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Time: | Fri, 16 Dec 2022 0:27:34 GMT | अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें
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Generated by Wordfence at Fri, 16 Dec 2022 0:27:34 GMT.
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उच्च सदन में आज भारत-चीन सीमा मुद्दे पर हंगामा हुआ
राज्यसभा में आज भारत-चीन सीमा मुद्दे पर हंगामा हुआ। आज सवेरे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वामदल तथा अन्य सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने चर्चा की मांग की। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चीन की घुसपैठ पर विस्तार से चर्चा करना चाहते है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के भारत और चीन की सेना की झडप के मुद्दे पर दिए गए बयान पर श्री खरगे ने कहा कि उनका वक्तव्य इस मामले में काफी नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चर्चा से भाग रही है।
इस बीच, उपसभापति हरिवंश ने कहा कि इस मुद्दे पर बोलने के लिए कल विपक्ष के नेता को समय दिया गया था। इसके बाद कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, वाम, अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, शिवसेना, आम आदमी पार्टी और अन्य सहित विपक्षी सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
लोकसभा में भी इसी मुद्दे पर चर्चा को लेकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और अन्य सांसदों ने सदन से वाकआउट किया।
इससे पहले आज सवेरे विपद्वाी नेताओं ने बैठक की और संसद में भारत-चीन सीमा मुद्दे को लेकर अपनी रणनीति बनाई। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा बुलाई गई बैठक में डीएमके नेता टी आर बालू, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, शिवसेना की प्रियंका चतुर्वेदी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बिनोय विस्वाम और अन्य शामिल हुए।
Budget 2021: बजट शब्दावली, आसान भाषा में जानें इनका मतलब; बजट समझने में मिलेगी मदद
Union Budget 2021 India: बजट पेश होने से पहले इससे जुड़े कुछ अहम शब्दों का अर्थ जान लेना जरूरी है, जिससे इसे समझने में मदद मिले.
The real need of the hour is the shift in approach from “regulation to empowerment” in terms of fiscal laws.
Indian Union Budget 2021-22: वित्त वर्ष 2021-22 का बजट 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करेंगी. यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का तीसरा बजट होगा. कोरोना महामारी और उसके बाद आर्थिक संकट के कारण यह बजट बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. बजट में अगले वित्त वर्ष में सरकार द्वारा किए जाने वाले खर्च के साथ अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाली घोषणाएं और प्रावधान भी किए जाएंगे. बजट पेश होने से अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें पहले इससे जुड़े कुछ अहम शब्दों का अर्थ जान लेना जरूरी है, जिससे इसे समझने में मदद मिले. आइए ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण टर्म के मतलब आसान भाषा में समझते हैं.
वित्त वर्ष (Financial year)
वित्त वर्ष वह साल होता है जो वित्तीय मामलों में हिसाब के लिए आधार होता है. इसे सरकारों द्वारा लेखांकन और अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें बजट उद्देश्यों के लिए उपयोग की जाने वाली अवधि भी कहते हैं. व्यापार और अन्य संगठनों द्वारा वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है.
आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey)
संसद में आर्थिक सर्वेक्षण के दस्तावेज पेश किए जाने के बाद बजट पेश किया जाता है. यह वित्त मंत्रालय द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुए तैयार किया जाता है.
Economic Survey: क्रिकेट टीम से मालगुडी डेज और 3 इडियट्स तक, CEA अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें सुब्रमण्यन ने जब इन बातों का किया जिक्र
बजट घाटा (Budgetary deficit)
बजट घाटे की स्थिति तब पैदा होती है जब खर्चे, राजस्व से अधिक हो जाते हैं.
आयकर (Income tax)
यह हमारी आय के स्रोत जैसे कि आमदनी, निवेश और उस पर मिलने वाले ब्याज पर लगता है.
राजकोषीय नीति (Fiscal policy)
राजकोषीय नीति बजट के संदर्भ में आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. यह सरकार के खर्च और कराधान यानी टैक्सेशन का एक अनुमान है. इसका इस्तेमाल सरकार द्वारा रोजगार वृद्धि, महंगाई को संभालने और मौद्रिक भंडार के प्रबंधन जैसे विभिन्न साधनों को लागू करने और नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है.
राजकोषीय या वित्तीय घाटा (Fiscal deficit)अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें
जब सरकार को प्राप्त होने वाला राजस्व कम रहता है और खर्च अधिक होते हैं तो इस इस स्थिति को राजकोषीय या वित्तीय घाटा कहा जाता है. किसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए कुछ राजकोषीय घाटे को बुरा नहीं माना जाता है. जैसे अगर घाटा किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी के 4 फीसदी की सीमा में हो. अगर कुल राजस्व प्राप्तियों और कुल खर्च के बीच का अंतर सकारात्मक है तो इसे राजकोषीय अधिशेष कहा जाता है.
कॉरपोरेट टैक्स (Corporate tax)
कॉरपोरेट टैक्स कॉरपोरेट संस्थानों या फर्मों पर लगाया जाता है, जिसके जरिए अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें सरकार को आमदनी होती है. जीएसटी आने के बाद से यह खत्म हो गई है.
सेनवैट (CENVAT)
यह केंद्रीय वैल्यू एडेड टैक्स है, जो मैन्युफैक्चरर पर लगाया जाता है. इसे साल 2000-2001 में पेश किया गया था.
महंगाई (Inflation)
विभिन्न आर्थिक कारकों की वजह से वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में सामान्य वृद्धि होना महंगाई है. इसकी वजह से एक समयावधि में मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी आती है. इसे प्रतिशत के रूप में दर्शाया जाता है.
प्रत्यक्ष कर (Direct Tax)
किसी भी व्यक्ति और संस्थानों की आय और उसके स्रोत पर इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स, डायरेक्ट टैक्स के अंतर्गत आते हैं.
अप्रत्यक्ष कर (Indirect Tax)
इनडायरेक्ट टैक्स उत्पादित वस्तुओं और आयात-निर्यात वाले सामानों पर उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क और सेवा शुल्क के जरिए लगता है. इनडायरेक्ट टैक्सेज को जीएसटी में समाहित कर दिया गया है.
बैलेंस बजट (Balanced budget)
एक केंद्रीय बजट बैलेंस बजट तब कहलाता है, जब वर्तमान प्राप्तियां मौजूदा खर्चों के बराबर होती है.
बैलेंस ऑफ पेमेंट (Balance of payments)
देश और बांकी दुनिया के बीच हुए वित्तीय लेनदेन के हिसाब को भुगतान संतुलन या बैलेंस ऑफ मोमेंट कहा जाता है.
बांड (Bond)
यह कर्ज का एक सर्टिफिकेट होता है, जिसे कोई सरकार या कॉरपोरेशन जारी करती है ताकि पैसा जुटाया जा सके.
चालू खाता घाटा (Current Account Deficit)
यह देश के व्यापार परिदृश्य को संदर्भित करता है. अगर निर्यात अधिक है और आयात के जरिए देश से बाहर जाने वाले पैसे से अधिक पैसा देश में आता है तो स्थिति अनुकूल है और इसे चालू खाता अधिशेष के रूप में जाना जाता है. लेकिन अगर आयात के जरिए देश से बाहर जाने वाला पैसा, निर्यात के एवज में आने वाले पैसे से ज्यादा है तो इसे चालू खाता घाटा कहते हैं.
उत्पाद शुल्क (Excise Duty)
देश की सीमा के भीतर बनने वाले सभी उत्पादों पर लगने वाले टैक्स को एक्साइज ड्यूटी कहते हैं. एक्साइज ड्यूटी को भी जीएसटी में शामिल कर लिया गया है.
विनिवेश (Disinvestment)
सरकार द्वारा किसी पब्लिक इंस्टिट्यूट में अपनी हिस्सेदारी बेचकर राजस्व जुटाने की प्रक्रिया विनिवेश कहलाता है.
जीडीपी (GDP)
जीडीपी एक वित्तीय वर्ष में देश की सीमा के भीतर उत्पादित कुल वस्तुओं और सेवाओं का कुल जोड़ होता है.
सीमा शुल्क (Custom duty)
सीमा शुल्क उन वस्तुओं पर लगता है, जो देश में आयात की जाती हैं या फिर देश के बाहर निर्यात की जाती हैं.Budget
गोल्ड लोन से जुड़े अपने हर सवाल का जवाब यहां जानिए
गोल्ड लोन सोने पर लिया जाने वाला कर्ज है. यह सिक्योर्ड लोन होता है. इसमें बैंक/गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) गोल्ड ज्वेलरी इत्यादि को गिरवी रखकर कर्ज देते हैं. यह सोना एक तरह से गारंटी के तौर पर बैंक रखते हैं.
कहां से ले सकते हैं गोल्ड लोन?
एसबीआई, आईसीआईसीआई बैंक और अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें एचडीएफसी बैंक जैसे बैंकों के अलावा एनबीएफसी भी गोल्ड लोन ऑफर करती हैं. गोल्ड लोन ऑफर करने वाली एनबीएफसी में मुथूट फाइनेंस, मणप्पुरम फाइनेंस इत्यादि शामिल हैं.
लोने की न्यूनतम और अधिकतम राशि क्या होती है?
गोल्ड के आइटम पर लोन में दी जाने वाली रकम अलग-अलग बैंकों और वित्तीय संस्थानों में अलग-अलग होती है. उदाहरण के लिए आईसीआईसीआई बैंक 10 हजार रुपये से लेकर 1 करोड़ रुपये का गोल्ड लोन ऑफर करता है. वहीं, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 20 हजार रुपये से 20 लाख रुपये का गोल्ड लोन देता है. मुथूट फाइनेंस में गोल्ड लोन देने की शुरुआत 1,500 रुपये से होती है. यहां अधिकतम कोई सीमा नहीं है.
गोल्ड लोन की अवधि
गोल्ड लोन की अवधि अलग-अलग बैंकों में अलग-अलग है. उदाहरण के लिए एचडीएफसी बैंक तीन महीने से लेकर 24 महीने की अवधि के लिए गोल्ड लोन देता है. एसबीआई गोल्ड लोन के रिपेमेंट के लिए अधिकतम 36 महीने देता है. मुथूट फाइनेंस अलग-अलग तरह की गोल्ड स्कीम ऑफर करती है. इनमें रिपेमेंट की अवधि अलग-अलग है.
गोल्ड पर बैंक और एनबीएफसी की ब्याज दर
बैंक/एनबीएफसी | ब्याज दर | प्रोसेसिंग फीस |
एसबीआई | 7% से 7.5% | 0.50% + जीएसटी |
केनरा बैंक | अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें1 साल का एमसीएलआर (7.65%) | - |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 8.00% | जैसा लागू हो |
यूको बैंक | 8.50% | - |
इंडियन बैंक | 8.5% से 8.75% | - |
लक्ष्मी विलास बैंक | 8.80% | - |
साउथ इंडियन बैंक | 8.85 से 9.35% | - |
पंजाब नेशनल बैंक | 8.60% से 9.15% | - |
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया | 7.15% से 9.20% | निल |
पंजाब एंड सिंध बैंक | 8.10% से 9.35% | - |
जेएंडके बैंक | 10% | - |
करूर वैश्य बैंक | 10.85% | - |
इंडसइंड बैंक | 10.5% से 16% | 1% |
एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक | 18% तक | लोन की रकम का 1% |
कोटक महिंद्रा बैंक | 10.5% से 16% तक | 2% तक |
एक्सिस बैंक | 9.75 से 17.50% | 1% + जीएसटी |
एचडीएफसी बैंक | 9.90% से 17.90% | 1.50% + जीएसटी |
बंधन बैंक | 10.99% से 18% | 1% + जीएसटी |
आईसीआईसीआई बैंक | 10% से 19.76% | लोन की रकम का 1% |
मुथूट फाइनेंस | 12% से 27% | - |
मणप्पुरम फाइनेंस | अधिकतम 29% | - |
यूनाइटेंड बैंक | एक साल का एमसीएलआर(9.35%) | - |
सिटी यूनियन बैंक | एक साल का एमसीएलआर (14.25%) | - |
धनलक्ष्मी बैंक | 9.65% से शुरुआत (फिक्स्ड) | - |
फेडरल बैंक | 8.50% से शुरुआत | - |
यूनियन बैंक | एमसीएलआर + 1.65% से एमसीएलआर + 2.40% | - |
बैंक ऑफ बड़ौदा | बीआरएलएलआर + एसपी + 1.75% | 0.50+जीएसटी |
बैंक ऑफ इंडिया | समय-समय पर फैसला किया जाता है | - |
कर्नाटक बैंक | एमसीएलआर गाइडलाइंस के अनुसार | - |
किन दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है?
गोल्ड लोन के लिए बैंक या एनबीएफसी आप से तरह-तरह के दस्तावेज मांगते हैं. मुख्य रूप से इनमें पैन, आधार, पासपोर्ट, वोटर-आईडी कार्ड और तस्वीर वगैरह शामिल होते हैं.
किस तरह के चार्ज शामिल होते हैं?
होम, ऑटो और पर्सनल जैसे लोन देने के लिए ग्राहकों से अमूमन प्रोसेसिंग फीस ली जाती है. वहीं, गोल्ड लोन के मामले में प्रोसेसिंग फीस के अलावा गोल्ड के वैल्यूएशन का भुगतान करने के लिए भी कहा जा सकता है. उदाहरण के लिए एचडीएफसी 1.5 लाख रुपये तक के लोन पर 250 रुपये की वैल्यूएशन फीस चार्ज करता है. 1.5 लाख रुपये से ज्यादा के लोन पर 500 रुपये वैल्यूएशन फीस के तौर पर वसूली जाती है.
प्रोसेसिंग अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें अपनी वित्तीय सीमाओं को जानें फीस और वैल्यूएशन चार्ज के अलावा बैंक डॉक्यूमेंटेशन चार्ज और फोरक्लोजर चार्ज भी वसूल सकते हैं. इसलिए गोल्ड लोन लेने से पहले बैंकों की शर्तों को देख लेना जरूरी है.
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