निवेश से ज्यादा मुनाफा कमाने और रिस्क को कम करने में मददगार है पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन, यह चेकलिस्ट कर सकता है आपकी मदद
Investment Portfolio Diversification पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन निवेश में उपयोग की जाने वाली रिस्क मैनेजमेंट (Risk Management) की एक रणनीति है जो आपको अपने फंड को कई प्रकार की संपत्ति में आवंटित करके जोखिम को कम करने में मदद करती है
नई दिल्ली, वैभव अग्रवाल। शेयर बाजार की अस्थिर प्रकृति निवेश को एक जोखिम भरा मामला बनाती है, और इसकी महत्वपूर्ण काउंटरबॅलेन्स स्ट्रैटेजी में से एक है पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन। क्या आपका पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड है? तो, ये रही आपकी गो-टू चेकलिस्ट!
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन क्या है?
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन निवेश में उपयोग की जाने वाली रिस्क मैनेजमेंट की एक रणनीति है, जो आपको अपने फंड को कई प्रकार की संपत्ति में आवंटित करके जोखिम को कम करने में मदद करती है। यह सुनिश्चित करता है कि आपकी संपत्ति उच्च जोखिम के संपर्क में न आएं, लेकिन उसी समय में पर्याप्त उच्च रिटर्न उत्पन्न करती है।
डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो के घटक
एक अच्छी तरह से डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो के प्राथमिक घटकों में शामिल हैं: बॉन्ड, स्टॉक और म्युचुअल फंड।
- स्टॉक सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनियों के शेयर्स हैं, और इनमें लंबे समय के लिए निवेश कर आप अपनी संपत्ति बढ़ा सकते हैं।
- बॉन्ड कॉरपोरेट और गवर्मेंट डेट इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जहां अस्थिरता कम होती है, लेकिन रिटर्न्स भी उतने ही कम होते हैं।
- म्यूचुअल फंड्स इक्विटी से जुड़े जोखिम को कम करते हैं और स्थिर रिटर्न्स भी दे सकते हैं।
लघु अवधि के निवेश
कम जोखिम वाली संपत्ति के कुछ उदाहरण ट्रेजरी बिल, डिपॉज़िट प्रमाणपत्र और कमर्शियल पेपर्स हैं। वे स्थिरता प्रदान करते हैं और मौद्रिक पहुंच को आसान बनाते हैं। हालांकि, इनमें उच्च-सुरक्षा स्तरों के मुकाबले तुलनात्मक रूप से कम रिटर्न्स है।
कमोडिटीज़
आप अपने पोर्टफोलियो में गेहूं, मक्का, धातु या यहां तक कि तेल जैसी वस्तुओं को शामिल कर सकते हैं। हालांकि, यह एक जोखिम भरा परिसंपत्ति वर्ग है निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर जो देश की अर्थव्यवस्था, अंतर्राष्ट्रीय बाजारों और व्यापार परिदृश्यों के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।
विदेशी संपत्ति
विदेशी निवेश साधन आपको अपने समग्र पोर्टफोलियो पर उच्च रिटर्न्स उत्पन्न करने में मदद करते हैं क्योंकि उनका डोमेस्टिक सिक्योरिटीज़ के साथ लोअर को-रिलेशन होता है। विदेशी शेयरों और सिक्योरिटीज़ में निवेश करने से पहले आपको अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का विश्लेषण करना चाहिए।
रियल एस्टेट फंड्स
इसमें प्रॉपर्टी, बिल्डिंग और प्लॉट में प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष निवेश शामिल हैं। रियल एस्टेट आपके पोर्टफोलियो को मुद्रास्फीति के खिलाफ कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकता है। अन्य संपत्तियों के विपरीत, जैसे कि भैतिक शेयर्स, रियल एस्टेट एक भौतिक रूप में मौजूद होती है।
सेक्टर फंड्स
यदि आपका निवेश लक्ष्य विभिन्न आर्थिक चक्र चरणों का लाभ उठाना है तो सेक्टर फंड्स में सेक्टोरल फोकस शामिल हैं और फायदेमंद हैं। ये क्षेत्र संचार सेवाएं, ऊर्जा, स्वास्थ्य देखभाल, प्रौद्योगिकी, कंस्यूमर स्टेपल्स, आदि हो सकते हैं।
पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के लाभ
- यह आपके पोर्टफोलियो को शॉक से बचता है।
- यह विभिन्न क्षेत्रों में रिटर्न्स के अवसर पैदा करता है।
- यह आपको रिस्क कम करने में मदद करता है।
- पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन के नुकसान
- अपने पोर्टफोलियो में अधिक विविधता लाने से औसत से कम रिटर्न्स मिल सकता है।
- रिसर्च करना और उनके परफॉर्मेंस पर नज़र रखना एक समय लेने वाला मामला है।
- मल्टिपल स्टॉक्स के साथ, आपको अधिक ट्रांसैक्शन शुल्क भी देना होगा। यह आपके निवेश की कुल लागत को बढ़ा सकता है।
- कर संरचना सभी परिसंपत्ति वर्गों में समान नहीं होती है, जो जटिलताएं पैदा करता है यदि आपने कई खंडों में उद्यम किया है तो।
अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान
अब जब आप पोर्टफोलियो विविधीकरण के सभी फायदे और नुकसान जानते हैं, तो आइए पोर्टफोलियो विविधीकरण में जाने से पहले जिन बातों का ध्यान रखना चाहिए उस पर गौर करते हैं।
अपने रिस्क को कम करें
अपने पोर्टफोलियो को एसेट क्लासेस में फैलाएं। हालांकि, ऐसा करने से पहले प्रत्येक उपकरण और योजना पर अच्छी तरह से रिसर्च करें। यदि आपको लगता है कि अपने पोर्टफोलियो का प्रबंधन करना चुनौतीपूर्ण है, तो किसी प्रमाणित पेशेवर से संपर्क करें जो आपको इस पर मार्गदर्शन कर सकें।
अपने लक्ष्यों को समझें
अपने निवेश के उद्देश्य को समझने से यह सुनिश्चित होगा कि आपका पैसा सही जगह पर है और आप अत्यधिक जोखिम में नहीं हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप आपके शॉर्ट-टर्म गोल्स के लिए इक्विटी फंड्स में पैसा निवेश कर रहे हैं , तो आपको समस्या हो सकती है क्योंकि इक्विटी फंड्स लॉन्ग टर्म में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हैं और आपको उच्च रिटर्न्स देते हैं।
निष्कर्ष
जब आप बाजार और संपत्ति के बारे में अच्छी तरह से वाकिफ हो जाते हैं तो निवेश तब फायदेमंद होता है जब आप विकल्पों को बेहतर समझते हैं। भले ही पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन आपकी संपत्ति की सुरक्षा के लिए एक स्मार्ट विकल्प है, लेकिन अधिक डायवर्सिफिकेशन से औसत से कम रिटर्न्स मिल सकता है। जटिल उपकरणों और मामूली रिटर्न्स न मिल पाएं इसलिए आपको अति-विविधीकरण और इष्टतम विविधीकरण के बीच की पतली रेखा को याद रखने की आवश्यकता है।
(लेखक तेजी मंदी के संस्थापक हैं। प्रकाशित विचार उनके निजी हैं।)
बाजार के रुझानों से जुड़े जोखिम की जानकारी निवेशकों को देगा SEBI
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और निवेशकों को होने वाले जोखिम को लेकर सेबी ने सतर्क कदम उठाया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) बाजार के रुझानों पर नियमित रूप से 'जोखिम' से जुड़ी जानकारी देने की तैयारी कर रहा है.
इस जानकारी से निवेशकों को सही फैसला लेने में मदद मिलेगी
शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और निवेशकों को होने वाले जोखिम को लेकर सेबी ने सतर्क कदम उठाया है. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) बाजार के रुझानों पर नियमित रूप से 'जोखिम' से जुड़ी जानकारी देने की तैयारी कर रहा है. इसमें उतार-चढ़ाव और गिरावट, दोनों तरह के रुझान शामिल है. सूत्रों ने कहा कि इन प्रकटीकरण से निवेशकों को सही फैसला लेने में मदद मिलेगी. यह कदम अभी चर्चा के प्रारंभिक चरण में है, जिससे निवेशकों को एक समूह की मानसिकता से बचने में मदद मिल सकती है.
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पिछले कुछ सालों में और खासतौर से महामारी के दौरान 2020 की शुरुआत में देखने को मिला कि निवेशकों ने घबराहट में बिकवाली की और उसके बाद जल्दी से अमीर होने के लालच में बड़े पैमाने पर खरीदारी की, जिससे उन्हें नुकसान हुआ. आईपीओ में और साथ ही वायदा तथा विकल्प खंड में निवेशकों को नुकसान हुआ. एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, निवेशकों ने प्रत्येक चक्र में एक निश्चित रुझान देखा - यानी, जब शेयर चल रहा होता है, तो हर कोई उसे खरीदने के लिए दौड़ता है और फिर संकट आने पर वे घबराहट में बिक्री करते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि बाजार में उपलब्ध अधिकांश शोध सामग्री बाजार सहभागियों द्वारा तैयार की गई है, जिनके अपने व्यावसायिक हित होते हैं. ऐसे में यह एक अच्छा विचार हो सकता है यदि नियामक खुद बाजार में तेजी या गिरावट को लेकर अपने नजरिए को सार्वजनिक करे. सेबी जिस विचार पर काम कर रहा है, उसकी व्याख्या करते हुए एक उच्च स्तरीय सूत्र ने कहा, अब वक्त आ गया है कि सेबी उन मामलों पर प्रकटीकरण करके उदाहरण पेश करे, जो बड़े पैमाने पर निवेशकों के लिए उपयोगी हो सकते हैं. सूत्र ने कहा, मौजूदा नियमों के तहत एक साधारण वाक्य अनिवार्य है कि कुछ ‘निवेश बाजार निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर जोखिमों के अधीन हैं' जो बहुत अधिक घिसा-पिटा हो गया है और यह अब काम नहीं करता है.
वक्त की जरूरत है कि निवेशकों को कुछ विस्तृत आंकड़े मिलें, वह भी नियामक से. सिर्फ उनके फंड प्रबंधकों से नहीं, जिनका मुख्य उद्देश्य अपने व्यवसायों को बढ़ाना है. निश्चित रूप से यह नियामक की जिम्मेदारी है कि सभी जरूरी खुलासे किए जाएं और तय हो कि बाजार सहभागियों को उनके बारे में कैसे बताना चाहिए.
जरुरी बात: मुनाफा सिक्के का एक पहलू है, जोखिम दूसरा पहलू….चाहे वह आपकी सेहत हो या निवेश
हमारे उदाहरण में अगर ए अंतिम साल में खानपान को लेकर चरम पर जाता है और एक सीमा से ज्यादा कसरत करता है और वहीं बी नियमित रूप से स्वस्थ खानपान और व्यायाम करता है तो ऐसे में ए ने लक्ष्य हासिल करने के लिए ज्यादा जोखिम मोल लिया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। महामारी के दौरान भी बाजार धारणा जोखिम पर ध्यान और मुनाफे पर ध्यान के बीच झूलती रही. पिछले साल जोखिम के प्रबंधन पर ध्यान था, अब अधिकतम मुनाफा कमाने के आसपास ध्यान है. निवेशक प्रायः निवेश की योजना का चयन करते हुए एक खास तिथि को अंतिम साल में मुनाफे पर ध्यान केंद्रित करते हैं. ऐसा करना बहुत बड़ी चूक है. इसे मैं व्यक्तियों की जिंदगी से जुड़े उदाहरण के माध्यम से स्पष्ट करना चाहूंगा. इसके पीछे विचार यह है कि किसी फंड के प्रदर्शन का मूल्यांकन करते समय अन्य पहलुओं के बारे में निवेशक को जागरूक किया जा सके.
आइए एक परिवार के मुखिया श्रीमान एम का उदाहरण लेते हैं. श्रीमान एम चाहते हैं कि उनके परिवार के सदस्य, ए और बी, जो एकसमान उम्र के हैं, अपनी जीवनशैली को स्वस्थ बनाएं, नियमित व्यायाम करें और अपने रोजाना की जिंदगी में पोषण का ध्यान रखें. वह जानते है कि दोनों ही अपनी लंबाई के हिसाब से ज्यादा वजन के हैं.
उन्हें अगले 3 साल में वजन घटाने की चुनौती दी गई है और यह उपलब्धि हासिल करने पर उन्हें एक मोटा ईनाम देने का वादा किया गया है. तीन साल की समाप्ति पर ए 21 किलो और बी 19 किलो वजन कम कर पाता है. यह विंदुवार आंकड़े हैं, जो चुनौती देने की शुरुआत और लक्ष्य की अवधि पूरा करने की तिथि के बीच के वजन का अंतर है.
अगर सिर्फ वजन कम करना पैमाना है, तो ए विजेता होगा. लेकिन सवाल यह है कि क्या इन सदस्यों ने आपको पूरी कहानी सुनाई है? अगर वजन कम करने की पूरी यात्रा पर नजर डालें तो ए ने पहले साल 6 किलो वजन कम किया, फिर दूसरे साल में 3 किलो वजन बढ़ा, वहीं तीसरे साल 18 किलो वजन कम हुआ.
अगर बी के आंकड़ों पर नजर डालें तो उसने पहलेसाल 5 किलो वजन घटाया, दूसरे साल 6 किलो और तीसरे साल 8 किलो वजन कम किया. इस हिसाब से देखें तो किसकी खानपान और कवायद ज्यादा सही लगती है?
अगर मकसद दोनों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना था, तोक्या 21 सही तस्वीर पेश करता है? इस तरह विंदुवार संख्या ले लेने का तरीका त्रुटिपूर्ण है.
हमारे आंकड़े में वजन घटाने के विंदुवार आंकड़े की ही तरह विंदुवार फंड के मुनाफे के आंकड़े देखना पूरी तस्वीर पेश नहीं करता, जिससे कि मुनाफे की मजबूती और फंड की निरंतरता का पता चल सके.
आप कल्पना करें की श्री एम शुरुआत और अंतिम तिथि को वजन लेने की त्रुटि से परिचित हैं और वह दोनों व्यक्तियों का वजन हर तिमाही की शुरुआत में लेने का फैसला करते हैं और तिमाही के अंत में वजन की तुलना करते हैं.
वह जनवरी की शुरुआत में और मार्च के अंत में, फिर अप्रैल की शुरुआत में व जून के अंत में वजन लेते हैं और इस तरह की कवायद जारी रखते हैं. ऐसा करने पर उनके पास 12 तिमाहियों के आंकड़े होते हैं और इसका औसत देखने पर पता चल पाता है कि इस दौड़ में किसमें निरंतरता ज्यादा है.
ऐसे में सहज रूप से हम पाएंगे कि बी बेहतर स्थिति में है. अगर इस तरीके को फंड के मुनाफे में अपनाते हैं तो इसे रोलिंग रिटर्न कहा जाता है. इसमें सिर्फ विंदुवार आंकड़े पर भरोसा करके निष्कर्ष नहीं निकाला जाता है, और यह आपके सामने निरंतरता की बेहतर तस्वीर पेश करता है.
सतत जीवनशैली के वास्तविक विजेता के चयन के लिए श्री एम अब एक और मूल्यांकन कर सकते हैं. इसमें यह देखा जाना शामिल है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए व्यक्ति कितना जोखिम ले सकता है.
वजन घटाने की कवायद में विशिष्ट जोखिम क्या हैं? इसमें चरम पर जाकर खानपान नियंत्रित करना और व्यायाम करना संभवतः दीर्घावधि के हिसाब से टिकाऊ नहीं होगा और इसकी वजह से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है.
हमारे उदाहरण में अगर ए अंतिम साल में खानपान को लेकर चरम पर जाता है और एक सीमा से ज्यादा कसरत करता है और वहीं बी नियमित रूप से स्वस्थ खानपान और व्यायाम करता है तो ऐसे में ए ने लक्ष्य हासिल करने के निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर लिए ज्यादा जोखिम मोल लिया है.
प्रति किलो वजन कम करने में ए का जोखिम बी की तुलना में ज्यादा था. मकसद हासिल करने के हेतु लिए गए जोखिम के हिसाब से देखें तो बी विजेता है.
हालांकि बेहतर दौर में मुनाफे हेतु लिए गए जोखिम की मात्रा निकालना कठिन होता है, लेकिन सौभाग्य से हमारे लिए एमएफ योजनाओं के मामले में इसका मापन आसानी से किया जा सकता है.तमाम अनुपात हैं, जो आपको नजरिया देते हैं कि मुनाफा देने के लिए फंड प्रबंधक ने किस तरह का जोखिम लिया है. इस तरह से आप देख सकते हैं कि दो विंदुओं पर आंकड़े लेकर हम अगर एक संख्या निकालते हैं तो इससे सही परिदृश्य सामने नहीं आ पाता है कि दीर्घावधि मकसद के हिसाब से असली विजेता कौन है.
लॉन्ग टर्म के लक्ष्य के हिसाब से देखें तो स्थिर और अनुशासित प्रक्रिया इसका मूल है, चाहे वह किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य का लक्ष्य हो या एक योजना के लिए निवेश का लक्ष्य हो.निवेश की दुनिया में असल विजेता की पहचान के लिए एक संख्या के बजाय स्थिरता और जोखिम जैसे पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है. क्योंकि सिर्फ एक निश्चित संख्या पूरी तस्वीर पेश नहीं करती है. इन पहलुओं पर ध्यान देने या सलाहकार से सही सवाल पूछने से आपको सही चयन करने को लेकर बेहतर होने में मदद मिल सकेगी.
भारत में शेयर बाजार एक जोखिम या अवसर ?
राज एक्सप्रेस। भारत में शेयर बाजार में निवेश को हमेशा एक बड़े जोखिम के तौर पर देखा गया और तथ्य भी इसी ओर इशारा करते हैं। बहुत से लोग अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा इसमें निवेश करते हैं और अल्प-जानकारी के कारण अपनी गाढ़ी कमाई से उन्हें हाथ धोना पड़ता है।
निवेश से जुड़ी योजनाएं :
इस निवेश से जुड़ी बहुत सी योजनाएं हैं, जो लोगों को बिना जानकारी के निवेश करने से सावधान करती हैं परंतु अधिक रिटर्न की निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर आशा में अधिकांश लोग बिना सोचे-समझे अपना रास्ता चुन लेते हैं, ऐसे में यह आवश्यक है कि, लोगों को हर निवेश से पूर्व एक अनिवार्य फॉर्म भरवाया जाए जिसमें उन्हें उनके निवेश से जुड़े हर जोखिम की जानकारी व बारीकियां अच्छे ढंग से समझाईं जाएं। प्रत्येक निवेशक का भी यह दायित्व बनता है कि, वह अपने निवेश के लिए जिम्मेदार बने और इसके लिए तमाम सूत्रों से आवश्यक जानकारी हासिल करें।
कोई भी निवेशक शेयर बाजार में पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं रहता और यह जोखिम सदा बना रहता है कि, इस में किया गया निवेश डूब सकता है। ऐसी स्थिति से बचने हेतु निवेशक को किसी एक स्क्रिप या स्कीम अथवा बॉन्ड में निवेश करने के बजाय अपनी बचत /savings को संतुलित रूप से अलग-अलग शेयर व योजनाओं में निवेश करना चाहिए। निवेश में यह संतुलन लाना आज के बदलते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समीकरणों के बीच आवश्यक हो जाता है। हाल ही में यह देखा गया कि, ब्रेक्जिट व चीन-अमेरिका के बीच चल रहे व्यापार युद्ध से भारतीय बाजार पर गहरा असर पड़ा और एक लंबे समय तक शेयर बाजार में एक volatility/अस्थिरता बनी रही।
इन सभी चुनौतियों से अपने निवेश को बचाकर एक निर्धारित समय सीमा में अधिक से अधिक मुनाफा कमाना हर निवेशक का लक्ष्य रहता है, परंतु इस संपूर्ण प्रक्रिया में बहुत से ऐसे कारक हैं जो व्यक्तिगत स्तर पर हमारे बस में नहीं हैं और इन पर हमारा जोर भी नहीं चलता। ऐसे में आवश्यक है कि, समय-समय पर अपने निवेश का ब्यौरा हासिल कर इसमें आवश्यक बदलाव किए जाएं और पूरी मुस्तैदी के साथ अपने निवेश पर नजर बनाई रखी जाए।
अंग्रेजी की एक सुप्रसिद्ध कहावत - "डू नॉट पुट ऑल योर एग्स इन वन बास्केट" संक्षेप में यही संदेश देती है कि, हमें किसी एक विकल्प पर जरूरत से अधिक निर्भर न रहते हुए अपने निवेश का विस्तार कर समग्र जोखिम को कम करने का प्रयास करना चाहिए।
यह सदा निर्दिष्ट किया जाता है कि, निवेश से पूर्व योजना संबंधी दस्तावेज ठीक ढंग से पढ़ लिए जाएं ताकि हर निवेश की बारीकी से जांच करने के बाद ही निवेशक उस विकल्प का चुनाव कर सकें।
यदि निवेशक अपनी समझ का पूर्ण उपयोग करें और योजना से जुड़े लोग भी अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए अपने भावी ग्राहकों को योजना से जुड़ी हर जानकारी मुहैया कराएं, तो निवेश के उपरांत होने वाली समस्याओं को कम किया जा सकता है।
यहां यह जानना भी जरूरी है कि, शेयर बाजार में ट्रेंड की जाने वाली स्क्रिप के प्रत्येक शेयर की कीमत में होने वाले लगातार बदलाव और उससे जुड़े जोखिम के आधार पर इन स्क्रिप, शेयर को विभिन्न श्रेणियों जैसे AAA, AA+, A केटेगरी इत्यादि में सेबी (SEBI) द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। अक्सर निवेश से पहले इस सूची को ठीक तरह से समझने से निवेशक यह अंदाजा लगा सकते हैं कि, प्रत्येक स्क्रिप में कितना निवेश करना ठीक रहेगा।
एक जागरूक निवेशक की तरह यदि शेयर मार्केट में प्रवेश करेंगे, तो आप अपने निवेश के लिए स्वयं जिम्मेदार रहते हुए अपने निवेश को सुरक्षित रखकर मुनाफा कमा सकते हैं।
परंतु शेयर मार्केट सदा उतार-चढ़ाव से सराबोर रहता है और निवेश के डूबने का जोखिम हमेशा बना रहता है। इसलिए उचित यह है कि, सिर्फ इतना ही निवेश इस सेगमेंट में करें जितना जोखिम आप ले सकते हैं। अपनी संपूर्ण जमा पूंजी का इस बाजार में निवेश करना कतई उचित नहीं है।
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क्या होता है IPO. क्या है इससे चुनने का सटीक तरीक, जानिए इससे जुड़े हर सवाल का जवाब
लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अब IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में एंट्री कर रही है. सरकार ने इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े तीन 3.5 फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है.
IPO
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 04 मई 2022,
- (Updated 04 मई 2022, 1:13 PM IST)
संस्थागत निवेशकों से मिल चुके हैं 5620 करोड़ रुपए
जनवरी से मार्च में खुले 90 लाख डीमैट अकाउंट
बहुत सारे लोगों के लिए बाजार में निवेश का गणित समझ से परे होता है. एक तरफ निवेश के फायदे हैं तो दूसरी ओर उसके तमाम जोखिम भी हैं. लेकिन पहली बार बाजार में ऐसी हचलल हुई है. जिसकी वजह से आम से लेकर खास सबकी नजरें बाजार पर हैं. LIC के IPO का इंतजार खत्म हो गया है. जिस LIC से लोगों का रिश्ता जिंदगी के साथ और जिंदगी के बाद भी जुड़ा है. उस LIC में निवेश को लेकर हर कोई उत्सुक है. लेकिन बाजार और खासकर निवेश का गणित आसान नहीं होता. उसे समझना होता है. तो आज हम आपको समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर LIC के IPO को लेकर इतनी हचलल क्यों है. क्या LIC के IPO में निवेश करना बेहद आसान है. साथ ही आपको ये भी बताते हैं कि आईपीओ क्या है?
LIC IPO को लेकर क्यों है इतनी हलचल?
LIC पॉलिसीधारक इस IPO को लेकर इतने उत्साह में है. सबसे बड़ी बात ये है कि इंश्योरेंस सेक्टर में LIC बहुत बड़ा नाम है. देश में LIC के 1 लाख कर्मचारी हैं और करीब 30 करोड़ पॉलिसी होल्डर हैं.12 लाख एजेंट LIC के लिए काम करते हैं. जाहिर है LIC के इस IPO में पॉलिसी धारक और कर्मचारियो के लिए काफी कुछ है. लिहाजा इस पॉलिसी की वजह से बाजार में उत्साह देखते ही बन रहा है. लंबे इंतजार के बाद देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC अब IPO के जरिए स्टॉक मार्केट में एंट्री कर रही है. सरकार ने इस बीमा कंपनी में अपनी साढ़े तीन (3.5) फीसदी की हिस्सेदारी बेचकर 21 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है. IPO के जरिए LIC के शेयर खऱीदने के लिए लोगों को 6 दिन मौका मिलेगा.
संस्थागत निवेशकों से मिल चुके हैं 5620 करोड़ रुपए
एलआईसी के आईपीओ के लिए 9 मई तक अप्लाई किया जा सकता है. प्राइस बैंड 902-949 रू प्रति शेयर तय की गई है. पॉलिसीधारकों और रिटेल निवेशकों को छूट भी दी गई है. पॉलिसीधारकों को 60 रू प्रति शेयर की छूट दी गई है. वहीं रिटेल निवेशकों को 45 रू की छूट दी गई है. रिटेल निवेशक 2 लाख निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर रुपए तक निवेश कर सकते हैं. बड़ी संस्थाओं के लिए 2 मई से ही IPO खरीदने का मौका दिया गया था. इनके हिस्से के सारे शेयर 2 मई को ही बुक हो गए. यानि अबतक संस्थागत निवेशकों से LIC को 5620 करोड़ रुपए मिल चुके हैं.
जनवरी से मार्च में खुले 90 लाख डीमैट अकाउंट
LIC के IPO का कितनी बेसब्री से इंतजार हो रहा था, ये बात इसी से साबित होती है कि इस साल जनवरी से मार्च के दौरान 90 लाख से ज्यादा डीमैट अकाउंट खोले गये. ये आंकड़े एनएसडीएल और सीडीएसएल के हैं. इसके साथ ही इस साल 31 मार्च तक कुल डीमैट अकाउंट की संख्या बढ़कर 8.97 करोड़ पहुंच गई है. मतलब ये है कि LIC के IPO के साथ ही स्टॉक मार्केट में कारोबार में नई हरियाली देखी जा सकती है. और निवेशकों को भी काफी फायदा होने की उम्मीद है.
क्या है IPO? (What is IPO)
जब निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर कोई कंपनी अपने सामान्य स्टॉक या शेयर को पहली बार जनता के लिए जारी करती है तो उसे IPO कहते हैं. IPO दो तरह के होते हैं पहला फिक्स्ड प्राइस IPO और दूसरा बुक बिल्डिंग IPO. कंपनी जब IPO लाती है तो उसे मार्केट रेग्युलेटर यानी सेबी के नियमों का पालन करना होता है. नियमों पर खरा उतरने के बाद ही कंपनी IPO लाती है. एलआईसी पॉलिसी धारकों के लिए IPO में प्रति शेयर 60 रुपए की छूट दे रहा है. यही नहीं एलआईसी कर्मचारियों को भी IPO में अप्लाई करने पर 45 रुपए शेयर डिस्काउंट मिल रहा है.
कैसे खरीदें IPO? (How to Buy IPO)
आइए आपको LIC आईपीओ में निवेश का आसान तरीका निवेश से जुड़े जोखिम पर नजर बताते हैं,.
1- पहली बात तो ये है कि किसी भी आईपीओ में अप्लाई के लिए आपके पास Demat Account होना जरूरी है.
2- अगर आपका ज्वाइंट डिमैट एकाउंट है तो आपको पहला या प्राइमरी एकाउंट होल्डर होना चाहिए.
3- जब आप डिमैट अकाउंट से LIC के IPO में अप्लाई करेंगे, तो आपको Investor कैटेगरी चुनने के दौरान तीन विकल्प मिलेंगे.
4- ऑप्शन मे आपको 'New, Policyholder और Employee' तीन कैटेगरी नजर आएगी.
5- अगर आप एलआईसी पॉलिसी होल्डर नहीं हैं, और न ही LIC के कर्मचारी हैं तो फिर आपको सामान्य कैटेगरी यानी New का चयन करना होगा.
6- सामान्य कैटेगरी में अप्लाई करने पर एक लॉट आईपीओ के लिए आपको अपर प्राइस बैंड के हिसाब से कुल 14,235 रुपये देने होंगे.
7- अगर आपने LIC की पॉलिसी ले रखी है, तो आपको Policyholder कैटेगरी चुनना होगा. इस कैटगरी को चुनने पर आपको LIC IPO में 10 फीसदी रिजर्वेशन मिलेगा और प्रति शेयर 60 रुपये की छूट मिलेगी.
8 - वहीं अगर आप LIC के कर्मचारी हैं तो फिर आपको Employee कैटेगरी पर क्लिक करना होगा
9 - LIC कर्मचारियों को इस IPO में अप्लाई करने पर 45 रुपये प्रति शेयर का डिस्काउंट मिलेगा. तो इस कैटेगरी में एक लॉट के अप्लीकेशन पर 13,560 रुपये देने होंगे.
10 - एक बात अच्छे से समझ लीजिए कि IPO के एक लॉट में 15 शेयर मिलेंगे
11. हालांकि अगर आप पॉलिसी होल्डर के साथ-साथ LIC के कर्मचारी भी हैं तो तीनों कैटेगरी में आवेदन कर सकते हैं
12. तीनों कोटे में अलग-अलग निवेश की सीमा 2-2 लाख रुपये ही है यानी ऐसे निवेशक 6 लाख तक निवेश कर सकते हैं.
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