेकर आएगी. आइए समझते हैं कि इन दोनों प्रोसेस में क्या अंतर है.

टेंडर ऑफर के जरिए बायबैक

इस प्रोसेस के जरिए कंपनी अपने शेयरों को खरीदने के लिए टेंडर निकालती है और शेयर बायबैक के लिए एक कीमत तय करती है. ये कीमत फिक्स होती है और बाजार की वॉलैटेलिटी का इस पर कोई असर नहीं पड़ता. अब इस प्रोसेस के जरिए जरूरी नहीं कि किसी निवेशक कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? ने जितने शेयर बायबैक के लिए अप्लाई किए हो, कंपनी उतने शेयर खरीद ही ले. कंपनी अपने एक्सेप्टेंस रेश्यो के हिसाब से शेयर होल्डर्स से शेयर खरीदती है

ओपन मार्केट के जरिए Buyback

जैसे आम निवेशक स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदते हैं ठीक उसी तरह कंपनी भी अपने शेयर खरीदती हैं. खुद कंपनी के ब्रोकर ही ये शेयर ट्रांजैक्शन करते हैं. टेंडर ऑफर के मुकाबले ओपन मार्केट के जरिए शेयर बायबैक करने में ज्यादा समय लगता है लेकिन ओपन मार्केट ये जरूरी नहीं कि कंपनी बायबैक के लिए एक प्राइस तय करे. ये डील ओपन मार्केट के जरिए हो कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? रही है तो ब्रोकर कंपनी के शेयर नॉर्मल तरीके से एक्सचेंज से खरीदते हैं.

बाजार के भाव पर ही खरीदारी करती है

ओपन मार्केट के जरिए कंपनी बाजार में जो शेयर का भाव चल रहा है, उसके आधार पर ही खरीदारी करती है. टेंडर ऑफर और ओपन मार्केट प्रोसेस के बीच जो सबसे बड़ा अंतर है वो ये कि कंपनी टेंडर ऑफर के समय अपना बायबैक कैंसिल नहीं कर सकती है. जितनी ड्यूरेशन के लिए बायबैक निकाला होगा, कंपनी को उतनी ड्यूरेशन में शेयर खरीदने होंगे लेकिन ओपन मार्केट में कंपनी अपना बायबैक कैंसिल कर सकती है.

IPO में निवेश करने से पहले जरूर रखें इन बातों का ध्‍यान, ताकि बाद में न हो कोई पछतावा

IPO से कंपनी को फंड मिल जाता है, वहीं निवेशकों को उस कंपनी में हिस्‍सेदारी मल जाती है. यानी इसमें दोनों का ही फायदा है. लेकिन इसमें निवेश करने से पहले कुछ बातों का ध्‍यान जरूर रखें.

IPO में निवेश करने से पहले जरूर रखें इन बातों का ध्‍यान, ताकि बाद में न हो कोई पछतावा (Zee Biz)

इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी आईपीओ (Initial public offering-IPO) कोई भी कंपनी तब लेकर आती है, जब उसे फंड की जरूरत होती है. ऐसे में वो पब्लिक के बीच आईपीओ ऑफर करके कुछ शेयर बेचती है और आईपीओ के जरिए आए फंड को अपनी जरूरत के हिसाब से खर्च करती है. IPO से कंपनी को फंड मिल जाता है, वहीं निवेशकों को उस कंपनी में हिस्‍सेदारी मल जाती है. यानी इसमें दोनों का ही फायदा है. चूंकि शेयर मार्केट अप्रत्‍याशित होता है, ये तेजी से फायदा करवाता है, तो नुकसान भी करवा सकता है, इसलिए किसी भी कंपनी के IPO में निवेश करने से पहले आप कुछ बातों को खासतौर पर ध्‍यान रखें, ताकि बाद में पछताने की गुंजाइश न रहे.

टारगेट तय करें

किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले अपना टारगेट निश्चित करें यानी आपको ये पता होना चाहिए कि आप इसमें लिस्टिंग गेन का फायदा लेने के लिए निवेश कर रहे हैं, या लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं. कई बार आपको जो फायदा लिस्टिंग गेन में मिलता है, वो जरूरी नहीं कि आगे भी मिले.

कंपनी प्रॉस्पेक्टस जरूर देखें

जब कोई कंपनी आईपीओ लॉन्‍च करती है तो वो कंपनी प्रॉस्पेक्टस में बताती है कि वो आईपीओ से मिलने वाले फंड का इस्‍तेमाल कहां करेगी. ऐसे में आप इस पॉइंट को इग्‍नोर न करें. आमतौर पर जो कंपनी क्षमता या कारोबार को बढ़ाने के लिए फंड जुटाती हैं, उनके ग्रोथ की संभावना काफी ज्‍यादा होती है और उनमें लगाया हुआ पैसा आपको मुनाफा भी देता है.

कंपनी के वैल्‍यूएशन की तुलना करें

जिस कंपनी के आईपीओ का ऑफर आया हुआ है, उसका प्राइस टू अर्निंग्स रेशियो, प्राइस टू बुक रेशियो और कंपनी कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? पर कितना डेट टू अर्निंग्स रेशियो ये ये जरूर देख लें. इसके अलावा कंपनी का वैल्‍यूएशन कितना तय हुआ है, इसकी इंडस्‍ट्री में शामिल अन्‍य कंपनियों से तुलना कर लेनी चाहिए.

प्रभावित होकर निवेश न करें

कंपनी में किसी दिग्‍गज व्‍यक्ति की हिस्‍सेदारी है, ये देखकर निवेश न करें. बल्कि कंपनी के सभी प्रमोटर के बारे में जरूरी जानकारियां कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? जुटानी चाहिए. किसी नामी व्‍यक्ति के नाम से प्रभावित होकर निवेश करने का फैसला कई बार गलत भी साबित हो सकता है.

ग्रे मार्केट का रुझान देखें

अगर आप कम समय के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो आपको निवेश करने से पहले ग्रे मार्केट का‍ रुझान देखना समझदारी है. इससे आपको अंदाजा लग जाता है कि आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए तय की गई प्राइस पर कितना मुनाफा मिल सकता है. लंबे समय के लिए आपको कंपनी के फंडामेंटल के आधार पर कोई फैसला लेना चाहिए.

7 ऐसी वजहें जो बताती हैं कि क्यों शेयर मार्केट में पैसा लगाना है फायदे का सौदा

जनसंख्या बढ़ने से भी स्टॉक मार्केट को फायदा होता है.

लोगों का मानना है कि स्टॉक्स किसी अन्य एसेट के मुकाबले लंबी अवधि में अधिक कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? रिटर्न देते हैं. लंबे समय में शेयरों से पैसा . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 12, 2022, 08:10 IST

हाइलाइट्स

शेयर मार्केट में लंबी अवधि के लिए निवेश करके अच्छी कमाई कर सकते हैं.
सेंसेक्स ने पिछले 33 साल में 15 फीसदी का एवरेज एनुअल रिटर्न दिया है.
स्टॉक मार्केट में निवेश महंगाई से मुकाबले में भी आपकी मदद करता है.

नई दिल्ली. शेयर मार्केट कमाई के बेहतरीन तरीकों में से एक है. अगर आप रिस्क लेने की हिम्मत और बाजार की समझ रखते हैं तो आप यहां उम्मीद से भी अधिक पैसा बना सकते हैं. लोगों का मानना है कि स्टॉक्स किसी अन्य एसेट के मुकाबले लंबी अवधि में अधिक रिटर्न देते हैं. अगर कुछ अपवादों को छोड़ दिया जाए तो ये बात काफी हद तक सही भी साबित होती है. इसलिए कम समय में ज्यादा रिटर्न के लिए जानकार शेयर मार्केट में पैसे लगाने की सलाह देते हैं.

छोटी अवधि में बाजार से पैसा कमाने के लिए जबरदस्त समझ और स्किल की जरूरत होती है. वहीं, अगर लंबे समय में शेयरों से पैसा कमाना चाहते हैं तो बाजार की बेसिक समझ भी आपके लिए यह काम कर सकती है. आपको बस किसी मजबूत शेयर में पैसा लगाना है और बहुत अधिक संभावना है कि 5 या 10 साल में आप कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? अपने निवेश में जबरदस्त उछाल देखेंगे. आज हम इस लेख में इस बारे में बात करेंगे कि आखिर क्यों शेयर बाजार में निवेश करना फायदे का सौदा है. हम आपको शेयर बाजार में निवेश करने की 7 वजहें बताएंगे.

महंगाई
महंगाई बढ़ने का मतलब है कि वस्तुओं और सेवाओं के दाम बढ़ रहे हैं. इससे कंपनियों की आय और प्रॉफिट भी बढ़ता है जिससे कंपनियों के शेयरों की खरीदारी बढ़ती है और स्टॉक्स की कीमत भी ऊपर की ओर भागती है.

जनसंख्या का बढ़ना
जैसे-जैसे देश में जनसंख्या बढ़ती है कंपनियों के प्रोडक्ट्स के लिए बाजार भी बढ़ता जाता है. ऐसी कंपनियां जो एक बड़ी आबादी के लिए उत्पाद तैयार करती हैं उनकी वैल्युएशन जनसंख्या के साथ बढ़ती रहती है.

प्रौद्योगिकी
आबादी बढ़ने के साथ इनोवेशन करने वाले लोगों की तादाद बढ़ती है. बेहतर टेक्नोलॉजी डेवलप की जाती है. ऐसे में उन कंपनियों को फायदा पहुंचता है जो या तो टेक्नोलॉजी के सेक्टर से जुड़ी होती हैं या फिर किसी से उनका टेक्नोलॉजी ड्रिवन होता है.

बेस्ट सलेक्ट करने का विकल्प
स्टॉक मार्केट में मुख्य इंडेक्स में सर्वश्रेष्ठ कंपनियों को शामिल किया जाता है. अगर कोई कंपनी लगातार खराब प्रदर्शन करती है तो उसे कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? हटाकर बेहतर प्रदर्शन करने वाली कंपनी इंडेक्स में अपनी जगह बना लेती है. इस तरह निवेशक के पास बेस्ट सलेक्शन का विकल्प होता है.

लंबी अवधि में रिस्क का फायदा
अगर आप बाजार में रिस्क लेते हैं तो संभव है कि छोटी अवधि में आपको घाटा हो जाए. लेकिन लंबी अवधि में अधिकतर शानदार रिटर्न देखने को मिलता है. रिस्क के बदले मिलने वाले प्रीमियम को रिस्क प्रीमियम कहा जाता है.

आरबीआई पॉलिसी का असर
जब अर्थव्यवस्था कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? में सुस्ती आती है तो लोग पैसा खर्च करना बंद कर देते हैं. आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए आरबीआई ब्याज दरें घटाकर बैंक में रखे पैसे पर रिटर्न कम कर देता है. इसके बाद लोग ये पैसा निकालकर अधिक जोखिम के साथ बेहतर फायदे के लिए शेयर मार्केट का रुख करते हैं.

15 फीसदी का इंटरेस्ट हमेशा मिलता है
बाजार में केवल गिरावट या सिर्फ तेजी नहीं बनी रहती है. ये दोनों बदलाव होते रहते हैं. लंबी अवधि में तेजी हमेशा गिरावट को मात देती है. अगर सेंसेक्स का 33 सालों को डाटा देखा जाए तो इसने हर साल 15 फीसदी का कंपाउंड एवरेज रिटर्न दिया है.

(Disclaimer: यहां लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है. यदि आप बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्‍टमेंट एडवायजर से परामर्श कर कंपनी अपना शेयर कैसे बेचती है? लें. आपके किसी भी तरह की लाभ या हानि के लिए लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)

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